लुटेरा बैंक मैनेजर : AXIS बैंक के मैनेजर ने ICICI बैंक में डाला डाका, चाकू से महिला मैनेजर का किया मर्डर, कैशियर घायल
Robber bank manager: Manager of Axis Bank robbed ICICI Bank, murdered female manager with a knife, cashier injured crime news
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वो बैंक मैनेजर था. रोजाना लाखों-करोड़ों रुपये देखता था. और जब करोड़ों के कर्ज में डूबा तो उन्हीं पैसों को लूटना की सोच डाली. लेकिन लूट उस बैंक में नहीं की जहां का मैनेजर था. बल्कि वारदात वहां की जिस बैंक की नौकरी एक साल छोड़ चुका था. बेशक उसने पुराने बैंक की नौकरी छोड़ी थी लेकिन वहां की एक-एक जानकारी थी.
मसलन, बैंक में गार्ड कब नहीं रहता है. वो वक़्त जब बैंक में सबसे कम कर्मचारी रहते हैं. ये सबकुछ उसे पता था. इसलिए उसने वही समय चुना जब बैंक में गार्ड नहीं था और सिर्फ दो महिला कर्मचारी ही थीं. ये शख्स बैंक में घुसा और दोनों महिलाओं पर पहले ताबड़तोड़ चाकू से हमला किया.
उसे लगा कि दोनों की मौत हो गई तब स्ट्रॉन्ग रूम में गया और करीब साढ़े 3 करोड़ का सोना लूट लिया. फिर वो भागने लगा लेकिन तभी अचानक बैंक का अलार्म बज गया और लोगों ने उसे दबोच लिया.
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10 साल से बैंकिंग क्षेत्र में है आरोपी
ये घटना है महाराष्ट्र के विरार की. वारदात 29 जुलाई की रात करीब 8 बजे की है. बैंक लूटने वाला आरोपी अनिल दूबे है. वो अपने परिवार के साथ नालासोपारा में रहता है. पिछले 10 साल से वो बैंकिंग क्षेत्र में है. पहले वो ICICI बैंक में विरार ब्रांच का मैनेजर था. इस बैंक में 3 साल तक मैनेजर रहा. अभी 15 महीने पहले ही यहां से उसने नौकरी छोड़ी थी. इसके बाद एक्सिस बैंक में मैनेजर बन गया.
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3 करोड़ का था लोन, EMI नहीं दे पा रहा था
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महाराष्ट्र पुलिस के मुताबिक, अनिल दूबे को बैंक में नौकरी करते हुए ये पता था कि किसी तरह से आसानी से लोन ले सकते हैं. इस वजह से उसने अपनी आमदनी से कहीं ज्यादा पर्सनल लोन और होम लोन ले लिए. पिछले कुछ सालों में इसने 3 करोड़ रुपये से ज्यादा का लोन ले लिया था. इसलिए वो अब ईएमआई चुका नहीं पा रहा था.
ऐसे में उसकी देनदारी इतनी बढ़ गई थी कि उसे लगने लगा था कि कभी भी नौकरी जा सकती है. इसलिए उसने लूटपाट करने की सोच डाली. अब लूटने के लिए उसे सबसे सीधा टारगेट पुराना बैंक था. विरार स्थित ICICI बैंक के ब्रांच में उसे पता था कि कब और कैसे लूट की जा सकती है.
शाम 7 से 9 बजे तक बैंक में नहीं होते थे गार्ड
पुलिस ने बताया कि अनिल दूबे जब इस बैंक में मैनेजर था तब उसे यहां की एक-एक बारीक जानकारी थी. बैंक में दिन में ड्यूटी करने वाला गार्ड रोजाना शाम 7 बजे चला जाता था. इसके बाद नाइट शिफ्ट का गार्ड रोजाना रात 9 बजे ड्यूटी पर आता था. बैंक के ज्यादातर कर्मचारी भी 7 से साढ़े 7 बजे तक चले जाते थे. आम दिनों में बैंक भी इसी दौरान बंद हो जाता था. लेकिन महीने के आखिरी दिनों में एक या दो कर्मचारी ही रात तक रुकते थे.
घटना वाले दिन सिर्फ 2 महिलाएं ही थीं
घटना से कुछ दिन पहले ही उसने पता लगा लिया था अब रात में दो महिला कर्मचारी ही हिसाब-किताब करती हैं. इसलिए महीने के आखिरी तारीख से पहले 29 जुलाई दिन गुरुवार को उसने क्राइम के लिए चुना.
हमेशा की तरह उस दिन भी शाम 7 बजे गार्ड बैंक से चला गया. इसके बाद बैंक को अंदर से बंद कर दिया गया था. करीब 8 बजे के आसपास पुराना मैनेजर अनिल दूबे बैंक पहुंचा. उस समय बैंक में डिप्टी मैनेजर योगिता वार्तक (35) और कैशियर श्रद्धा (32) ही थीं. पुराने मैनेजर होने की वजह से उसे बैंक में एंट्री मिल गई.
दोनों की चाकू से हत्या कर लूटने की थी साजिश
अनिल दूबे की साजिश ये थी कि वो बैंक में घुसते ही पहले दोनों महिला कर्मचारियों की चाकू मारकर हत्या कर देगा. ताकी कोई अलार्म बटन नहीं दबा पाए. इसलिए बैंक में घुसते ही पहले उसने दोनों को मिलने बुलाया और फिर तुरंत चाकू से हमला कर दिया.
पहले उसने योगिता के शरीर पर चाकू से 12-15 वार किए. इससे वो पूरी तरह से लहूलुहान होकर बेहोश हो गई. उसी दौरान श्रद्घा के गले और शरीर पर हमला कर घायल कर दिया. आरोपी अनिल को लगा कि दोनों की मौत हो चुकी है. तब वो बैग लेकर लॉकर रूम में पहुंचा.
कैश नहीं सिर्फ गोल्ड लूटना था, ताकि सबूत ना मिले
अनिल खुद बैंक मैनेजर था इसलिए उसे पता था कि अगर वो कैश लूटकर ले गया तो उसके सीरीज नंबर से उसकी पोल खुल जाएगी. इसलिए उसने पहले से ही लॉकर रूम से सिर्फ गोल्ड लूटने की साजिश रची थी. और उसने ऐसा किया भी. बैंक के लॉकर में घुसकर उसने करीब साढ़े 3 करोड़ कीमत का गोल्ड बैग में भर लिया और भागने लगा.
तभी अचानक बैंक का अलार्म बजने लगा. जिसे सुनकर वहां से गुजर रहे लोग बैंक की तरफ आए. वहां देखा कि खून से लथपथ एक युवती चीख रही है. हाथों से आरोपी अनिल को पकड़ने का इशारा कर रही है. इसे देख लोगों ने उसे दबोच लिया और पुलिस को सूचना दी.
योगिता की हुई मौत, श्रद्धा की हालत नाजुक
आरोपी अनिल दूबे के ताबड़तोड़ हमले में योगिता की बैंक में ही मौत हो गई थी. क्योंकि पुलिस ने जब उसे अस्पताल में भर्ती कराया तो डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. वहीं, बैंक में ही श्रद्धा को होश आ गया था. उस समय तक अनिल दूबे लॉकर से सोना लेकर भागने वाला ही था.
जिसे देख श्रद्धा ने हिम्मत जुटाई और अलार्म बटन दबा दिया था. इसके अलावा उसने जोर-जोर से चीखा भी था. पुलिस ने बैंक की दोनों महिला कर्मचारियों की हिम्मत को काफी सराहा. पुलिस का कहना है कि श्रद्धा का अभी एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज चल रहा है. हालांकि, हालत नाजुक बनी हुई है. वहीं, आरोपी अनिल दूबे को पुलिस ने हत्या, हत्या के प्रयास, लूट और साजिश करने के मामले में गिरफ्तार कर लिया.
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