क्या चुनाव से धुलेंगे आज़म ख़ान एंड फैमिली पर लगे 300 मुक़दमों के दाग़?

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रामपुर से फ़र्रूख़ हैदर, चिराग गोठी, प्रिवेश पांडे, विनोद शिकारपुरी के साथ मनीषा झा की रिपोर्ट

UP Election Rampur : रामपुर विधानसभा सीट उत्तर प्रदेश की हॉट सीटों में से एक हैं. समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में सत्ता में अपना अच्छा-खासा दबदबा रखने वाले आज़म ख़ान जेल में बंद हैं और पूरा परिवार ही पुलिस की रडार पर है.

आज़म ख़ान और उनके परिवार के लिए मानों 2017 से ही बुरा वक़्त शुरु हो गया.चुनाव के कुछ महीने बाद ही आज़म खान के खिलाफ़ रामपुर के तत्कालीन ज़िलाधिकारी ने अनुसूचित जाति के लोगों की 104 एकड़ ज़मीन नियमों के खिलाफ़ खरीदने के लिए राजस्व बोर्ड में 10 मामले दर्ज किए गए थे.

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कुछ दिन पहले आज़म ख़ान के बेटे अब्दुल्लाह आलम जेल ले रिहा हो चुके हैं और फिर से चुनावी मैदान में हैं. जेल से बाहर आते ही वो बीजेपी पर बरस पड़े. योगी सरकार पर झूठी और गलत आरोपों के आधार पर कार्यवाई करने का आरोप लगाते हुआ अपना दर्द बयां किया है.

समाजवादी पार्टी ने एक बार फिर आज़म ख़ान और उनके बेटे अब्दुल्लाह आज़म को टिकट दिया है. इस बार जीतना अब्दुल्लाह आज़म के लिए बहुत बड़ी चुनौती के साथ-साथ अग्नि परीक्षा भी साबित होगी. इससे पहले यानि की 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर ही रामपुर की स्वार विधानसभा सीट से अब्दुल्लाह चुनाव लड़े थे और जीते भी थे.

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विधायक तो अब्दुल्लाह आज़म बन गए लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी नवाब काज़ि अली और सुना वेद मियां ने अब्दुल्लाह आज़म की विधायकी लड़ने की उम्र को लेकर सवाल उठा दिए और इसका अच्छा खासा नुकसान अब्दुल्लाह आज़म को उठाना पड़ गया. और इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब्दुल्लाह आज़म का निर्वाचन रद्द कर दिया. सिर्फ़ इतना ही नहीं अब्दुल्लाह इन सबके अलावा ज़मीन कब्ज़ाने, फ़र्जी कागज़ात पेश करने समेत और भी कई मामले दर्ज हैं.

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43 मामलों में फ़िलहाल आज़म ख़ान के बेटे को ज़मानत मिली है. उनकी मां भी जेल से रिहा हो चुकी हैं. लेकिन अब्दुल्लाह ख़ान के वालिद आज़म ख़ान अभी भी जेल में हैं. पूरे परिवार पर 300 से ज़्यादा मामले दर्ज हैं. अब्दुल्लाह आज़म बताते हैं कि उनके परिवार पर ज़ुल्म हो रहा है और उन्हें डर है कि जेल में रहते हुए आज़म ख़ान की जान को ख़तरा है।

इसके अलावा अब्दुल्लाह बताते हैं कि कोरोना की सेकेंड वेव के दौरान जिस तरह की स्वास्थ्य सेवाएं उन्हें मिलनी चाहिए थी वो नहीं मिली. कोरोना पीड़ित होने के बाद शुरुआती 8 से 10 दिनों तक तो इलाज भी नहीं मिला.

चुनाव प्रचार को लेकर भी अब्दुल्लाह आज़म का दर्द छलका, वो कहते हैं कि चुनाव आयोग ने डोर-टू-डोर कैंपेन को इजाज़त दी है. 10 लोग प्रचार के लिए जा सकते हैं लेकिन मैं अकेला भी जाता हूं तो पुलिस का एक पूरा घेरा मेरे आगे-पीछे रहता है.

अब्दुल्लाह आज़म ने आरोप लगाते हुए और ख़ुद का मासूम और निर्दोष बताते हुए कहा कि नियम सबके लिए एक जैसे होने चाहिए. अब देखना ये दिचस्प होगा कि नतीजे क्या बताते हैं. 2017 में जीत कर भी हार चुके अब्दुल्लाह इस बार कितनी मज़बूती के मैदान में टिक पाते हैं.

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