मुर्ग मुसल्लम, तीतर बटेर की दावतें, अब जेल की दाल-रोटी चावल और चने का सहारा, क्या से क्या हो गए आज़म ख़ान!

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आज़म खान
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UP NEWS AZAM KHAN SPECIAL: समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आजम खान की सपा की सरकार में तूती बोलती थी। पूरब से पश्चिम तक हजारों लोग आजम खान से मुलाकात के लिए पलकें बिछाए रहता थे। हर रोज दावतों का दौर चलता था। दस्तरखान पर नॉनवेज के दर्जनों आइटम सजाए जाते थे। क्या मुर्ग मुस्ल्लम, कोरमा, मटन बिरयानी, रोगनजोश और कवाबों की लंबी चौड़ी दावतें होती थीं। रामपुर से लेकर सहारनपुर हो या मुरादाबाद और लखनऊ आजम के लिए पलक पांवड़े बिछे होते थे।

पूरब से पश्चिम तक आज़म का जलवा

योगी सरकार के आने बाद आजम के दिन पलटने लगे। एक के बाद एक केस खुलते गए। आजम के जलवों पर ग्रहण लग गया। फिलहाल उनके ऊपर इतने मामलों की कायमी है कि शायद वो खुद भी गिनती करते करते थक जाएं। पुलिस के रिकॉर्ड में आजम खान के नाम के आगे जो दर्ज है, वो भी कम दिलचस्प नहीं है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक़ आज़म भैंस चोर हैं, आज़म बकरी चोर हैं, उन्होंने किताबें भी चुराईं। पूर्व सांसद पर भूमाफ़िया जैसे संगीन इल्जाम हैं। वो अवैध रुप से पेड़ भी कटवाते हैं यानि जंगल चोरी का भी इल्ज़ाम इनके कुर्ते पर पैबंद लगा दिखता है। 

एक के बाद एक केस खुलते गए

फिर किसानों की ज़बरदस्ती ज़मीन हथियानें के मुकदमें उनके नाम पर दर्ज हैं। इसके अलावा कोई आजम खान के नाम जुर्म की हर धारा में कोई न कोई मुकदमा तो दर्ज है ही। अब आप सोच रहे होंगे कि कोर्ट कचहरी और पुलिस के चक्कर में तो इस ख़ानदान का बैंड बज चुका होगा। आप बिल्कुल सही सोच रहे हैं। आजम खान उनका बेटा अबदुल्ला आजम और पत्नी तजीन फातिमा जेल में हैं। बाहर बचे तो बस दो अफराद एक आजम का बेटा अदीब आजम खान और उनकी बीवी सिदरा। 

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बेटा, बीवी और खुद जेल की सलाखों में

अदीब आजम को छोड़ दें तो इस ख़ानदान का शायद ही कोई ऐसा चश्मोचिराग़ हो जिसका नाम पुलिस के मुकदमों वाली डायरी में दर्ज ना हो। आजम खान की बीवी तज़ीन फ़ातिमा रामपुर शहर की विधायक रहीं और उनके बड़े बेटे अब्दुल्ला आज़म पर भी पुलिस और सरकार कुछ एक्स्ट्रा मेहरबान है जो अब जेल की सलाखों के पीछे सजा काट रहे हैं। इन दोनों पर भी दर्जनों की तादाद में मुकदमे दर्ज हैं।  

तब होता था आज़म खान का जलवा

सूबे में जबसे भारतीय जनता पार्टी की योगी सरकार की हुकूमत आई है बस तभी से आजम खान के बुरे दिन शुरू हो गए, वर्ना इलाक़े में तो उनके नाम का रुआब है। मजाल है किसी कि उनकी हवेली के आसपास भी कोई ऊंची आवाज़ में बात भी कर ले। मगर BJP की सरकार में आने के बाद पुलिस और कोर्ट कचहरी उन पर इस कदर मेहरबान हुई कि आख़िरकार 2020 में आजम खान को माई लॉर्ड के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा। वो लैविश लाइफ स्टाइल , वीआईपी रुतबा तो अब ख्वाबों की बात रह गई है।

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जेल की सलाखों से उनकी पुरानी यारी 

यूं तो आजम खान का जेल जाना कोई नई बात नहीं, जेल की सलाखों से उनकी पुरानी यारी रही है। इंदिरा गांधी के काल में इमरजेंसी का विरोध करते हुए जेल गए और नेता बन गए, उस वक़्त वो अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के नेता था। बताया जाता है कि तब भी पुलिस आजम खान पर इस कदर मेहरबान थी कि उन्हें ऐसी काली कोठरी में बंद किया गया था जहां सूरज की रोशनी तक नहीं आती थी।

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मुकदमों की लंबी फेहरिस्त

रामपुर की एक बड़ी ही मशहूर यूनिवर्सिटी है मौलाना जौहर अली यूनिवर्सिटी जिसके लिए ज़मीन कब्ज़ा करने के आरोप में आजम खान के ख़िलाफ़ 28 मुकदमें दर्ज हुए। लेकिन दिलचस्प मोड़ आया जब यतीम ख़ाने से भैंसों की चोरी के मामले में उनके नाम पर नौ मुकदमें दर्ज हो गए। मुकदमों की ये फेहरिस्त हर गुज़रते दिन के साथ बेशक लंबी होती चली गई लेकिन उनके रुआब में कोई कमी नहीं आई। आजम खान को अक्सर लोगों ने ये कहते सुना होगा कि उनका दामन दाग़दार नहीं है। लेकिन हक़ीक़त तो ये है कि उनके दामन में अब तो दाग़ भी लगने की जगह भी नहीं बची। और ये सब कुछ हुआ बीते दो दशक में। 

साल दर साल सजा पर सजा

उत्तर प्रदेश में रामपुर की एमपी-एमएलए अदालत ने खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में पिछले साल अक्टूबर में दोषी करार देते हुए तीन साल कैद और छह हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। बाद में उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी गयी थी। 18 अक्टूबर को रामपुर की एक अदालत ने समाजवादी पार्टी (सपा) नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के पांच साल पुराने मामले में दोषी ठहराते हुए सात साल की सजा सुनाई थी। एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट शोभित बंसल की अदालत ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के 2019 के मामले में आजम खान, तंजीन फातिमा और अब्दुल्ला आजम को दोषी ठहराया और अधिकतम सात साल की सजा सुनाई थी।

फर्जी जन्म प्रमाण पत्र केस में सात साल की सजा 

दर्ज करायी गई एक प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि आजम खान और उनकी पत्नी ने अपने बेटे के दो फर्जी जन्मतिथि प्रमाणपत्र प्राप्त किए। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया था कि आजम खान और उनकी पत्नी ने इसमें से एक जन्म प्रमाणपत्र लखनऊ से और दूसरा रामपुर से प्राप्त किया गया था। आरोप पत्र के अनुसार, रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी एक जन्म प्रमाणपत्र में, अब्दुल्ला आजम की जन्म तिथि एक जनवरी, 1993 बताई गई थी। इसके अनुसार दूसरे प्रमाणपत्र के अनुसार उनका जन्म 30 सितंबर, 1990 को लखनऊ में हुआ था।

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