बड़ा खुलासा : ये सबूत बता देगा हिंदी आते हुए भी आफताब अंग्रेजी क्यों बोल रहा? श्रद्धा की खोपड़ी क्यों गायब कर दी?

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Shraddha Murder case EXCLUSIVE : दिल्ली में श्रद्धा मर्डर का आरोपी आफताब अमीन पूनावाला आखिर कितना शातिर है? कत्ल हुआ तो श्रद्धा का कटा हुआ सिर आखिर कहां है? खोपड़ी आखिर क्यों नहीं मिली? आखिर आफताब पुलिस के हर सवाल का जवाब अंग्रेजी में क्यों दे रहा है? वैसे श्रद्धा केस से जुड़े ये सवाल कोई नए नहीं हैं. लेकिन इनके पीछे की जो वजहें हैं वो बेहद हैरान कर देने वाली है.

असल में आफताब ने इस घटना को जैसे अंजाम दिया वो एक परफेक्ट मर्डर (Perfect Murder) है. ये जानकर हैरानी होगी कि आफताब को बेहद अच्छी हिंदी आती है. वो हिंदी में बात भी करता है. हिंदी में सोशल मीडिया पर चैट भी करता था. आगे उसका सबूत भी हम दिखाएंगे. पर पुलिस की पूछताछ में सिर्फ अंग्रेजी में जवाब देने के पीछे कई बड़ी वजहें हैं. क्योंकि ये परफेक्ट मर्डर की पूरी किताब है.

हिंदी आती है पर अंग्रेजी में देता है जवाब, आखिर क्यों?

Aftab Amin Perfect Killer : सबसे पहले वो सबूत देखते हैं कि आफताब को हिंदी आती है. आफताब पूनावाला नाम से इस आरोपी का फेसबुक प्रोफाइल है. इसने 1 जून 2013 को जूहू बीच से एक फोटो अफलोड की थी. उस तस्वीर में एक लड़की के साथ उसकी फोटो है. यहां उस लड़की की फोटो हम जानबूझ कर ब्लर कर रहे हैं. हमें नहीं पता कि वो लड़की कौन है और आफताब से उसका क्या रिश्ता है. लेकिन इस फोटो पर जिन लोगों ने कमेंट किए थे उसे ज्यादातर लोगों ने अब डिलीट कर दिया है.

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पर आफताब ने जो उन कमेंट पर 9 साल पहले जो जवाब दिया वो बताता है कि उसे हिंदी आती है. एक कमेंट जिसे अब डिलीट कर दिया गया है उस पर आफताब लिखता है कि...हा तू रहने दे ( ha tu rehne de). फिर एक कमेंट पर जवाब लिखा है.. मेरे को पता है तू झूठ नहीं बोलती लेकिन तू गुस्सा जरूर है (meko pata hey tu jhoot nahi bolti but tu gussa toh zaroor hey). आगे लिखता है...कंचन हां मुझे पता है... कंचन बस-बस अब शांत हो जा डियर..

इससे साफ है कि आफताब को हिंदी लिखना और बोलना दोनों आता है. पर इस केस की पूछताछ के दौरान वो सिर्फ अंग्रेजी में क्यों जवाब दे रहा है. इससे पहले, मुंबई पुलिस ने सितंबर महीने में जब श्रद्धा के लापता होने पर सवाल पूछे थे तब भी उसने सिर्फ अंग्रेजी में ही जवाब दिए थे. आखिर इसके पीछे क्या वजह है. इस बारे में हमने देश की बहुचर्चित आरुषि केस और निठारी नरकंकाल केस में इन्वेस्टिगेशन कर चुके डीएसपी गजेंद्र सिंह से बातचीत की.

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जानबूझकर अंग्रेजी बोल रहा ताकी सवालों में उलझे नहीं : एक्सपर्ट 

क्राइम तक (CRIME TAK) से बातचीत में गजेंद्र सिंह ने बताया कि अभी तक ऐसा परफेक्ट मर्डर करने वाला नहीं देखा. क्योंकि इसने मर्डर करने की बात भले ही पुलिस के सामने स्वीकार कर लिया हो लेकिन सही मायनों में वो पुलिस को बेहद गुमराह कर रहा है. वो बताते हैं कि अगर उसे हिंदी आती है लेकिन अंग्रेजी में हर सवाल का जवाब दे रहा है, इसका मतलब वो जानता है कि वो पुलिस के सवालों में उलझ सकता है.

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इसलिए अंग्रेजी में बात करते हुए वो सोच-समझकर जवाब दे रहा है. असल में कत्ल करने के बाद उसे पूरे 6 महीने का समय मिला है. इस दौरान उसने अपनी मानसिक स्थिति को ऐसा बना लिया है कि वो हर सवाल का सोच समझकर जवाब दे रहा है. इसलिए ऐसे क्रिमिनल का ब्रेन मैपिंग और नारको टेस्ट किया जाना बेहद जरूरी है.

श्रद्धा की हत्या हुई तो खोपड़ी वाला हिस्सा क्यों नहीं मिल रहा है?

Shraddha Murder Mystery : अगर एक लाइन में कहा जाए तो ये आफताब की सबसे बड़ी और सबसे खतरनाक साजिश है. रिटायर्ड पुलिस अधिकारी गजेंद्र सिंह बताते हैं कि किसी इंसान के कत्ल में उसकी खोपड़ी सबसे अहम हिस्सा है. अगर कटे हुए शरीर की हड्डियां मिल रही हैं और लेकिन खोपड़ी वाला हिस्सा नहीं मिले तो इसके पीछे गहरी साजिश है. आफताब जानबूझकर इसे नहीं बता रहा है या फिर उसने ऐसी जगह ठिकाने लगाया जहां से उसे बरामद नहीं किया जा रहा है.

ये भी पता चला है कि सिर काटने के बाद उसने चेहरे को जलाया भी था ताकि उसकी पहचान नहीं हो सके. कटे हुए सिर यानी खोपड़ी को गायब करने और बरामद नहीं कराने के पीछे असली वजह है कि अगर कोई डीएनए मैच भी नहीं हो तो श्रद्धा की पहचान खोपड़ी से की जा सकती है. असल में सुपर-इंपोजिशन तकनीक (Superimposition Technique) से अगर खोपड़ी का कैसा भी हिस्सा मिले तो भी उससे उसका असली चेहरा बनाया जा सकता है. ऐसे में अगर चेहरा बन गया तो उस लड़की की पहचान मिल जाएगी. फिर ये साबित हो जाएगा कि उस लड़की का कत्ल हुआ है और कातिल वही आफताब है. लेकिन जब खोपड़ी नहीं मिलेगी तो फॉरेंसिक साक्ष्य के तौर पर आरोपी आफताब को बहुत फायदा मिलेगा.  

जो हड्डियां मिलीं हैं कहीं वो भी आफताब की साजिश का हिस्सा तो नहीं?

जिस तरह से आफताब लगातार साजिश के तहत पुलिस के सामने बयान बदल रहा है. वो पुलिस को गुमराह कर रहा है. उससे ये भी हो सकता है कि अभी तक उसकी निशानदेही पर जो हड्डियां बरामद हुईं हैं वो भी उसकी साजिश का हिस्सा हो. क्योंकि आफताब ने इस मर्डर से पहले और उसके बाद देश और दुनिया की क्राइम बेस्ड क्राइम वेबसीरीज के साथ अपराध की बारीकी वाले नॉवेल भी पढ़ें.

ऐसे में अगर उसने वाकई परफेक्ट मर्डर किया है तो हो सकता है जो हड्डियां मिलीं है वो इंसान की ही नहीं हों. या फिर इंसान की हों भी तो वो श्रद्धा की ना हो. अगर श्रद्धा के पिता के डीएनए सैंपल से उन हड्डियों का मिलान नहीं हुआ तो उससे आफताब को सीधे फायदा मिल जाएगा. अगर ऐसा हुआ तो ये देश का बेहद परफेक्ट मर्डर माना जा सकता है.

जानबूझकर एक दिन बाद खून जमने पर लाश काटी ताकि सबूत ना मिले

 भले ही गुस्से में सामान लाने और खर्चे को लेकर हुए झगड़े में श्रद्धा की हत्या करने की बात आफताब कबूल कर रहा हो लेकिन हो सकता है कि ये भी उसकी साजिश का हिस्सा हो. असल में उसने जानबूझकर श्रद्धा की गला दबाकर पहले हत्या की.

अगर वो गुस्से में आकर बेड पर ही चाकू से मारकर हत्या करता तो कपड़े और बेड में लगे ब्लड को किसी भी केमिकल से पूरी तरह से साफ करना आसान नहीं होता. बेड या कपड़ों से खून को कितना भी साफ किया जाए उससे फॉरेंसिक टीम आसानी से सैंपल निकाल ही लेती है. लेकिन इस केस में ऐसा नहीं है. आफताब ने गला दबाकर उसकी हत्या की.

हत्या के बाद उसकी लाश को ठंडा होने दिया. एक दिन बाद बाजार से नई आरी और चाकू ले आता है. फिर गूगल पर ये देखता है कि किस तरह से इंसानी शरीर को आसानी से काट जाए जिससे कम मात्रा में खून निकले. कैसे इंसानी शरीर के टुकड़े किए जा सकते हैं. उसे देखने के बाद लाश को बाथरूम में ले जाकर कई घंटे तक शॉवर चलाता है. फिर आरी और चाकू से लाश को खास तरीके से काटता है. पूरे 35 टुकड़ों में काटने का दावा है.

खासकर शरीर के ज्वाइंट से वो काटता है ताकी आसानी से कट जाए. इसके बाद खून को पूरी तरह से बहाकर 18 पॉलिथीन में पैक करता है. फिर खून को साफ करने के लिए केमिकल से कई दिनों तक पूरे कमरे की सफाई करता है. जिसकी वजह से खून के सैंपल तक नहीं मिले. सिवाय किचन में एक जगह को छोड़कर. वो भी अभी श्रद्धा का है या फिर आफताब का या फिर किसी दूसरे का. ये भी साफ नहीं है.

जानबूझकर 2 लोगों का ऑनलाइन खाना मंगाता था

असल में आफताब ने जानबूझकर श्रद्धा की हत्या के बाद भी उसके मोबाइल फोन का इस्तेमाल किया. उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर अगले कुछ महीनों तक उसके दोस्तों से चैट किया. ताकि सभी को लगे कि वो जिंदा है. इसके अलावा दिल्ली में रहते हुए काफी समय तक वो ऑनलाइन जोमैटो या दूसरे ऐप से दो लोगों के लिए खाना ऑर्डर किया. वो दो लोगों का खाना मंगाता था ताकि ये शक ना हो कि वो घर में अचानक अकेले हो गया है.

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