9/11 के 22 साल बाद भी 1000 से ज्यादा मरने वालों को पहचान का इंतजार

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9/11 के 22 साल बाद भी 1000 से ज्यादा मरने वालों को पहचान का इंतजार
1600 से ज्यादा डीएनए सैंपल का टेस्ट किया जा रहा है
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 9/11 wtc attack:  आज से ठीक 22 साल पहले 9/11 का हमला हुआ था। अमेरिका के न्यूयॉर्क में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए आतंकवादी हमले में सिर्फ दो बिल्डिंग का ही नुकसान नहीं हुआ, तीन हजार से ज़्यादा अनमोल जान बेवक्त चली गईं। और अमेरिका का सारा रुआब धुआं धुआं होकर मिट्टी में मिल गया। लिहाजा इसे दुनिया की सबसे बड़ी आतंकी घटनाओं में से एक माना जाता है जिसने पूरी दुनिया में दहशत फैलाई और दुनिया के करोड़ों लोगों की जिंदगी ही बदलकर रख दी। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए इस आतंकी हमले में 3 हजार लोगों की मौत हुई थी। 

1000 लोगों को उनकी पहचान तक नहीं

लेकिन बीते 22 सालों के दौरान अमेरिकी प्रशासन ने इस वारदात के लिए बहुत कुछ किया, लेकिन अभी तक उस हादसे के शिकार हुए लोगों में से 1000 लोगों को उनकी पहचान तक नहीं दिला सकी। जी हां , उस आतंकी हमले में मारे गए करीब 1000 लोग ऐसे भी हैं जिन्हें आज भी अपनी पहचान का इंतजार है। और आज भी अपनी शिनाख्त के लिए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर वाली जगह पर बने अमेरिका के 11 सितंबर नेशनल मेमोरियल एंड म्यूजियम में उनके शव इंतजार कर रहे हैं। 

9/11 हमले में मारे गए करीब 1000 लोगों को अपनी पहचान की तलाश

आखिरी शिनाख्त 2019 में हुई

खुलासा है कि करीब 1000 शव ऐसे हैं जिनकी पहचान अभी तक मुकम्मल नहीं हो सकी है। ये वही लोग हैं जो 11 सितंबर के आतंकी हमले में मारे गए थे। बताया जा रहा है कि आखिरी शिनाख्त 2019 में हुई थी। उसके बाद से पुलिस या प्रशासन को किसी भी लावारिस शव की पहचान का कोई पुख्ता दावा या प्रमाण नहीं मिला है। 

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आतंकी हमले की रुप रेखा मोहम्मद शेख खालिद ने तैयार की

कुछ मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब तक के सबसे खतरनाक आतंकी हमले की रुप रेखा मोहम्मद शेख खालिद ने तैयार की थी। और अगर मीडिया में छपे विश्लेषणों को सही माना जाए तो खालिद ने बहुत पहले यानी 1990 के दशक में ही अमेरिका में एक दर्जन से ज़्यादा हवाईजहाज को उड़ाने की साजिश रची थी। मगर जब वो अपनी साजिश को सिरे तक नहीं पहुँचा सका तो फिर उसने ओसामा बिन लादेन और उसके संगठन के साथ हाथ मिला लिया। 

9/11 मेमोरियल में अब भी एक हजार शवों को पहचान का इंतजार

3 हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई

बताया जा रहा है कि 11 सितंबर के आतंकी हमले में करीब 3 हजार से ज़्यादा लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें से करीब 2092 लोगों की पहचान मुकम्मल कर ली गई थी और उन्हें उनकी आखिरी यात्रा नसीब हो गई। लेकिन करीब करीब 1000 ऐसे बदनसीब हैं जो उस हमले में मारे गए थे मगर उन्हें आजतक आखिरी यात्रा नसीब नहीं हुई। 

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डीएनए मिलान का काम तेज 

न्यूयॉर्क सिटी के मेडिकल एक्सपर्ट बताते हैं कि किस तरह अब भी वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में मारे गए लोगों में से बचे हुए 1649 लोगों की पहचान का काम किस रफ्तार से चल रहा है। एक लम्बा और थका देने वाली प्रक्रिया में उन तमाम लोगों के डीएनए मिलान का काम तेजी से किया जा रहा है। लेकिन दो दशक बीत जाने के बावजूद अभी भी लगता है कि इस काम को मुकम्मल होने में शायद और कई बरस लग जाएं। ये तमाम डीएनए उस वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के मलबे से बरामद हुआ जहां मरने वाले लोगों के शरीर के चंद हिस्से ही जांच कर्ताओं के हाथ लगे। 

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मिलिट्री सर्विस के भी अफसर लापता हैं

तमाम आधुनिक तकनीकी और सीक्वेंसिंग मिलान के नए नए साधनों को साधने के बावजूद अभी तक जितने भी टेस्ट हुए सभी का नतीजा निगेटिव ही रहा। इसी तरह अमेरिका की मिलिट्री सर्विस ने भी अपने यहां प्रक्रिया चालू की क्योंकि अमेरिकी मिलिट्री सर्विस को शक था कि उनके कई अधिकारी भी इस हादसे का शिकार हुए हैं। क्योंकि उन अधिकारियों का इस घटना के बाद से कोई अता पता नहीं मिला। जो भी डीएनए वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के मलबे से बरामद हुए हैं उनके डाटा अमेरिकी मिलिट्री सर्विस के साथ भी साझा किया गया है। और बीते दो दशकों के दौरान मिलिट्री सर्विस के एक्सपर्ट ने भी उनकी जांच की है लेकिन आजतक उन्हें भी कोई कामयाबी नहीं मिली है। 

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