ऑटो ड्राइवर से 'गजोधर भय्या' बनने का रोचक सफर है राजू श्रीवास्तव का, कभी 50 रुपये में गुदगुदाते थे

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ऑटो ड्राइवर से 'गजोधर भय्या' बनने का रोचक सफर है राजू श्रीवास्तव का, कभी 50 रुपये में गुदगुदाते थे
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Comedi King Raju Srivastva: हंसने हंसाने की जब भी बात हो और अपने कानपुर वाले गजोधर भइया का ज़िक्र न हो...ऐसा फिलहाल तो मुमकिन नहीं। बॉलीवुड के भीतर या टीवी के पर्दे पर कॉमेडी के किंग कहलाने वाले राजू श्रीवास्तव की ज़िंदगी की कहानी और उनकी कामयाबी का सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है।

किसी जमाने में 50 रुपये लेकर लोगों को गुदगुदी करने वाले और अपने अंदाज़ के लोगों के मायूसी को दूर करके उनके चेहरे पर मुस्कुराहट बिखेरने वाले राजू श्रीवास्तव किसी ज़माने में एक ऑटो ड्राइवर हुआ करते थे।

उत्तर प्रदेश के कानपुर में पैदा हुए राजू श्रीवास्तव 1988 में अपनी आंखों में कामयाबी के सपनों को लेकर सपनों की नगर मुंबई पहुँचे थे। कानपुर से निकलकर मायानगरी पहुँचना और वहां की आबो हवा में खुद को संभालना राजू श्रीवास्तव के लिए किसी भी सूरत में आसान नहीं था। क्योंकि मुंबई पहुँचते ही जब उनके पास पैसे खत्म हो गए तो उन्हें एक एक दिन तड़प तड़प कर जीना पड़ा। हालात इस कदर खराब हुए कि पेट पालने के लिए राजू श्रीवास्तव ऑटो ड्राइवर बन गए।

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Comedi King Raju Srivastva: ऑटो ड्राइवर बनने के बावजूद कॉमेडी से उनका नाता कभी नहीं टूटा। उनके बारे में ये बात बहुत मशहूर है कि जिस दौरान वो फिल्मों में काम पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे उस दौरान वो ऑटो ड्राइवरों को ही इकट्ठा करके उन्हें ही गुदगुदाते रहते थे। उनकी कॉमेडी का ये सफर और ऑटो रिक्शा दोनों साथ साथ चलता रहा।

इसी बीच राजू श्रीवास्तव को एक और ज़रिया मिला जिसमें उन्हें अपने हुनर को और निखारने का मौका मिला। ऑरकेस्ट्रा पार्टी के साथ स्टेज पर कॉमेडी करने और अपनी लतीफाबाजी को जारी रखते हुए राजू श्रीवास्तव धीरे धीरे मुंबई की रगों को पकड़ने लगे थे और लोगों को हंसा हंसाकर उनके दिलों में जगह बनाने लगे थे।

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इसी बीच राजू श्रीवास्तव का एक सपना साकार हो गया जब उन्हें 1988 में आई अनिल कपूर की तेज़ाब फिल्म में एक मेहमान भूमिका मिल गई। हालांकि वो रोल बहुत छोटा था जो लोगों को अपनी तरफ आकर्षित नहीं कर सका, लेकिन राजू श्रीवास्तव को फिल्मों पर्दे का रास्ता ज़रूर दिख गया।

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क़रीब एक साल तक धक्के खाते खाते एक रोज राजू श्रीवास्तव को फिल्मी पर्दे पर आने का एक और मौका मिला जब सलमान खान की डेब्यू फिल्म मैने प्यार किया में उन्हें ड्राइवर का एक छोटा और बेहद मामूली रोल मिला। फिल्म का वो रोल बेशक छोटा था लेकिन वहां से राजू श्रीवास्तव के लिए बॉलीवुड की दुनिया में दाखिल होने का मौका मिल गया।

Comedi King Raju Srivastva: फिल्मी कलाकारों के साथ साथ फिल्मों के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर के साथ मिलने और उनसे मिलकर काम मांगने का रास्ता मिलते ही राजू श्रीवास्तव ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1993 में आई शाहरुख खान की बाज़ीगर फिल्म ने राजू श्रीवास्तव को फिल्मों के पर्दे पर भी उन्हें पहचान दिलाने में अहम रोल निभाया।

इसके बाद तो राजू श्रीवास्तव हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहे और एक के बाद एक 15 फिल्में पूरी कर डाली। पिता कवि थे लिहाजा चुटकी में बात करने का हुनर राजू श्रीवास्तव को विरासत में मिला हुआ था।

इसी बीच छोटे पर्दे पर एक कॉमेडी की क्रांति हुई और द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज का कार्यक्रम शुरू हुई। और इस प्रोग्राम ने राजू श्रीवास्तव को कामयाबी और शोहरत की बुलंदी तक पहुँचा दिया। द ग्रेट इंडियन लॉफ्टर चैलेंज ही वो शो था जिसमें राजू श्रीवास्तव का दुनिया ने गजोधर भय्या वाला अवतार देखा। और फिर तो देखते ही देखते राजू श्रीवास्तव की शोहरत सात समंदर पार से लेकर सातवें आसमान तक जा पहुँची।

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