Exclusive: मोबाइल में थी शेयर मार्केट के ख़ज़ाने की चाबी, अनोखी चाबी ने ही करा दिया उसका क़त्ल, 120 सीसीटीवी कैमरों से खुला राज़

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EXCLUSIVE DELHI CRIME: ये शेयर ट्रेडिंग की वो डिवाइस थी जिसके जरिए चरणजीत सिंह ने मालिक हरेंद्र चौधरी को पैसा कमवाया और उसका विश्वास जीत लिया।

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EXCLUSIVE DELHI CRIME: दिल्ली के नरेला में कत्ल का बेहद सनसनीखेज मामला सामने आया है। ये वो हत्याकांड है जिसमें साजिशों का अंबार है। हर परत साजिश का कोहरा है। कत्ल की ये खौफनाक कहानी 9 सितंबर 2023 से शुरु होती है। इसी दिन नरेला थाने में एक पीसीआर कॉल आई। कॉल करने वाले ने बताया कि सिंघोला गांव में सीएनजी पंप के पास दो लोग लहूलुहान पड़े हैं। नरेला पुलिस तुरंत घटनास्थल पर पहुंची और मौके पर देखा की वहां एक नहीं बल्कि दो लोग को गंभीर रूप से घायल और खून से लथपथ पड़े थे। एक शख्स कार के अंदर घायल पड़ा था। दोनों को नरेला के एसआरएचसी अस्पताल ले जाया गया जहां कार के अंदर मिले शख्स की मौत हो गई। पुलिस को मौके से एक कार नंबर डीएल 9 सीएजेड 4688 आई-20 भी मिली। 

हत्याकांड में साजिशों का अंबार 

मरने वाले शख्स की पहचान चरणजीत सिंह, उम्र 28 वर्ष, निवासी रोहिणी, दिल्ली के रूप में की गई। दूसरे घायल व्यक्ति की पहचान खुशवीर सिंह, उम्र 43 वर्ष, निवासी सकूरपुर बस्ती, दिल्ली के रूप में हुई। जरूरी इलाज के बाद खुशवीर सिंह को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। पुलिस ने खुशवीर के बयान दर्ज करना शुरु किया। कुशवीर ने पुलिस को बताया कि वो अपने सहयोगी चरणजीत सिंह के साथ दिल्ली के द्वारका में रिलायबल एयरकोन नामक शेयर ट्रेडिंग कंपनी में काम करते थे। खुशवीर को दिल की बीमारी थी और वो इलाज के लिए चरणजीत के साथ पीजीआई चंडीगढ़ जा रहा था। दोनों ने चंडीगढ जाने के लिए मालिक की कार नंबर प्लेट DL 9CAZ 4688 ले ली थी। खुशवीर ने बताया कि उस रात लगभग 9:45 बजे रोहिणी के सेक्टर 16 में चरणजीत के आवास से अपनी यात्रा शुरू की। 

मोबाइल में शेयर मार्केट के ख़ज़ाने की चाबी

चरणजीत गाड़ी चला रहा था और वे कार में गैस भरवाने के लिए रात करीब 10:15 बजे सिंघोला गांव में सीएनजी पंप पर पहुंचे। इसके बाद सीएनजी पंप से निकलने के बाद एप्रोच रोड पर महज 100 मीटर की दूरी तय करते समय उनकी कार को एक सफेद कार ने रोक लिया। जैसे ही चरणजीत सिंह ने कार रोकी, उन्हें चाकू दिखाकर धमकाया गया जबकि अन्य हमलावरों ने उनका बैग और कार में रखा सामान लूटना शुरु कर दिया। खुशवीर सिंह को भी दो अन्य अपराधियों ने रोक लिया और उन पर हमला करना शुरू कर दिया। चरणजीत सिंह ने झगड़ा किया जिससे हमलावर और भी क्रोधित हो गए और उन्होंने चरण पर कई बार चाकू से वार किए। खुशवीर सिंह को भी चोटें आईं और वह बेहोश हो गए। हमलावरों ने चरणजीत सिंह के कपड़ों से भरा बैग, उनका बटुआ, दो मोबाइल फोन और रुपये सहित उनका सारा कीमती सामान लूट लिया। घटनास्थल से भागने से पहले 25,000 नकद भी ले लिए। 

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पुलिस ने खंगाले 120 सीसीटीवी कैमरे

अब पुलिस ने कातिलों और लुटेरों की तलाश शुरु की। पुलिस ने बाहरी उत्तरी जिले के क्षेत्र में स्थापित 120 से अधिक सीसीटीवी कैमरों, कई संदिग्धों के मोबाइल डंप डाटा खंगाले।  सीडीआर का विश्लेषण किया। सीसीटीवी फुटेज की जांच के दौरान घटना के एक चश्मदीद गवाह का पता चला। पुलिस इस शख्स से पूछताछ की तो पूरी कहानी ही पलट गई। चश्मदीद ने बताया कि लूटपाट जैसी कोई वारदात यहां हुई ही नहीं है। यहीं से पुलिस को चरणजीत के साथी खुशवीर सिंह पर शक गहरा गया। पुलिस ने खुशवीर से कड़ाई से पूछताछ की तो कत्ल की साजिश का चौंकाने वाला खुलासा हुआ। लगातार पूछताछ करने पर शिकायतकर्ता टूट गया और उसने पूरी तरह से अलग और बहुत चौंकाने वाली बात बताई। 

हत्या की खौफनाक साजिश 

खुशवीर ने पुलिस को बताया कि वह 35 साल से चरणजीत सिंह के परिवार के पारिवारिक मित्र थे और वह 12 साल से द्वारका सेक्टर 10 स्थित हरेंद्र चौधरी की शेयर ट्रेडिंग फर्म मेसर्स रिलायबल एयरकॉन कंपनी में काम करते हैं। उन्होंने चरणजीत सिंह, जो शेयर ट्रेडिंग का बहुत अच्छा ज्ञान रखते थे और शेयर बाजार का विश्लेषण करने के लिए एक डिवाइस भी विकसित की थी। ये शेयर ट्रेडिंग की वो डिवाइस थी जिसके जरिए चरणजीत सिंह ने मालिक हरेंद्र चौधरी को पैसा कमवाया और उसका विश्वास जीत लिया। बहुत ही कम समय में फर्म के मालिक हरिंदर चौधरी के साथ उनकी अच्छी पहचान हो गई और हरिंदर चौधरी ने चरणजीत सिंह के नाम पर एक एक्सयूवी कार नंबर डीएल 4 सीबीसी 2860 खरीदी। कुछ समय बाद चरणजीत ने एक उपकरण भी विकसित किया जिसका उपयोग उनके द्वारा शेयर बाजार के विश्लेषण में किया जा रहा था और उन्होंने फर्म के कार्यालय से कुछ अन्य ग्राहकों के लिए भी काम शुरू किया जिससे कार्यालय में चीजें खराब होने लगीं। 

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शेयर ट्रेडिंग की वो जादुई डिवाइस

चरणजीत सिंह ने खुशवीर सिंह को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद, मालिक हरेंद्र चौधरी भी चरणजीत सिंह से नाराज़ रहने लगा क्योंकि चरणजीत सिंह ने कुछ निजी ग्राहकों के लिए भी काम करना शुरू कर दिया था और उसने अपना शेयर ट्रेडिंग उपकरण हरेंद्र सिंह के साथ साझा नहीं किया था, जिसके लिए हरेंद्र चौधरी चरणजीत सिंह से नाराज़ रहने लगा था। इसके बाद, मालिक हरिंदर चौधरी और खुशबीर सिंह दोनों ने चरणजीत सिंह को खत्म कर शेयर डिवाइस हासिल करने की साजिश रची। उन्होंने चरणजीत सिंह को खत्म करने के लिए जीतू शर्मा नाम के एक अन्य व्यक्ति को शामिल किया, जो मालिक हरिंदर सिंह को जानता था। कत्ल की योजना के मुताबिक 28 अगस्त को खुशवीर सिंह ने चरणजीत सिंह को पीजीआई चंडीगढ़ इलाज के लिए चलने को बोला। खुशवीर सिंह इलाज कराने के बहाने ट्रेन चरणजीत को चंडीगढ़ ले गया। हरिंदर चौधरी ने जीतू शर्मा को पहले से ही चंडीगढ़ भेज रखा था। जीतू चंडीगढ़ में खुशवीर सिंह से मिला और खुशवीर सिंह ने होशियारपुर एक्सप्रेस में जीतू शर्मा के लिए ट्रेन टिकट बुक कर दिया। वो ही ट्रेन जिससे खुशबीर व चरणजीत सिंह चंडीगढ़ से दिल्ली वापस लौट रहे थे।  

चलती ट्रेन से नीचे धक्का देने का प्लान

योजना के अनुसार जीतू शर्मा और खुशबीर सिंह को चरणजीत सिंह का डिवाइस वाला बैग छीनने के बाद उसे चलती ट्रेन से नीचे धक्का देना था। यात्रा के दौरान योजना विफल हो गई क्योंकि वे दोनों चरणजीत सिंह को ट्रेन से नीचे धकेलने में सफल नहीं हो सके। इसके बाद, मालिक हरिंदर और खुशवीर सिंह ने कार से चंडीगढ़ जाते समय चरणजीत सिंह को खत्म करने की एक और योजना बनाई। उनकी योजना के अनुसार खुशबीर सिंह ने चरणजीत सिंह से कहा कि उसे अपने दिल की बीमारी का इलाज कराने के लिए फिर से पीजीआई चंडीगढ़ जाना होगा और उन्हें मालिक की कार से जाना होगा। चरणजीत सिंह ने मालिक से कार ली और चंडीगढञ को रवाना हो गए। योजना के अनुसार जीतू शर्मा ने अपने नजदीकी गांव नंगला, जट्टारी, अलीगढ़ के पास से भूरा सिंह उर्फ ​​​​कुणाल नामक एक अन्य व्यक्ति को शामिल किया। रात करीब 10 बजे जीतू शर्मा और भूरा सिंह उर्फ ​​कुणाल ने सीएनजी पंप सिंघौला गांव के पास अपनी पोजीशन ले ली और खुशबीर सिंह ने सीएनजी पंप सिंघोला के पास उल्टी करने के बहाने कार रुकवा ली। जैसे ही कार सीएनजी पंप के पास रुकी, जीतू शर्मा और भूरा सिंह और खुशवीर सिंह ने मृतक चरणजीत सिंह को पकड़ लिया और उस पर चाकू से कई वार किए। चरणजीत की हत्या के बाद खुशवीर सिंह ने जीतू शर्मा और भूरा सिंह को बैग और मोबाइल फोन सौंप दिए ताकि उनके साथ हुई घटना को लूट का रूप दिया जा सके। 

इस तरह खुला राज़

इसके बाद भूरा सिंह और जीतू शर्मा मौके से भाग गए और खुशबीर सिंह ने कुछ चोटें लगने के बाद बेहोश होने का नाटक किया। लगातार पूछताछ के दौरान चारों आरोपियों ने चरणजीत सिंह की हत्या में अपनी संलिप्तता कबूल कर ली। आरोपियों को आगे की जांच के लिए नरेला, दिल्ली के कर्मचारियों को सौंप दिया गया। घटना के दौरान सभी आरोपी मोबाइल फोन पर लगातार एक-दूसरे के संपर्क में थे। आरोपी खुशवीर सिंह से गहन पूछताछ के दौरान पता चला कि उसके और चरणजीत सिंह के बीच 35 साल पुराना पारिवारिक रिश्ता था। खुशवीर सिंह हरिंदर चौधरी की द्वारका सेक्टर 10 में स्थित एक शेयर ट्रेडिंग फर्म, एयरकॉन प्राइवेट लिमिटेड में काम करते थे। उन्होंने चरणजीत सिंह को शेयर ट्रेडिंग की जबरदस्त जानकारी थी। शेयर बाजार विश्लेषण के लिए उनकी डिवाइस का लाभ उठाते हुए हरेंद्र चौधरी ने करोड़ों रुपए कमाए। जैसे ही चरणजीत सिंह ने फर्म के कार्यालय से निजी ग्राहकों के लिए काम करना शुरू किया और हरिंदर सिंह के साथ अपने शेयर ट्रेडिंग डिवाइस साझा करने से परहेज किया दोनों के बीच तनाव बढ़ गया, जिससे उनके बीच दुश्मनी पैदा हो गई।  पुलिस ने हत्याकांड में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने खून से सना चाकू, लूटी गई डिवाइस और बैग बरामद कर लिया है।  

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