आखिर इमरान खान का क्या होने वाला है ?

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Imran Khan: पाकिस्तानी सांसद इमरान को खुलेआम फांसी देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर इमरान खान के साथ क्या होगा?

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क्या इमरान खान का हश्र भी ज़ुल्फिकार अली भुट्टो की तरह हो सकता है?

क्या इमरान खान को भी फांसी पर लटकाया जा सकता है?

क्या इमरान के समर्थकों का विरोध उनकी मौत की वजह बन सकती है?

क्या पाकिस्तानी फौज ने इमरान की जान लेने इरादा पक्का कर लिया है?

Imran Khan: पाकिस्तान (Pakistan) में हर तरफ मची मार-काट के बीच फिलहाल सबसे बडा सवाल यही है कि आखिर इमरान खान (Imran Khan) का क्या होनेवाला है? खुद इमरान सत्ताधारी पार्टियों के इशारे पर कभी पाकिस्तानी फौज के हाथों अपनी हत्या की आशंका जता रहे हैं, तो कभी लंदन प्लान के तहत खुद को दस सालों के लिए जेल में बंद करने की साजिश का खुलासा कर रहे हैं। दूसरी और पाकिस्तानी हुकूमत से लेकर वहां की फौज तक इमरान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात कर रही है। सांसद इमरान को खुलेआम फांसी देने की मांग कर रहे हैं। लेकिन इस बीच पाकिस्तानी फौज ने इमरान के खिलाफ जो कुछ कर दिया है, वो इमरान के लिए सचमुच खतरे की घंटी साबित हो सकती है। ऐसी खतरे की घंटी जिसमें इमरान को वाकई फांसी हो सकती है। दरअसल, पाकिस्तानी फौज ने इमरान के खिलाफ सबसे सख्त देशद्रोह विरोधी कानून के तहत ही मुकदमा दर्ज कर लिया है, जिसकी सुनवाई मिलिट्री कोर्ट में किए जाने की तैयारी है और इस कानून के तहत किसी को गुनहगार पाये जाने पर उसे आजीवन कारावास लेकर सजा ए मौत तक हो सकती है। यानी इमरान के सिर पर फिलहाल मौत नाच रही है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान पर मंडराते मौत के इस खतरे पर करेंगे, तफ्सील से बात, लेकिन पहले आइए पाकिस्तान की मौजूदा हालात पर एक निगाह डाल लेते हैं। फिलहाल पाकिस्तान में जिधर भी निगाह डालिए, उधर बवाल ही बवाल है। इमरान खान और उनकी पार्टी पाकिस्तान के तहरीक के इंसाफ यानी पीटीआई के समर्थक सत्ताधारी गठबंधन पाकिस्तान डेमोकेटिक मूवमेंट यानी पीडीएम से लोहा रहे हैं।

International News: सत्ताधारी पार्टी और पाकिस्तान सरकार वहां की सुप्रीम कोर्ट को ही आडे हाथों ले रही है। संसद में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया जा रहा है। इमरान समर्थक और पीटीआई के कार्यकर्ता सीधे पाकिस्तानी फौज पर हमले कर उसे दो-दो हाथ करने की चुनौती दे रहे हैं। सरकार लोगों के इस गुस्से को बम और गोलियों से कुचलने की कोशिश कर रही है। और तो और पाकिस्तान में अब इमरान के मुद्दे पर फौज ही दो हिस्सों में बंटी नजर आ रही है। पाकिस्तानी रेंजर्स और पाकिस्तान पुलिस के बीच भी जगह-जगह झड़प हो रही है। कुल मिलाकर अगर ये कहें कि पाकिस्तान में कौन किससे लड़ रहा है, कौन किसके खिलाफ खड़ा है, कौन किसका सपोर्ट कर रहा है, कौन अंदरखाते किसको नुकसान पहुंचाना चाहता है, अगर इसकी तह में जाने की कोशिश करें, तो दिमाग घूम सकता है। ऐसे में मोटे तौर पर बस इतना समझ लेना जरूरी है कि फिलहाल पाकिस्तान में एक तरफ इमरान खान, उनके समर्थक और कोर्ट है और दूसरी तरफ सरकार, सत्ताधारी दल, पाकिस्तानी फौज और आईएसआई। लेकिन इसी अराजक हालात के बीच जो सबसे बड़ा सवाल है, वो यही है कि आखिर पाकिस्तान के पूर्व प्रधामंत्री इमरान खान का क्या होनेवाला है? क्या पाकिस्तानी हुकूमत, वहां की फौज और आईएसआई से टकरा कर इमरान ने अपनी मौत बुला ली है?


Pakistan News: इमरान को बेशक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हाई कोर्ट से सौ से ज्यादा मामलों में जमानत मिल गई हो, लेकिन इसके बावजूद प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने इमरान खान के साथ सख्ती से पेश आने का इशारा किया है। शरीफ का कहना है कि इमरान की गिरफ्तारी के बाद देश में जिस तरह हिंसा हुई और लोगों ने फौज को निशाना बनाया, वो कोई दहशतगर्दी से कम नहीं है। ऐसे में हुकूमत भी ऐसे दहशतगर्दों से सख्ती से निपटेगी। उधर पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह पहले ही इमरान खान पर नए सिरे और मुकदमे दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने की चेतावनी दे चुके हैं। और इस बीच खुद इमरान खान ने अपने खिलाफ चल रही कार्रवाई के पीछे गहरी साजिश होने की बात कही है। इमरान ने इस साजिश को लंदन प्लान का नाम देते हुए ये कहा है कि उनके खिलाफ ये पूरी साजिश लंदन में तैयार की गई, जिसके मुताबिक उन्हें मिलिट्री कानून के तहत गिरफ्तार दस साल के लिए सलाखों के पीछे भेजने की तैयारी है। इमरान ने सोमवार को इस सिलसिले में एक के बाद एक कई ट्वीट किए और सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने एक ट्वीट में लिखा कि जब वो जेल में थे, तब हुई हिंसा के बहाने उन्होंने न्यायाधीश, ज्यूरी और जल्लाद की भूमिका अपना ली। इमरान का इशारा सत्ताधारी पार्टी और प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से था। 

लेकिन ये तो रही इमरान के ट्वीट की बात। सच्चाई भी यही है कि पाकिस्तान की सरकार और वहां की फौज इमरान के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की तैयारी कर चुकी है। ऐसी कार्रवाई, जिसमें गुनहगार पाये जाने पर इमरान को सजा ए मौत यानी फांसी तक दी जा सकती है। असल में पाकिस्तान की फौज ने इमरान के खिलाफ आर्मी एक्ट की धारा 59 और 60 के तहत देशद्रोह का केस दर्ज किया है। और इस कानून में जुर्म साबित होने पर अधिकतम सजा फांसी की है। इमरान के खिलाफ इस मुकदमे की सुनवाई पाकिस्तान की मिलिट्री सिमरी कोर्ट में किए जाने की तैयारी है। इमरान के खिलाफ ये केस पाकिस्तानी आर्मी के जनरल असीम मुनीर के उस बयान के बाद दर्ज किया गया है, जिसमें मुनीर ने कहा था कि मिलिस्ट्री संस्थानों पर हमला करेवालों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।

Vardaat Full Story: असल में इमरान पर अपने कार्यकर्ताओं और प्रदर्शनकारियों पर भड़काने का इल्जाम है। फौज का कहना है कि जिस तरह इमरान की गिरफ्तारी के बाद उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने फौजी ठिकानों के साथ-साथ फौजी अफसरों के घरों को निशाना बनाया, उससे अफसरों की जान को खतरा था। और ये मामला सिर्फ कुछ लोगों की जिंदगी का नहीं, बल्कि पूरे मुल्क की हिफाजत से जुडा मामला है। इमरान के खिलाफ कार्रवाई को लेकर वहां की फौज और पाकिस्तानी फौज के जनरल असीम मुनीर कितने सीरियस हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने इस मामले में संयुक्त अरब अमीरामत की तरफ से दी गई शांति के लिए मदद के प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया है। पाकिस्तान में जारी उथल पुथल के बीच मुनीर की यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद से बात हुई थी। कुछ सूत्रों का कहना है कि इस बातचीत के दौरान यूएई के राष्ट्रपति ने जनरल मुनीर से पाकिस्तान में जारी मौजूदा संकट को हल करने के लिए मदद करने की पेशकश भी की। लेकिन मुनीर ने इस पेशकश पर अपनी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। मतलब साफ है कि पाकिस्तानी फौज इमरान खान और उनकी पार्टी से अब अपने तौर पर निपटने की तैयारी कर रही है। इससे पहले इमरान की गिरफ्तारी के बाद फौज पर हुए हमले को मुनीर ने देश के इतिहास का काला पन्ना करार दिया था और कहा था कि ऐसा करनेवालों के साथ फौज सख्ती से निपटेगी।

वैसे पाकिस्तान का इतिहास भी कुछ ऐसा ही है। इमरान पाकिस्तान के सातवें ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री हैं, जिन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है। जबकि एक पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टों को तो फांसी ही दे दी गई थी। अब से 44 साल पहले 4 अपैल 1979 को भुट्टो को फांसी हुई थी। जिन पर एक सियासी विरोधी के कत्ल का इल्जाम था। 


पहले इमरान खान की गिरफ्तारी को लेकर पाकिस्तान में जंग छिड़ी थी और अब इमरान की रिहाई को लेकर पाकिस्तान में एक और नई जंग छिड़ गई है। इमरान की गिरफ्तारी के साथ शुरू हुआ बवाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। सुप्रीम कोर्ट के हस्तषेप के बाद बेशक पिछले शुक्रवार को इमरान को नेशनल एकाउंटेब्लिटी ब्यूरो यानी नैब के शिकंजे से रिहाई मिल गई हो, लेकिन अब इस रिहाई को लेकर इमरान के विरोधी सडकों पर उतर आए हैं। सत्ताधारी पार्टी गठबंधन ने इस मामले पर सीधे-सीधे देश के सुप्रीम कोर्ट पर ही पषपात का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट की घेरेबंदी शुरू कर दी है। धरना-प्रदर्शन और आंदोलनों का सिलसिला शुरू हो गया है और सत्ताधारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि जब तक इमरान को रिहाई देनेवाले सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस उमर अता बंदयाल अपनी कुर्सी से नहीं हटेंगे, ये सिलसिला जारी रहेगा।

इस बीच इमरान खान ने देश की हालत पर जो टिप्पणी की है, उससे मामले की नजातक को समझा जा सकता है। इमरान ने मौजूदा हालात की तुलना 1971 की लड़ाई से करते हुए पाकिस्तान को मिली हार की याद दिलाई है। जमानत पर रिहा होने के एक दिन बाद एक वीडियो संदेश में इमरान ने कहा कि पाकिस्तान में लोगों को डरा धमका कर कंट्रोल करने की कोशिश की जा रही है। मीडिया को भी कंट्रोल करने की कोशिश हो रही है। इन्हें पता नहीं कि ईस्ट पाकिस्तान में क्या हुा था। मार्च 1971 में मैं अंडर 19 टीम की ओर से ईस्ट पाकिस्तान में मैच खेलने के लिए गया था। वहां पाकिस्तान के खिलाफ जबरद्स्त नफर थी। तब भी मीडिया को कंट्रोल किया गया था। अब भी यही हो रहा है।

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