Video: एमपी की अनोखी अंगारों वाली होली, ये है आग से खेलने की 500 साल पुरानी परंपरा, देखिए हैरतअंगेज़ वीडियो

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Holi Video: वो खेल जिसमें लोग सैकड़ों साल पुरानी परंपरा की दुहाई देते हुए आग पर चलते हैं और कहते हैं कि देवी की यही मर्जी है।

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रायसेन से राजेश रजक की रिपोर्ट

MP Holi Video: यूं तो होली रंगों का त्योहार है। होली का त्योहार मान्यताओं और परंपराओं का समागम है। देश के अलग-अलग हिस्सों में होली हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। कहीं फूलों से होली खेली जाती है, तो कहीं पर लोग एक दूसरे पर लट्ठ बरसातें हुए होली खेलते हैं। लेकिन आपने कभी आग के जलते अंगारों पर चलकर होली खेले जाने के बारे में सुना है। इस पर यकीन कर पाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन सिलवानी तहसील के दो गांवो में होली के दिन अंगारों पर चलने की परंपरा है। 

आग के जलते अंगारों पर चलकर होली 

यहां आग वाली होली का एक खेल भी खेला जाता है। वो खेल जिसमें लोग सैकड़ों साल पुरानी परंपरा की दुहाई देते हुए आग पर चलते हैं और कहते हैं कि देवी की यही मर्जी है। जलते धधकते आग के शोलों पर सैकड़ों लोगों की चहलकदमी किसी को भी हैरान कर सकती है। आग के बीच से गुजरते वक्त लोग इत्मिनान में दिखते हैं उतनी ही तालियां भी बटोरते हैं। धधकते शोलों पर इनके कदम यूं चलते जा रहे हैं मानों वो आग पर नहीं बल्कि मिट्टी की ढेर पर चल रहे हों। आग से झुलसने और उसकी तपिश का रत्ती भर एहसास भी इनके चहरों पर नज़र नहीं आता है। 

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सैकड़ों साल पुरानी परंपरा की दुहाई

बड़े आराम से आग को अपने पैरों से ठोकर मारते ये लोग शोलों के ऊपर से गुजर रहे हैं। ये मध्य प्रदेश की तस्वीरें हैं। रायसेन जिले के सिलवानी के दो ग्रामो में एवं वेगामगंज के एक ग्राम में अनोखे तरह से होली मनाई जाती है। यह परंपरा ग्राम चंद्रपुरा में 15 वर्ष से चली आ रही है। वहीं ग्राम महगमा पांच सौ साल पुरानी परंपरा आज के आधुनिक युग मे भी जारी है। इसके अलावा बेगमगंज के ग्राम सेमरा में भी 150 वर्षो से होली के दहकते अंगारो में से होकर दर्जनों गांव वाले गुजरते हैं। यहां रंगों के साथ-साथ आग से भी खेल होता है। धधकते शोलों को पांव से रौंदा जाता है। पिछले कई साल से धधकती आग से दो-दो हाथ करने वालों का दावा है कि उन्हें तो इसकी तपिश का ज़रा भी एहसास नहीं होता। 

पांच सौ साल पुरानी परंपरा 

आग से खेल की इस परंपरा की शुरुआत होली की सुबह से शुरु होती है। ये खेल देखने लोग गांव में एक जगह इकट्ठा होते हैं। लोग आग में नारियल फेंकते हैं ताकि आग और भड़क सके और फिर शुरू हो जाता है अंगारों पर चलने का सिलसिला जो कई घंटों तक जारी रहता है। इस गांव में जितने शौक से लोग आग पर चलते हैं उतने ही मज़े से गांव और गांव के बाहर से आए लोग ये खेल देखते हैं। होली में अंगारों पर चलने की ये परंपरा बहुत पुरानी है और आप इसे कुछ भी कहें यहां के लोग तो मानते है कि ये आग शुभ है और आग पर चलने से गांव वाले सुखी रहते हैं। 
 

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