यहां मिलता है मौत का अप्वॉइंटमेंट!
euthanasia a good end to life not suicide or murder
ADVERTISEMENT

एक हसीन वादी जहां 'मौत' बुलाती है, जहां लोग मरने आते हैं। मौत का अप्वॉइंटमेंट मिलता है, क्योंकि यहीं से खुलता है मौत का दरवाजा। यहां बाकायदा मौत देने वाली संस्थाएं है। आप सोच रहे होंगे कि ऐसी कौन सी जगह है जहां लोग मरने के लिए आते हैं? ऐसी कौन सी जगह जहां मौत एपाइंटमेंट मिलता है? ये कौन सी जगह है जो लोगों को मारने के लिए अपने पास बुलाती है।
ये जगह है स्विटज़रलैंड, खूबसूरत वादियों वाला देश जिसे हनीमून मनाने वालों की जन्नत कहा जाता है। इश्क में डूबे लोग जहां अपनी मुहब्बत भरे लम्हों को यादगार बनाने के लिए आते हैं, लेकिन देश ही नहीं विदेशों से भी सैकड़ों हज़ारों लोगो को हर साल यहां मौत दी जाती है, वो भी कानूनन। जिस देश को दुनिया का सबसे खूबसूरत और जिंदादिल देश कहा जाता है, उसका काला और बदसूरत पहलू है ये।
यहां बाकायदा लोगों को ज़िंदगी खत्म करने में उनकी मदद करने के लिए कई संस्थाएं भी काम कर रही हैं, दुनिया के कई देशों में भले ही इच्छा मृत्यु को अवैध करार दिया गया हो, लेकिन स्विज़रलैंड वो देश जहां इच्छा मृत्यू को कानून मान्यता मिली हुई है। अपनी इच्छा से मौत को गले लगाने वाले लोग, हज़ारों किलोमीटर का सफर तय कर के यहां आते हैं और यहीं खत्म कर देते हैं अपनी ज़िंदगी।
ADVERTISEMENT
बरसों से ज़िंदा लाश बन चुके औऱ अपनी ज़िंदगी से तंग आ चुके लोग, स्विटज़रलैंड में लेते हैं मौत का अपॉइंटमेंट। ऐसे बहुत से लोग हैं जो अपनी अपनी लंबी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए इस रास्ते को अपनाते हैं।
स्विज़रलैंड में इच्छा मृत्यु को जायज़ माना जाता है, हालांकि इसके साथ कुछ मामूली शर्तें भी हैं, लेकिन कुल मिलाकर जो मौत को गले लगाने का फैसला कर चुके हैं, उनकी इच्छा यहां पूरी हो ही जाती है। इसके साथ ही यहां कई सामाजिक संस्थाएं हैं जो लोगों को अपनी ज़िंदगी खत्म करने में उनकी मदद करती हैं। स्विटज़रलैंड में इसे SUICIDE TOURISM यानी ‘आत्महत्या पर्यटन’ कहते हैं।
ADVERTISEMENT
स्विटज़रलैंड में तेज़ी से फैल रहा है SUICIDE TOURISM, इस अजीबोगरीब किस्म के पर्यटन ने स्विटज़रलैंड के खूबसूरती पर दाग लगा दिया है। ये स्विटज़रलैंड का वो काला चेहरा जिसके बारे में बहुत कम लोगों को पता है, दुनियाभर से हज़ारों लाखों लोग यहां आते हैं, उनमें कई लोग छुट्टियों मनाने आते हैं, मगर उनमें से कुछ ऐसे होते हैं जिन्हें इसे अपनी ज़िंदगी का आखिरी सफर बनाना होता है।
ADVERTISEMENT
ज़्यादातर ये लोग ऐसे लोग होते हैं जिनके लिए जीना मरने से मुश्किल हो जाता है, उनका शरीर उनका साथ नहीं देता है। लिहाज़ा ऐसे लोग हज़ारों किलोमीटर का सफर तय कर के ज़्यूरिक मरने के लिए आते हैं।
मरने वाले को अपनी मौत के लिए जगह चुननी होती है, कुछ लोग फ्लैट किराए पर लेते हैं। उसी फ्लैट में वो अपने घरवालों और कैमरे के सामने आखरी सांसे लेते हैं। ताकि उनकी मौत भी यादगार बन जाए। अमूमन फ्लैट का इंतेज़ाम इच्छा मृत्यु में मदद करने वाली संस्था करती है, ऐसी संस्थाएं पिछले कई सालों से लोगों को उनकी ज़िंदगी खत्म करने में मदद कर रही हैं।
लंबे समय से पैरालेसिस से पीड़ित लोग या जिनके शरीर का निचला हिस्सा काम करना बंद कर देता है, वो अपनी बेबस ज़िंदगी से तंग आकर ऐसे फैसले लेते हैं। उनके पास दो ही रास्ते होते हैं, या तो मैं मर जाएं, या फिर अपनी तक़लीफ को ऐसे ही सहता रहें, और अक्सर परिवार वाले भी अपनों को लेकर तकलीफ में रहते हैं। दोनों ही रास्ते पर मौत है, इच्छा मृत्यु में थोड़ी तकलीफ हो सकती है, लेकिन उन्हें ये तकलीफ घुट घुट के मरने से कम लगती है।
मौत से अक्सर मरीज़ नहाते हैं, नाश्ता करते हैं। जिसके बाद इच्छा मृत्यु के कानूनी कागज़ात पर दस्तखत होते हैं, मरीज़ थोड़ा घबराता ज़रूर है, लेकिन उनकी ये घबराहट उस तकलीफ से बड़ी नहीं होती है जो वो बरसों से झेलते आ रहे हैं। मौत की घड़ी करीब आती है, तो मरीज़ को ग्लास में ड्रग्स की हाई डोज़ दी जाती है, जो किसी लोकल डॉक्टर से प्रेसक्राइब कराई गई होती है, और जो जानलेवा होती है। मरीज़ को बताया जाता है कि आप इसे पिएंगे तो मर जाएंगें।
सब कुछ जानते हुए कानून के मुताबिक मरीज़ को खुद ही इस दवा को पीना होता है, सोचिए जब आपको पता हो कि आप इसे पीने के बाद मर जाएंगे, तो इसे पीना कितना मुश्किल होगा। मरने से पहले अक्सर मरीज़ अपने घरवालों को गले लगाता है और अपने इस फैसले के लिए उनसे माफी मांगता है। क्योंकि वो उनके साथ जीना तो चाहता है लेकिन ऐसा कर नहीं सकता।
इसके बाद मरीज़ को एक गिलास में वो दवा दी जाती है, जिसे पीने के बाद मरीज़ की मौत होने वाली थी। मरीज़ पाइप के ज़रिए उस दवा को पीता है, गले से उतरते ही दवा अपना असर दिखाना शुरू करती है। पहले मरीज़ की आंखे बंद होने लगती और फिर वो मौत की आगोश में जाते चले जाते हैं। दवा पीने के बाद मरीज़ पहले कोमा में जाता है और ठीक 30 मिनट के बाद उसकी धड़कनें धड़कना बंद कर देती है।
इच्छा मृत्यु को जायज़ करार देना चाहिए या नहीं देना चाहिए इस पर पहले भी काफी बहस हो चुकी है, मगर क्या इच्छा मृत्यु को जायज़ करार देना ठीक है? ऐसा नहीं है कि स्विटज़रलैंड में इच्छा मृत्यु को रोकने की कोशिश नहीं हुई, फेडरल डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी के इच्छा मृत्यु को लेकर नियम कड़े किए जाने के प्रस्ताव का इतना भारी विरोध हुआ, कि लोग हैरान रह गए। राजधानी ज्यूरिक में इस प्रस्ताव पर हुए लोगों के मतदान में 60 हज़ार के मुकाबले करीब 2 लाख 20 हज़ार लोगों का मानना था कि इच्छा मृत्यु को लेकर देश में किसी तरह की कोई रोक नहीं होनी चाहिए।
लोगों की दलील है कि मौत का अधिकार एक निजी मामला है जिसका राज्य और चर्च से कोई सरोकार नहीं होना चाहिए, लोगों का मानना है कि बरसों से बिस्तर पर बेबस पड़े और जीना की इच्छा छोड़ चुके लोगों को इच्छा मृत्यु देना उनकी मदद करना है। यहां लोगों का मानना है कि मौत जब ऐसे हालातों में किसी कि इच्छा से हो तो वो खुदकुशी नहीं होती।
दरअसल इच्छा मृत्यु की आज़ादी की वजह से दुनियाभर से यहां हर साल कई लोग आते हैं, और अपनी ज़िंदगी को यहीं खत्म कर देते हैं। पिछले एक दशक में 1,000 से ज़्यादा विदेशियों को स्विस कानून के मुताबिक इच्छा मृत्यु की परमीशन दी गई, हालांकि इनमें से ज़्यादातर लोग बरसों से कई गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे।
देश में मरने के लिए आने वाले विदेशी नागरिकों की बढ़ती तादाद ने, इस चलन को suicide tourism यानी ‘आत्महत्या पर्यटन’ के नाम से स्विट्ज़रलैंड को बदनाम कर दिया है।
ADVERTISEMENT