UP News : 6 साल से एक बुजुर्ग को जिंदा साबित करने के लिए सच में सरकारी अफसरों के सामने मरना पड़ा

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UP Sant Kabir Nagar Crime : वो शख्स जिंदा था. लेकिन कागजों में मुर्दा. 6 साल से वो खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे थे. फिर वो दिन आया जब सरकारी ऑफिस में खुद को जिंदा होने का सबूत देने के लिए पहुंचे और सच में वहीं उनकी मौत हो गई. ये अजीब और दिल दहलाने वाली खबर है यूपी के संतकबीर नगर से.

जिस शख्स की मौत हुई उनकी उम्र 70 साल थी. उनकी मौत सरकारी अफसरों की आंखों के सामने हुई. जिनकी नजरों में 6 साल पहले ही वो मर चुके थे. फिर भी खुद को जिंदा बताने के लिए वो चक्कर काटते रहे. उसी जद्दोजहद में आखिर उन्होंने हकीकत में दम तोड़ दिया. लेकिन अफसोस वो शख्स सरकारी अफसरों के सामने मरकर भी पिछले 6 सालों से जिंदा रहने की बात को सच साबित नहीं कर पाए.

असल में 6 साल पहले इस बुजुर्ग के भाई की मौत हुई थी. लेकिन कागजों में भाई की जगह इनका मरने वाले की जगह सरकारी रिकॉर्ड में नाम चढ़ गया. बस फिर क्या था उनी प्रॉपर्टी को भी सरकारी अफसरों ने दूसरे के नाम पर कर दिया. जिसे ठीक कराने के लिए वो चक्कर काटते रहे.

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मौत हुई बड़े भाई फेरई की, कागजों में नाम चढ़ा छोटे भाई खेलई का

Ajab Gajab News : रिपोर्ट के अनुसार, यूपी के संतकबीर नगर में खेलई और फेरई नाम के दो भाई रहते थे. फेरई बड़े और खेलई छोटे थे. साल 2016 में फेरई की मौत हो गई. लेकिन मृत्यु प्रमाण पत्र में खेलई का नाम दर्ज हो गया. उस समय तो ये गलती से हुआ या फिर साजिश, ये तो समझ में नहीं आया. लेकिन उसे सुधारा नहीं गया. ये पूरी घटना संतकबीर नगर के धनघटा तहसील एरिया की है. इसमें लेखपाल और तहसील में कार्यरत अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया.

लेकिन मामला यहां तक तो सिर्फ कागजों में सिमटा था. लेकिन असली दिक्कत इससे आगे शुरू हुई. इसके बाद एक फर्जी वसीयत बनाई गई. इसके जरिए जिस भाई फेरई की मौत हुई थी अफसरों ने उनके परिवार से पैसों की डील करके नया कारनामा कर दिया. जिंदा खेरई की संपत्ति की वसीयत को मर चुके फेरई की पत्नी और उनके बेटों के नाम कर दिया. इस वसीयत में मर चुके फेरई की पत्नी सोमारी और तीन बेटे छोटेलाल, चालूराम और हरकनाथ के नाम पर हो गई. ये पता चलते ही खेलई परेशान हो गए. सरकारी अफसरों के पास पहुंचे. उन्हें बताया गया कि खेलई की बिना सहमति के उनकी संपत्ति की वसीयत दूसरे के नाम पर कैसे हुई.

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उधर से जवाब मिला कि खेलई तो मर चुका है. इस पर खेलई ने जवाब दिया कि जो सामने खड़ा है वो जिंदा है, मरा नहीं है. इस तरह पिछले कई सालों से वो लगातार सरकारी कार्यालयों के चक्कर काटते रहे लेकिन उनकी समस्या दूर नहीं हुई. तहसीलदार से लेकर एसडीएम, नायब तहसीलदार, क्लर्क हर किसी से मिलकर उन्होंने खुद को जिंदा रहने का दावा किया.लेकिन हर बार उन्हें भगा दिया गया.

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अफसरों ने कहा : अब कराएंगे जांच

खेलई के एक बेटे ने मीडिया को बताया कि 16 नवंबर को भी तहसील में बुलाया गया था. वहां पर वो खुद को जिंदा बताते हुए वसीयत को फिर अपने नाम कराने की बात कर रहे थे. लेकिन उसी दौरान उनकी अचानक तबीयत बिगड़ी और फिर खेलई की सुबह 11 बजे मौत हो गई.

खेलई के बेटों ने बताया कि मां की पहले ही मौत हो गई थी. अब पिता 6 साल से खुद को जिंदा होने का दावा करते रहे. लेकिन अफसर उन्हें मरा हुआ मानते रहे. और आखिर में अफसरों की बात सच साबित हुई और उनकी अफसरों की आंखों के सामने ही मौत हो गई. अब अधिकारियों का कहना है कि उनका प्रोसेस हो रहा था और 16 नवंबर को जिस दिन सबकुछ उनके नाम किया जाने वाला था उसी दिन उनकी मौत हो गई. वहीं, एसडीएम ने इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं.

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