जब रिवॉल्वर देखते ही पंकज उधास ने गाना शुरू किया, हुई महंगी बहुत ही शराब के...थोड़ी थोड़ी पिया करो...
Pankaj Udhas Sing at Gun Point: गजल गायकी के आसमान के एक शानदार सितारे की तरह चमकने वाले पंकज उधास को वो दिन कभी नहीं भूला जब उन्हें रिवॉल्वर देखकर गजल गानी पड़ी।
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Ghazal Singer Pankaj Udhas: किसी भी शायर या गजल गायक के पास कुछ अल्फाज ऐसे होते हैं जिनका जुर्म की दुनिया के बहुत गहरा नाता होता है। मसलन शराब। ये ऐसी चीज है जो अक्सर शेरो और शायरी में इस्तेमाल होती है और गजल गायकी करने वाले सिंगर इस शब्द का बेधड़क इस्तेमाल करते हैं। पंकज उधास की कुछ गजलों में ये शराब वाली गजल अपने दौर में लोगों को इतनी पसंद आती थी कि लोग मान चुके थे कि पंकज उधास भी अच्छे खासे पीने वाले होंगे। और इसी चक्कर में एक बार पंकज उधास ऐसे चक्कर में फंसे कि उन्हें बंदूक के डर से भी गाना गाना पड़ा।
निखालिस किस्सा जो खुद पंकज उधास ने सुनाया
ये किस्सा बेहद रोचक है। और मजे की बात ये है कि ये किस्सा उन्होंने खुद ही सुनाया तो किस्से में किसी तरह की कोई मिलावट होने की कोई गुंजाइश भी नहीं है।
शुरुआती झटकों का दौर
असल में हुआ कुछ ऐसा कि 1980 और 1990 के दशक के शुरूआती दिनों की बात है। तब वो एक बार नाकाम होने का स्वाद चख चुके थे। उन्होंने अपने भाई की देखा देखी फिल्मों में अपनी किस्मत आजमाइश करनी चाही, लेकिन पहली ही फिल्म कामना सुपर फ्लॉप हो गई। जिसने पंकज उधास को ऐसा झटका दिया कि वो मुंबई छोड़छाड़कर कनाडा में जा बसे। लेकिन करीब एक साल तक कनाडा में रहने के बाद जब वहां भी मन नहीं लगा तो उन्होंने अच्छी हिन्दी और उर्दू सीखना शुरू किया और उसी के साथ अपना म्यूजिक का रियाज भी साथ ही साथ चलता रहा।
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स्टेज शो से शोहरत की शुरुआत
कनाडा से मुंबई लौटने के बाद पंकज उधास ने सीधे प्ले बैक में जाकर गाना गाने के बजाए गजल गायकी के कुछ छोटे मोटे स्टेज शो करने शुरू कर दिए। असल में 1980 के दशक का ये वो दौर था जब अचानक गजल गायकी को लेकर लोगों में जबरदस्त दिलचस्पी पैदा हो गई थी और उसी सिलसिले में फलक पर कई गजल गायक सितारा बनकर चमकने भी लगे थे।
चिट्ठी आई है से मिला कामयाबी का नया आसमान
पंकज उधास ने भी अपनी गायकी को रंग और रूप देने की गरज से स्टेज पर जाकर गाने का सिलसिला शुरू कर दिया। इससे उनको थोड़ी बहुत शोहरत मिलने लगी और जेब खर्च भी निकलने लगा। इसी दौरान 1980 के उसी दौर में पंकज उधास का एक एलबम रिलीज हुआ, जो देखते ही देखते हिट हो गया। उनकी इस कामयाबी ने महेश भट्ट को उनकी तरफ रुख करने को मजबूर कर दिया। वो एक फिल्म बना रहे थे नाम। उस फिल्म में एक गजल थी चिट्ठी आई है आई है चिट्ठी आई है...। जिसे पंकज उधास ने खुद गाया भी और ये गजल फिल्म में उन पर ही फिल्माई भी गई। इसने पंकज उधास को कामयाबी की बुलंदी पर पहुँचा दिया। इसके बाद तो ज़्यादातर महफिलों में पंकज उधास की मांग तेज हो गई। इसी दौरान एक स्टेज शो में पंकज उधास जब अपना प्रोग्राम कर रहे थे तभी उनके पास एक साहब लहराते हुए आए और बड़ी ही तमीज औरतहजीब के साथ कहने लगे कि आपको एक मेरी पसंद की गजल गानी होगी।
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नशे में धुत होकर आई फरमाइश
पंकज उधास ने उन्हें ये कहकर टाल दिया कि ऐसी फरमाइशें अक्सर आती ही रहती हैं। लोग महफिलो में नशे में धुत होकर अक्सर कुछन कुछ फरमाइशें करते ही रहते हैं। वो अपनी तय की हुई गजले हीं गुनगुनाते रहे। थोड़ी देर बाद वही सज्जन फिर आए...और फिर धीरे से बोले...हालांकि इस बार उनके अल्फाज काफी तीखे थे...कहा आप मेरी पसंद की गजल नहीं गा रहे हैं। आपको गानी पड़ेगी।
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रिवॉल्वर देखकर सिट्टी पिट्टी गुम
पंकज उधास ने कहा कि अभी तो शुरुआत है, थोड़ी देर में उन साहब की भी फरमाइश पूरी कर देंगे, इस दौरान दूसरी फरमाइशों के चक्कर में फिर कुछ देर हो गई। जिस वक़्त पंकज उधास एक गजल गा ही रहे थे कि अचानक उनकी निगाह स्टेज के ठीक सामने वाली कुर्सियों की तरफ गई, और वो सहम गए। क्योंकि सामने की कुर्सी पर वही सज्जन एक हाथ में गिलास और दूसरे हाथ में रिवॉल्वर लेकर लहरा रहे थे। पंकज उधास कहते हैं कि ये देखकर उनकी सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। और फिर उन्होंने उस गाती हुई गजल को बीच में ही छोड़कर वो गजल गानी शुरू कर दी जो उन साहब की पसंदीदा गजल थी। और उस गजल के बोल थे, हुई महंगी बहुत ही शराब के...थोड़ी थोड़ी पिया करो...।
पंकज उधास ने लगाया अंतिम सुर
पंकज उधास ने 1980 और 1990 के दशक में इन नामों ने शोहरत के आसमान पर जब चमकना शुरू किया तो फिर ये उस आसमान के परमानेंट होकर रह गए। पंकज उधास कल यानी 26 फरवरी 2024 को हम सबको छोड़कर किसी दूसरी दुनिया की तरफ कूच कर गए। लेकिन उनसे जुड़ी अनगिनत यादें हैं जो किसी के पास सीडी में तो किसी के पास पेन ड्राइव और किसी किसी के पास कैसेट में कैद हैं।
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