Video : PM Spoke to Labourers: सुरंग में मौत को दी मात, पीएम ने की बात

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Uttarkashi Tunnel Rescue PM Spoke to Labourers: उत्तरकाशी की सुरंग से कल 41 मजदूर सकुशल बाहर आ गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग से बाहर निकले मजदूरों से बात की है।

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Uttarkashi Tunnel Rescue PM Spoke to Labourers : उत्तरकाशी की सुरंग से कल 41 मजदूर सकुशल बाहर आ गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुरंग से बाहर निकले मजदूरों से बात की है। पीएम मोदी ने मजदूरों ने नई जिंदगी मिलने की बधाई दी। उनके हौंसलों की तारीफ की। उनका हालचाल जाना। पीएम मोदी ने कहा, 'आपने इस संकट की घड़ी में एक-दूसरे का हौंसला बनाए रखा। मैं रेस्क्यू का लगातार अपडेट ले रहा था। आपके परिवार ने भी हमारा सहयोग किया। आपका साहस और धैर्य प्रेरित करने वाला है। आपकी बहादुरी और संकल्प शक्ति ने नया जीवन दिया है। वी के सिंह की सेना की ट्रेनिंग काम आई। आपकी हिम्मत ने देश वासियों को प्रेरणा दी। हर किसी के जज्बे को सलाम है।' इस दौरान उन्होंने गब्बर सिंह नेगी की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि गब्बर सिंह ने सारे मजदूरों को संभाला।

सुरंग से 41 मजदूरों को बीती रात निकाल लिया गया। बीती रात रेस्क्यू के बाद सभी 41 मजदूरों को उत्तराखंड के चिन्यालीसौर अस्पताल में रखा गया है, जहां डॉक्टर उनकी लगातार निगरानी कर रहे हैं। फिलहाल सभी मजदूर सुरक्षित हैं। वो खाना पीना खा रहे हैं। डॉक्टर लगातार उनकी सेहत पर नजर बनाए हुए हैं। मजदूरों ने अपने घरवालों से बात की है।

Uttarkashi Tunnel Rescue : उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए जहां ऑगर मशीन फेल हो गई, वहीं रैट माइनर्स ने कमाल कर दिया। इसी की बदौलत सारे मजदूरों को बाहर निकाला जा सका।

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ऑगर मशीन 48 मीटर की खुदाई करने के बाद सुरंग में फंस गई थी। इसके बाद इसे काटकर बाहर निकाला गया। इसके बाद रैट माइनर्स को बुलाया गया। इन एक्सपर्ट ने मैन्युअल खुदाई की।

खुदाई पूरी होने के बाद इसमें 800 मिमी व्यास का पाइप डाला गया। इससे मजदूर बाहर आए।

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Rat Hole Mining : क्या है रैट होल माइनिंग?

सिल्क्यारा सुरंग में हॉरिजेंटल खुदाई मैन्युअल विधि से की गई। इन्हें रैट-होल माइनर कहा जाता है। रैट-होल माइनिंग अत्यंत संकीर्ण सुरंगों में की जाती है। कोयला निकालने के लिए माइनर्स हॉरिजेंटल सुरंगों में सैकड़ों फीट नीचे उतरते हैं। मेघालय में कोयला निकालने के लिए इसका विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। 

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