मधुमिता शुक्ला हत्याकांड के दोषी अमरमणि की गिरफ्तारी से रिहाई की पूरी कहानी, अस्पताल में काटी आधी सजा, उम्रकैद का ऐसे उड़ाया मज़ाक

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Madhumani Shukla Murder Story : यूपी के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी ने 20 साल की सजा काटी या उम्रकैद की सजा का मजाक उड़ाया. देखिए शम्स ताहिर खान की ये स्पेशल स्टोरी

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Madhumita Shukla Murder Story : हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम और वो कत्ल करके भी आसानी से हो जाते हैं आजाद. आजकल कोर्ट से सजा पा चुके सनसनीखेज मर्डर के दोषियों को भी पूरी सजा मिलने से पहले ही रिहाई मिलने लगी है. खासकर बाहुबली और अच्छी सेटिंग वाले अपराधियों को. राज्य चाहे कोई भी हो. यूपी हो या बिहार. या फिर गुजरात ही क्यों ना हो. आपने देखा होगा कि हाल में ही बिहार के बाहुबली आनंद मोहन की सजा को माफ करने के लिए वहां के कानून में ही बदलाव कर दिया गया. फिर उनके अच्छे आचरण को देखते हुए उम्रकैद की सजा काटने से पहले ही रिहाई मिल गई. इससे पहले, गुजरात के बिलकिस बानो केस (Bilkis Bano Case) में भी ऐसा ही हुआ. गैंगरेप और मर्डर केस के 11 दोषियों को पूरी सजा होने से पहले ही आजाद कर दिया गया. 

Amarmani Tripathi Story : अब यूपी की पूर्वांचल की सियासत से ताल्लुक रखने वाले बाहुबली नेता और 6 बार के विधायक और 3-3 सरकारों में मंत्री रह चुके अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई हुई है. कहने के लिए वो 20 साल बाद जेल से रिहा हुए. लेकिन अगर रिकॉर्ड को देखा जाए तो जेल में कुछ ही साल गुजारे और फिर करीब 10 साल से ज्यादा वक्त तो अस्पताल में ही रहे. कवियत्रि मधुमिता शुक्ला हत्याकांड और अमरमणि त्रिपाठी के अंजाम देने से लेकर रिहाई तक की पूरी कहानी. आइए जानते हैं शम्स ताहिर खान की इस स्पेशल स्टोरी से...

अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई के आदेश में क्या लिखा है

Amarmani Tripathi News : ये यूपी सरकार का वही आदेश है जिसने राज्य के बाहुबली नेता, छह बार के विधायक और तीन-तीन सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे अमरमणि त्रिपाठी की रिहाई का रास्ता साफ कर दिया और वो बीते शुक्रवार को रिहा भी हो गए। वही अमरमणि त्रिपाठी जिनपर सात महीने की एक एक गर्भवती महिला की हत्या का इलज़ाम था और जिसके लिए देश की हरेक अदालत ने उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सिर्फ उन्हें नहीं, बल्कि इस कत्ल के लिए उनकी पत्नी मधुमणि को भी यही सज़ा मिली थी। अब यूपी सरकार के इस आदेश की इस लाइन को ध्यान से पढ़िएगा....यहां लिखा है कि… अमरमणि त्रिपाठी ने 22 नवंबर 2022 तक कुल 20 साल एक महीना और 19 दिन जेल में काटे और जेल में उनके अच्छे आचरण को देखते हुए उन्हें रिहा कर दिया जाए।

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रिहाई में सरकारी भेदभाव, अभी भी सैकड़ों कैदी जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे

कागजों में 20 साल से ज्यादा सजा काटी, लेकिन…

Amarmani Tripathi UP : इस आदेश के हिसाब से अमरमणि और उनकी पत्नी ने बीस साल से ज्यादा जेल में सज़ा काटी है। पर अब आपको वो सच बताते हैं कि जिसे सुनने के बाद उम्र कैद की सज़ा काट रहा देश का हर कैदी खुद को कोसेगा कि उसके साथ सरकार या कानून ने नाइंसाफी क्यों की। तो पूर्व माननीय विधायक और मंत्री जी की उम्र कैद का कुल जोड़-घटाव ये है कि 2013 यानी पिछले दस साल में दोनों मियां-बीवी सिर्फ 16 महीने ही जेल में रहे. पिछले दो साल यानी 2021 से अब तक तो दोनों जेल गए ही नहीं। और तो और दोनों की रिहाई का परवाना भी उन्हें जेल में नहीं बल्कि गोरखपुर के बीआरडीओ अस्पताल में मिला। खुद जेलर साहब मुस्कुराते हुए वो परवाना लेकर शुक्रवार को अस्पताल पहुंचे थे। यानी पिछले दस सालों में साढ़े आठ साल से ज्यादा वक्त दोनों मियां-बीवी ने गोरखपुर जेल के बाहर एक सरकारी अस्पताल के दो खास कमरों में काट ली। पूरी आज़ादी के साथ। वो भी उन रहस्यमयी बीमारियों के नाम पर जिसके बारे में सही-सही जानकारी आज भी किसी को नहीं पता। 

अब ज़रा उसी यूपी सरकार के एक और आंकड़े पर नज़ डालते हैं। ये आंकड़े इसी साल के हैं और यूपी सरकार की तरफ से एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के सामने रखे गए थे। इन आंकड़ों के मुताबिक इस साल मई तक यूपी की अलग-अलग जेलों में उम्र कैद की सजा पाए कुल 15,771 कैदी बंद हैं। इनमें से 1958 कैदी ऐसे हैं जो 14 साल से ज्यादा अपनी सज़ा काट चुके हैं। पर कमाल देखिए जेल में सचमुच पूरी सजा काटने के बावजूद वक्त से पहले इनकी रिहाई के बारे में नहीं सोचा गया। लेकिन एक महिला के खिलाफ संगीन अपराध करने वाला अपनी पूरी उम्र कैद की आधी सज़ा और आखिरी दस सालों में फकत 16 महीने की सजा काट कर रिहा हो गया। देश में कानून, अदालत, जेल और सज़ा को कैसे कोई ठेंगे पर रख सकता है अमरमणि से बेहतर इसकी कोई दूसरी मिसाल हो ही नहीं सकती। इसने जब चाहा अपनी मर्जी से राज्य बदला, शहर बदला, जेल बदली, सज़ा बदली। एक तरह से सज़ा को मज़ाक बना कर रख दिया। 

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Madhumita Shukla murder case

9 मई 2003 को हुई थी मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हत्या

Madhumita Shukla Murder : 9 मई 2003 में लखीमपुर खीरी की कवयित्री मधुमिता शुक्ला की लखनऊ के पेपर मिल इलाके में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। तब वो सात महीने की गर्भवती थीं। अमरमणि और मधुमिता के बीच संबंध थे और कत्ल की वजह शादी थी। इस कत्ल की साजिश में अमरमणि की पत्नी मधुमिता भी शामिल थीं। जब ये वारदात हुई तब अमरमणि मायावती की बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री थे। पहले यूपी पुलिस फिर सीबीसीआईडी 20 दिन तक मामले को लटकाती रही। 20 दिन बाद जांच सीबीआई को सौंपी गई। तब कहीं जाकर अमरमणि और उनकी पत्नी गिरफ्तार हुईं। फिर भी गवाहों को धमकाने का सिलसिला जारी था। इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2005 में केस लखनऊ से उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया गया। 

 

साल 2007 में देहरादून कोर्ट ने 5 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी

Amarmani Tripathi Case : 24 अक्तूबर 2007 को देहरादून की निचली अदालत ने इस मामले में अमरमणि और मधुमणि समेत कुल पांच लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई। सज़ा सुनाए जाने के बाद से ही दोनों हरिद्वार की रौशनाबाद जेल में बंद थे। बाद में दोनों ने नैनीताल हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की। मगर इन दोनों अदालतों ने भी उम्र कैद की सज़ा बरकरार रखी। 

अब कानून के सारे रास्ते बंद हो चुके थे। और यहीं से अमरमणि ने खुद और खुद की पत्नी के लिए सियासत के रास्ते एक खिड़की खोली। उसने अपनी राजनीतिक रुसूख का इस्तेमाल करते हुए बड़़ी खामोशी से बाकी की सज़ा काटने के लिए राज्य और जेल दोनों का ही तबादला करवा लिया। 13 मार्च 2012 को अमरमणि हरिद्वार की रौशनाबाद जेल से गोरखपुर जेल पहुंच गया। मधुमणि त्रिपाठी यानी उसकी पत्नी पहले ही गोरखपुर पहुंच चुकी थी। गोरखपुर जेल से अमरमणि का गांव और विधानसभा क्षेत्र मुश्किल से 80 किलोमीटर दूर था। यानी अब वो अपने घर आ चुका था। लेकिन असली खेल तो अभी बाकी था। 

Gorakhpur Amarmani Tripathi release : अमरमणि त्रिपाठी 

8 साल तक देहरादून जेल में कोई बीमारी नहीं, यूपी आते ही बीमार

Gorakhpur Amarmani Tripathi release : गोरखपुर आने से पहले करीब आठ साल तक अमरमणि जेल में रहा मगर कभी कोई बीमारी नहीं हुई। लेकिन 2012 में गोरखपुर आते ही वो बीमार पड़ना शुरू हो गया। गोरखपुर आने के साल भर बाद ही सबसे पहले मधुमणि 27 फरवरी 2013 को इलाज के नाम पर बीआरडीओ अस्पताल पहुंची। इसके दो हफ्ते बाद ही 13 मार्च 2013 को अमरमणि भी उसी अस्पताल पहुंच गए। और तब से ही एक ऐसा इलाज शुरू हुआ जो रिहाई तक कभी खत्म ही नहीं हुआ। 

पिछले दस सालों में सिर्फ चंद ऐसे मौके आए जब दोनों अस्पताल से वापस जेल गए हों। ये चंद मौके भी कुल मिलाकर 16 महीने के थे। यानी बाकी के साढ़े आठ साल दोनों जेल में नहीं बल्कि इसी अस्पताल में रहे। इस अस्पताल की दूसरी मंज़िल पर प्राइवेट वार्ड है। जिसमें कुल 32 कमरे हैं। इसी प्राइवेट वार्ड के रूम नंबर 16 में अमरमणि और मधुमणि दाखिल हैं। परमानेंटली। दोनों इतने लंबे वक्त से यहां भर्ती हैं कि अब तो इनके 16 नंबर कमरा से नंबर तक हटा दिया गया है। 

 

अस्पताल का कमरा नंबर-16 अमरमणि का परमानेंट बना रहा

Crime Story in Hindi : अब प्राइवेड वार्ड में रूम नंबर 15 के बाद सीधे 17 आता है। क्योंकि 16 अमरमणि का परमानेंट कमरा है। यहां पुलिस वालों के साथ-साथ अमरमणि के तमाम गुर्गे हर वक्त मौजूद रहते हैं। कैमरा ले जाने या ऑन करने का तो सवाल ही नहीं उठता। एक बार जब ऑक्सीजन की कमी के चलते बच्चें की मौत की खबर को लेकर अस्पताल पर उंगली उठी थी और मीडिया यहां पहुंच गई तब खबर सुन कर अमरमणि पत्नी के साथ फौरन अश्पताल से जेल भाग लिए थे। ताकि मीडिया में उनकी तस्वीरें ना आ जाएं। मामला ठंडा होते ही वो वापस फिर से जेल से अस्पताल पहुंच गए। 

Gorakhpur Amarmani Tripathi release : अमरमणि त्रिपाठी 

बेटी की दिल्ली में सगाई तो एम्स दिल्ली में इलाज का ‘बहाना’

2019 में अमरमणि की बेटी की सगाई थी। सगाई दिल्ली में होनी थी। सगाई में शामिल होने के लिए कोर्ट ने अमरमणि को पेरोल देने से मना कर दिया। अमरमणि ने सगाई में शामिल होने का दूसरा रास्ता अपनाया। उसने डाक्टरों से मिलीभगत कर इलाज के नाम पर दिल्ली एम्स जाने का जुगाड़ करा लिया। 17 फरवरी 2019 को दिल्ली में सगाई थी। और उससे ठीक एक दिन पहले 16 फरवरी को बीआरडीओ मेडिकल कालेज के डाक्टरों ने अचानक बिगड़ी तबीयत का हवाला देकर उन्हें दिल्ली एम्स रेफर कर दिया। सोचिए 17 फरवरी को दिल्ली में बेटी की सगाई और एक दिन पहले अमरमणि को दिल्ली रफेर किया जाना। 

 

अस्पताल ने कभी भी बीमारी का नाम नहीं बताया, क्यों?

 

Crime News : अब सवाल है कि आखिर मियां-बीवी पिछले दस सालों में से साढ़े आठ साल तक जेल की बजाए अस्पताल में रह कर किस बीमारी का इलाज करा रहे थे? तो आप जान कर हैरान रह जाएंगे कि दोनों की सही-सही बीमारी की जानकारी आजतक किसी को नहीं दी गई। य़हां तक कि अदालतों को भी नहीं। मियां-बीवी की बीमारी को लेकर मधुमिता की बहन निधी शुक्ला ने कई बार कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई। ऐसी ही एक शिकायत पर अदालत ने मेडिकल कालेज प्रशासन से दोनों की बीमारी और इलाज की जानकारी मांगी। पर अस्पताल ने कोर्ट को जवाब ही नहीं भेजा। इसपर कोर्ट ने अस्पताल के तीन बड़े अधिकारियों और डाक्टर को हटाने का आदेश दे दिया था। लेकिन फिर भी अस्पताल ने दोनों की बीमारी की सच्चाई नहीं बताई। 

Madhumita Shukla Murder case : मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला आज भी इंसाफ की मांग कर रहीं हैं

अमरमणि और उसकी बीवी को है ये अजीब बीमारी

 

हालांकि दोनों की बीमारी की खबरें अब तक जो बाहर आई हैं उसके मुताबिक अमरमणि मानसिक रूप से बीमार हैं। उन्हें नींद नहीं आती, आती है तो सोते हुए डरावने सपने आते हैं, दोनों पैरों में सूजन है, दांत में भी तकलीफ है साथ ही दिल की भी बीमारी है। वहीं मधुमणि को गठिया की शिकायत है। कमर और घुटनों में दर्द रहता है, सर्वाइकल भी है। न्यूरो विभाग में इलाज चल रहा है। आम तौर पर सजायाफ्ता कैदियों की लंबी बीमारियों के इलाज का फैसला कोई मेडिकल बोर्ड करता है। बोर्ड में अलग-अलग डाक्टरों की टीम होती है। और फिर वही बीमारी देख कर ये तय करते हैं कि कैदी का इलाज कहां और कैसे कराया जाए। उसे किस अस्पताल में भेजा जाए। मगर कमाल देखिए दस साल में से साढ़े आठ साल अस्पताल में गुजार देने के बावजूद आजतक इन दोनों के मामले में कभी किसी मोडिकल बोर्ड की सिफारिश नहीं ली गई। 

Gorakhpur Amarmani Tripathi release मधुमिता शुक्ला के भाई विजय शुक्ला

रिहाई का आदेश मिला लेकिन इस वजह से अस्पताल से नहीं आ रहे बाहर

 

ये शायद देश का पहला ऐसा मामला होगा जिसमें उम्र कैद की सजा पाए किसी कैदी की रिहाई का परवाना जेल की बजाए अस्पताल पहुंचा हो और जो जेल की जगह अस्पताल से रिहा हुआ हो। हालांकि शुक्रवार को ही अमरमणि और उसकी पत्नी की रिहाई का परवाना उसे मिल चुका है। यानी कानूनी रूप से दोनों अब आज़ाद हैं। मगर इसके बावजूद सोमवार तक दोनों उसी बीआरडी अस्पताल में ही भर्ती थे। सूत्रों के मुताबिक दोनों जानते हैं कि अगर अस्पताल से रिहा होकर समर्थकों के बीच ठीकठाक पहुंचे तो आगे चल कर दोनों की बीमारी का सच सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है जिसने उनकी रिहाई पर यूपी सरकार से रिपोर्ट मांगी है। इसलिए बेहतर है जहां साढ़े आठ साल अस्पताल में काट लिए वहां कुछ दिन और सही। या फिर ये भी मुमकिन है कि गोरखपुर के अस्पताल से निकल कर किसी नामी अस्पताल से ही छुट्टी ली जाए। 

Watch Full Video : नीचे देखें मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की पूरी कहानी 

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