तालिबान के राज में बुर्कों की भारी कमी! मुंह मांगे दामों पर बुर्का खरीद रही हैं महिलाएं
Taliban के कब्ज़े के बाद महिलाओं को शरिया क़ानून के तहत हिज़ाब पहनना ज़रूरी, जिसकी वजह से औरतें भारी तादाद में बुर्का खरीद रही हैं, बुर्कों की भारी कमी and read more crime stories in hindi on CrimeTak
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अफगानिस्तान में बुर्के की बिक्री तेजी से बढ़ गई है और उसके दाम भी दोगुने हो चुके हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक एक हफ्ते पहले स्थानीय अखबार ने बताया था कि उसकी एक महिला पत्रकार की पिटाई की गई क्योंकि उसने अफगानी कपड़े नहीं पहने थे, यानी बुर्का। आलम ये है कि 15 अगस्त यानी जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्ज़ा किया है तब से वहां की औरतें भारी तादाद में बुर्का खरीद रही हैं।
महिलाओं के साथ पुरुषों का भी ड्रेस कोड
90 के दशक में तालिबानी शासन के दौरान पुरुषों के लिए पारंपरिक कपड़े जबकि महिलाओं और आठ साल तक की लड़कियों के लिए बुर्का पहनना ज़रूरी था। और इस बार भी तालिबान की तरफ से अभी तक यही फरमान है, हालांकि कहा जा रहा है कि तालिबान इस बार थोड़ा मॉडीफाइड रुप में नज़र आएगा लेकिन अभी तक तो आया नहीं है।
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जींस पहनने पर होगी पिटाई
पिछले 20 सालों में न सिर्फ इस युद्धग्रस्त देश में आम जनजीवन ना सिर्फ सुधरा था बल्कि लड़कियां पढ़ने को जाने लगीं थीं और पहनावे के रूप में जींस का चलन भी बढ़ गया था। लेकिन अब जींस पहने लोगों की तालिबान पिटाई करने लगे हैं और बुर्के की बाध्यता के चलते उसके दाम बढ़ गए हैं।
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जींस को वेस्टर्न वर्ल्ड का पहनावा मानकर तालिबान लड़ाके उसे न पहनने के लिए मारपीट तक कर रहे हैं। कई युवा अफगानों ने सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने कहा, जींस पहनने को इस्लाम का अपमान मानने के आरोप में उनकी बंदूक की नोंक पर पिटाई की गई।
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तालिबान के एक लड़ाके ने बताया कि हम पुरुषों के लिए भी ड्रेस कोड पर चर्चा कर रहे हैं। हालांकि एक रिपोर्ट का दावा है कि तालिबान पश्चिमी सभ्यता के कपड़ों को मान्यता नहीं देगा। वहीं दूसरी तरफ अफगानिसन से आए फोटो और वीडियो में लड़ाकों को चश्मे, टोपी, बूट जैसे पश्चिमी पहनावे में देखा जा रहा है। तालिबान के आने के बाद अफगानिस्तान से भागे लोग मीडिया के सामने आकर तालिबानियों के ज़ुल्मों सितम की दास्तां बयां कर रहे हैं।
अल कायदा फिर से उठा सकता है सर
उधर अफगानिस्तान में बहुत तेजी से बदलते हालात में अमेरिकी बाइडन प्रशासन अल-कायदा के फिर से सिर उठाने की आशंका से निपटने के लिए योजना बना रहा है। ये ऐसे वक्त पर हो रहा है जब अमेरिका अपने देश में हिंसक चरमपंथ और रूस और चीन की तरफ से किए जाने वाले साइबर हमलों से निपटने की जद्दोजहद में जुटा है। अल कायदा ने ही 11 सितंबर 2001 को अमेरिका पर हमला किया था जिसके बाद अमेरिका सहित नाटो बलों ने उसका सफाया करने के लिए अफगानिस्तान में जंग शुरू की थी। लेकिन अब अल-कायदा के पास फिर से मौका है और वो इस मौके का फायदा उठा सकता है।
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