इनसाइड स्टोरी! इस वजह से कर दिए गए कोरिया के दो टुकड़े

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इनसाइड स्टोरी! इस वजह से कर दिए गए कोरिया के दो टुकड़े
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दुनिया के नक्शे पर आज की तारीख में ये जो दो मुल्क नजर आते हैं, दरअसल वो कभी एक थे। सीमा एक थी। लोग एक थे। राष्ट्र एक था। राष्ट्राध्यक्ष एक था। मगर नफरत की बुनियाद पर खींची गई सरहद की इस लकीर ने देखते ही देखते इसे दुनिया का सबसे खतरनाक बार्डर बना दिया। बार्डर के एक तरफ का देश उत्तर कोरिया कहलाया तो दूसरी तरफ का दक्षिण कोरिया।

कोरिया की ये कहानी शुरू होती है सिला राजवंश के दौर से, करीब 900 साल के सिला शासन में कोरियाई प्रायद्वीप में कोरिया चीन औऱ जापान से अलग दुनिया के नक्शे पर एक मज़बूत पहचान रखता था। मगर 20वीं सदी आते आते सिला राजवंश की पकड़ कोरिया पर कमजोर पड़ने लगी।

साल 1910

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कोरिया प्रायद्वीप में करीब डेढ़ दशक के दबदबे के बाद जापान ने साल 1910 में इस सिला राजवंश पर कब्ज़ा कर लिया, मगर जापानी कब्ज़े के साथ ही इस मुल्क में विद्रोह की आग भड़कनी शुरू हो गई। कोरियाई लोगों ने अपनी आज़ादी के लिए कई विद्रोही संगठन बना लिए, जिनमें से कुछ चीनी औऱ सोवियत कम्यूनिस्ट समर्थक थे, और कुछ संगठनों को अमेरिका का समर्थन हासिल था। चीनी कम्यूनिस्टों के साथ मिलकर विद्रोही किम संग इल ने एक गोरिल्ला फौज तैयार की जो जापान से मुकाबला कर रही थी।

साल 1945

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उधर 1939 से 1945 तक चले दूसरे विश्व युद्ध में अमेरिकी दुश्मनी जापानियों को भारी पड़ी और इस युद्ध में बुरी तरह हारने के साथ ही जापान को हथियार डालने पड़े। इसी के साथ 36 सालों की गुलामी के बाद कोरिया जापान के चंगुल से आज़ाद हो गया। मगर तब तक द्वितीय विश्वयुद्ध के बादल छटे नहीं थें, पूरी दुनिया तब दो गुटों में बंटती नजर आ रही थी। एक अमेरिकी गुट और दूसरा सोवियत गुट। कोरियाई विद्रोही भी इससे अछूते नहीं रहे।

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कोरिया को जापान से आजादी तो मिल गई पर जापान के कोरिया छोड़ते ही कोरिया में गृहयुद्ध जैसे हालात बन गए। आज़ादी के लिए बने गुट अब दो अलग अलग पावर सेंटर में बंट गए थे। कोरिया के उत्तरी हिस्से पर अपना कब्ज़ा जमाए किम इल संग के कम्युनिस्ट गुट को सोवियत संघ का समर्थन हासिल था। तो कोरिया के दक्षिणी हिस्से पर अपना दबदबा कायम किए हुए कम्यूनिस्ट विरोधी नेता सिगमन री के गुट को अमेरिका का समर्थन मिला हुआ था। अब हालात ऐसे बने की दोनों के कब्ज़े वाले इलाकों को ध्यान में रखते हुए कोरिया के दो टुकड़े कर दिए गए, विभाजन के बाद एक उत्तर कोरिया बना और दूसरा दक्षिण कोरिया।

15 अगस्त 1948

मगर विभाजन का ये विवाद तो अभी शुरू ही हुआ था, जापान से आज़ादी के बाद 1947 में अमरीका ने संयुक्त राष्ट्र के ज़रिए कोरिया को फिर से एक राष्ट्र बनाने की पहल की। इसके साथ ही अमेरिका के समर्थन से सीगमन री ने पूरे कोरिया पर अधिकार जमाते हुए सियोल में रिपब्लिक ऑफ कोरिया के गठन की घोषणा कर दी। मगर इस घोषणा के 25 दिन बाद ही किम इल संग ने भी प्यांगयांग में डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया के गठन की घोषणा कर के पूरे कोरिया पर अपने अधिकार का ऐलान कर दिया। बंटवारे के बावजूद दोनों देशों के बीच सैन्य और राजनीतिक लड़ाई जारी रही।

25 जून 1950

कोरिया पर अधिकार को लेकर अभी विवाद जारी ही था कि तभी 25 जून 1950 को उत्तर कोरिया के शासक किम इल संग ने चीन औऱ सोवियत यूनियन की मदद से दक्षिण कोरिया पर पर हमला कर दिया। और यहीं से शुरू हुआ कोरियाई युद्ध। इस युद्ध में सोवियत यूनियन उत्तर कोरिया की तरफ था तो अमेरिका दक्षिण कोरिया की तरफ। तीन साल तक युद्ध चला जिसमें लाखों लोग मारे गए।

27 जुलाई 1953

तीन साल की लड़ाई के बाद आखिरकार कई देशों की मध्यस्था के बाद 27 जुलाई 1953 में दोनों देशों ने युद्धविराम की घोषणा कर दी। लेकिन इसके बावजूद दोनों देशों में तनाव बना रहा। जो आज भी जारी है। दोनों देशों की सीमा को बिना सैनिक गश्त वाली महज़ ढाई मील की ये तारबंदी एक-दूसरे से अलग करती है। लेकिन इसके बावजूद इसे दुनिया के सबसे खौफनाक बार्डर के तौर पर जाना जाता है।

दूसरे विश्वयुद्ध में लाखों लोग मारे गए। कई देश बर्बाद हो गए। मगर इसी विश्वयुद्ध ने कोरिया को जापान से आज़ादी भी दिला दी। पर आज़ादी आई तो ज़रूर मगर बंटवारा लेकर। एक मुल्क को दो हिस्सों में बांट दिया गया। उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया। लगा कि मसला सुलझ गया। मगर ये तो दरअसल मसले की शुरूआत थी। कोरिया के लोग जिसे आज़ादी समझ रहे थे, उन्हें तब ये अंदाज़ा नहीं था कि आने वाले वक्त में इस आज़ादी की उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

जापान से आज़ादी और विभाजन के बाद सरहद के दोनों तरफ हालात में काफी बदलाव आए। शुरूआती दशकों में दक्षिण कोरिया की बनिस्बत उत्तरी कोरिया ने तेज़ी से विकास किया, आलम ये था कि दक्षिण कोरिया में भी किम इल संग को विकास पुरूष के तौर पर पेश किया जाने लगा।

1960 तक उत्तर कोरिया के शासक किम इल संग ने अपने लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा, भोजन औऱ मकान मुहैय्या कराए। लोग अपने इस विकास पुरूष की विकास नीति से काफी खुश थे, जबकि वहीं दूसरी तरफ दक्षिण कोरिया राजनीतिक उठापटक से ही जूझता रहा। जनरल पार्क चुंग-ही ने 1962 में सैन्य तख्तापलट के तहत दक्षिण कोरिया के तत्कालीन शासक योन बो सियोन को हटा कर सत्ता पर कब्ज़ा कर लिया। पार्क इस तख्तापलट में कामयाब तो रहे लेकिन 1979 में उनकी भी हत्या कर दी गई।

पार्क चुंग-ही की हत्या के बाद तानाशाही और सेनाओं का आतंक झेल चुका दक्षिण कोरिया अब लोकतांत्रिक सरकार आई। इसके साथ ही दक्षिण कोरिया फिर से पटरी पर लौटा और आर्थिक रूप से मज़बूत होने लगा। जल्द ही दक्षिण कोरिया एशिया की कामयाब लोकतांत्रिक देश के तौर पर उभरा। हालांकि उधर 90 का दशक आते आते पूर्वी यूरोप और सोवियत यूनियन से कम्यूनिस्ट सरकार का पतन हो गया औऱ इसके साथ ही उत्तर कोरिया को इन देशों से मिलने वाली मदद भी बंद हो गई। खुद को विकास पुरुष माने बैठे किम इल संग ने अब अपने दम पर उत्तर कोरिया को खड़ा करने का बीड़ा उठाया। मगर तभी किम इल संग की मौत हो गई।

8 जुलाई 1994

किम इल संग की मौत की खबर ने पूरे देश को जैसे बेसहारा कर दिया, लेकिन किम इल संग ने अपने बेटे किम जोंग इल को अपने उत्तराधिकारी के तौर पर काफी पहले से तैयार करना शुरू कर दिया था। किम इल संग की मौत के बाद किम जोंग इल ने देश की कमान संभाली, कमान संभालते ही किम जोंग इल ने एक सूत्री कार्यक्रम के तहत सेना को मज़बूत करना शुरू कर दिया। उधर दक्षिण कोरिया वापस पटरी पर लौट चुका था और उसकी मज़बूत होती अर्थव्यवस्था ने उत्तर कोरिया को चुनौती देना शुरू कर दिया था। लिहाज़ा दक्षिण कोरिया से दुश्मनी निभाने के लिए ही किम जोंग इल ने अपनी पूरी ताकत परणाणु हथियार बनाने में झोंक दी और यहीं से उत्तर कोरिया की परमाणु सनक की शुरूआत हुई।

किम जोंग इल ने 2006 में पहला परमाणु परीक्षण कर के दुनिया को चौंका दिया। वो तारीख थी 9 अक्टूबर 2006, इसी के बाद से उत्तर कोरिया अब फिर से अमेरिका के निशाने पर आ गया। उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम ने अमेरिका और दक्षिणी कोरिया सहित पश्चिमी देशों के साथ उसके रिश्ते को टकराव की स्थिति पर ला खड़ा किया। मगर दबने के बजाए किम जोंग इल ने अपनी ताकत दिखाते हुए एक और परमाणु परीक्षण कर डाला।

तारीख़ - 25 मई 2009

देश की चरमराती अर्थव्यवस्था बचाने के बजाए किम जोंग इल ने दुनिया को अपनी ताकत दिखाने के लिए पूरी पूंजी सैन्य कार्यक्रमों में लगानी शुरू कर दी। साल 2011 में किम जोंग इल की मौत के बाद उसका बेटा और उत्तर कोरिया का मौजूदा तानाशाह किम जोंग उन गद्दी पर बैठा। और गद्दी पर बैठते ही उसने कोहराम मचाना शुरू कर दिया। उत्तर कोरिया में परमाणु बमों के परीक्षण की उसने झड़ी लगा दी।

  • 12 फ़रवरी 2013 को तीसरा परमाणु परीक्षण

  • 6 जनवरी 2016 को चौथा परमाणु परीक्षण

  • 9 सितंबर 2016 को पांचवां परमाणु परीक्षण

  • 3 सितंबर 2017 को छठा परमाणु परीक्षण कर डाला

उत्तर कोरिया के किम खानदान के परमाणु हथियारों की सनक ने एक अच्छे-खासे और तरक्की करते देश को अचानक पीछे ढकेल दिया। तानाशाही और दुनिया से दुश्मनी के चलते देखते ही देखते उत्तर कोरिया पिछड़ता चला गया। देश में कुछ बाकी रह गया तो बस भूखमरी, बेरोज़गारी और खस्ता माली हालत।

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