जानें कैसे होता है सेना के जवान का अंतिम संस्कार, तिरंगे को लेकर है ये खास नियम...

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जानें कैसे होता है सेना के जवान का अंतिम संस्कार, तिरंगे को लेकर है ये खास नियम...
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CDS General Bipin Rawat Funeral: सीडीएस बिपिन रावत समेत तमिलनाडु हेलिकॉप्टर क्रैश में जान गंवाने वाले सभी 13 लोगों को आज अंतिम विदाई दी जा रही है. जनरल बिपिन रावत का पार्थिव शरीर उनके आवास से बरार स्क्वायर ले जाया जा रहा है. यहां करीब शाम 5 बजे उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. उन्हें 17 तोपों की सलामी दी जाएगी. इस दौरान 800 जवान यहां मौजूद रहेंगे

भारतीय सेना का हर एक जवान या ऑफिसर हमेशा देश की सुरक्षा के लिए तैनात रहता है और कई बार इस सुरक्षा में वो अपने प्राण भी न्यौछावर कर देते हैं. देश के लिए दिए गए अपने बलिदान के बाद उनकी अंतिम विदाई भी खास तरीके से की जाती है और राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है. ऐसे में जानते हैं कि उनके अंतिम संस्कार के दौरान किस तरह की प्रक्रिया से गुजरना होता है…

अंतिम विदाई के नियम प्रक्रिया क्या है?

जब कोई जवान शहीद होता है तो उनका अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ किया जाता है. सबसे पहले शहीद का पार्थिव शरीर उनके स्थानीय आवास पर भेजी जाती है और साथ में सेना के जवान भी होते हैं. राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि के दौरान पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटा जाता है. गौरतलब है कि भारतीय झंडा संहिता 2002 के अनुसार, राष्ट्रीय ध्वज को सिर्फ सैनिकों या राजकीय सम्मान के वक्त शव को लपेटने के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.

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राष्ट्रीय ध्वज का क्या होता है?

साथ ही कभी भी झंडे को कब्र में दफनाया या चिता में जलाया नहीं जाता है. अंतिम संस्कार से पहले ही यह झंडा शहीद के घरवालों को दे दिया जाता है. इस झंडे को समेटने का भी खास तरीका होता है, जिसमें झंडे का अशोक चक्र सबसे ऊपर होता है.

होती हैं कई तरह की रस्में?

अंतिम संस्कार के दौरान मिलिट्री बैंड की ओर से ‘शोक संगीत’ बजाया जाता है और इसके बाद बंदूकों की सलामी दी जाती है. बंदूकों की सलामी का भी एक एक खास तरीका होता है और जिसमें बंदूक खास तरीके से बंदूक झुकाई और उठाई जाती है.

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