भारत ने बॉर्डर पर तैनात कर दी है चीन की 'मौत'! थरथर कांप रहा है ड्रैगन

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कॉम्बेट और कॉम्बेट सपोर्ट यूनिट्स सहित सभी यूनिट पूरी तरह से तैयार हैं। भारत ने सेना की एक बड़ी टुकड़ी को अरुणाचल प्रदेश में भेजा है। पिछले एक साल में कम से कम 30 हजार से ज़्यादा सैनिकों को अरुणाचल में तैनात किया गया है। केंद्र सरकार 1962 की फिर से नहीं होने देना चाहती जब चीन ने तवांग जैसे क्षेत्र में अपना नियंत्रण कर लिया था।

ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सेंटर फॉर सिक्योरिटी, स्ट्रैटेजी एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक राजेश्वरी पिल्लई राजगोपालन का मानना है कि चीन के साथ बातचीत में प्रगति की कमी के कारण नई दिल्ली बॉर्डर पर तैनाती पर जोर दे रही है। ये लगातार दूसरी सर्दी है जब दोनों देश बॉर्डर पर अपने सैनिक जमा किए हुए हैं। ऐसे में भारत को अमेरिका जैसे देशों से और अधिक इक्विपमेंट खरीदने की जरूरत है।

एक सीनियर सैन्य कमांडर के मुताबिक भारत अब जरूरत पड़ने को चीन को धोने के लिए तैयार है। अरुणाचल का क्षेत्र भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी सीमा म्यांमार तक फैली हुई है। इधर कई संकीर्ण गलियारे हैं जो सेना का काम थोड़ी मुश्किल करती हैं। आक्रामक रवैया भारत को चीन से मुकाबले में मदद करेगा। सेना का कहना है कि लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर चीनी फौज की गतिविधि थोड़ी सी बढ़ी है लेकिन हमारे पास पर्याप्त सैनिक उपलब्ध हैं।

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तवांग से करीब 300 किलोमीटर दूर दक्षिण में भारतीय सेना की नई एविएशन ब्रिगेड नए प्लान में अहम स्थान रखती है। यह वही बेस है जहां से अमेरिकी जहाज दूसरे वर्ल्ड वॉर में जापानी शाही सेना से लड़ने को उड़ान भारी थी। भारतीय एयरफोर्स अब चिनूक जैसे हेलिकॉप्टर से लैस है जो अमेरिकी होवित्जर और सैनिकों को आसानी से और तेजी से पहाड़ों के पार ला सकता है। कई इजरायली निर्मित मानव रहित विमान भी हैं जो हर वक्त दुश्मनों की रियल-टाइम तस्वीरें भेजते हैं।

तवांग को जोड़ने वाले सेला सुरंग की बात करें तो यह वक्त से पहले ही तैयार हो जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक सेला सुरंग जून 2022 तक बनकर तैयार रहेगी। मौजूदा वक्त में बर्फ को हटाने के दिक्कतों का सामना करना पड़ता है और तब भी सिर्फ कुछ ही गाड़ियां पार सकती हैं। सुरंग के बनने से तवांग पहुंचने में आसानी होगी और वक्त से पहले से कम लगेगा। इससे साल भर सैनिकों की तेज और निर्बाध आवाजाही हो सकेगी।

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