क़ातिल कोठी में, तलाश नेपाल तक, फिर नोएडा पुलिस ने गलती कर दी आरुषि जैसी
Noida Murder Mystery: हाईकोर्ट की एडवोकेट रेनू सिन्हा के हत्याकांड ने पंद्रह साल पुरानी आरुषि केस में नोएडा पुलिस की बचकानी हरकत की यादों को एक बार ज़िंदा कर दिया।
ADVERTISEMENT
Renu Sinha Murder Case: नोएडा के सेक्टर 25 के जलवायु विहार के फ्लैट नंबर एल-32 की तस्वीरें सारा हिन्दुस्तान शायद ही कभी भूल सके। 15 साल पुरानी यानी 16 मई 2008 की वो तस्वीरें जब भी सामने आती हैं तो फ्लैट के अंदर 15-16 मई की रात को आरुषि का कत्ल किया गया था। घर वालों ने कत्ल का शक घर के नौकर हेमराज पर जताया था और नोएडा पुलिस की एक टीम हेमराज को पकड़ने नेपाल रवाना हो गई। दो दिन तक नोएडा पुलिस की टीम आरुषि के घर में चहलकदमी करती रही पर इतनी भी ज़हमत नहीं उठाई कि घर की छत को ही एक बार टटोल ले। क्योंकि जिस हेमराज को ढूंढने नोएडा पुलिस की टीम नेपाल गई थी उस हेमराज की लाश आरुषि के इसी फ्लैट की छत पर पड़ी थी।
15 साल बाद...
आरुषि के फ़्लैट से सिर्फ़ ढाई किलोमीटर दूर
कोठी नंबर D-40
सेक्टर 30, नोएडा
15 साल बाद इसी नोएडा में उसी आऱुषि के घर से फकत ढाई किलेमीटर दूर एक कोठी में बिल्कुल आरुषि जैसी कहानी दोहराई जाती है। फर्क सिर्फ इतना है कि आरुषि का कातिल आज भी छलावा बना हुआ है। जबकि इस कोठी में हुए कत्ल का कातिल गिरफ्त में तो आ चुका है मगर उसकी गिरफ्तारी से पहले नोएडा पुलिस ने जो हरकत की उसने पंद्रह साल पुरानी आरुषि केस में नोएडा पुलिस की बचकानी हरकत की यादों को एक बार ज़िंदा कर दिया।
नोएडा पुलिस की बचकानी हरकत
आरुषि केस में नोएडा पुलिस छत पर जाने के लिए दो दिन तक इंतजार करती रही। इस केस में वही नोएडा पुलिस पहले तो एक कोठी का दरवाजा खोलने या तोड़ने में पूरा दिन निकाल देती है। फिर जब कोठी का दरवाजा खुल जाता है तो उसके बाद भी 3200 स्कवायर फीट में बनी इस दोमंज़िला कोठी में छुपे कातिल को तलाशने में उसे 12 घंटे लग जाते हैं। कमाल की बात ये कि आरुषि केस की तरह ही इस बार भी कोठी में छुपे कातिल को ढूंढने नोएडा पुलिस की एक टीम फिर से नेपाल यात्रा पर निकलने की तैयारी करने लगी थी। 15 साल पहले आऱुषि और हेमराज का कत्ल हुआ था अब 15 साल बाद कत्ल की ये कहानी एक महिला वकील रेनू सिन्हा की है।
ADVERTISEMENT
पति-पत्नी के बीच रिश्ते ठीक नहीं
रेनू अपने पतिे नितिन नाथ सिन्हा के साथ इसी कोठी में रहा करती थीं। नितिन नाथ इंडिय़न इनफार्मेशन सर्विस यानी आईआईएस के 1986 बैच के अफसर थे। लेकिन सर्फ 12 साल की नौकरी केे बाद ही 1998 में उसने वीआरएस ले लिया और अमेरिकी फर्म के साथ जुड़ गया। नितिन के पास ब्रिटिश पासपोर्ट है। इन दोनों का बेटा है जो अमेरिकाा में नौकरी करता है और साल में एकाध बार ही घर आता है। यानी नोएडा की इस कोठी में दोनों पति-पत्नी अकेले रहा करते थे। हालांकि पिछले काफी वक्त से पति-पत्नी के बीच रिश्ते ठीक नहीं थे। लिहाज़ा एक छत के नीचे रहते हुए भी दोनों अलग-अलग रहा करते थे।
घंटी बजती रही पर उधर से कोई जवाब नहीं आया
रेनू सीनियर जर्नलिस्ट अजय कुमार की बहन हैं। अजय के मुताबिक हर रविवार को रेनू नोएडा में ही उनके घर लंच पर आया करती थीं। आने से पहले वो फोन किया करती थीं। लेकिन बचे रविवार को ना उन्होंने फोन किया और ना ही अजय के घर आईं। अजय ने रेनू को कई बार फोन किया। घंटी बजती रही पर उधर से कोई जवाब नहीं आया। तब अजय ने नितिन नाथ को फोन किया। तब पहली बार नितिन ने बताया कि रेनू शनिवार सुबह से ही घर से बाहर निकली हुई हैं...कहां गई हैं उन्हें नहीं पता। नितिन ने बताया कि वो खुद इस वक्त घर से बाहर एयरपोर्ट की तरफ है और एक-दो घंटे में लौटेगा। मगर कई घंटे बाद भी जब वो नहीं लौटा तो अजय को शक हुआ। उन्होंने दि्ल्ली में अपने जानकार पुलिसवालों से रेनू के मोबाइल का लास्ट लोकेशन ट्रेस करने की कोशिश की। तब पता चला कि रेनू का लोकेशन उसी डी-40 कोठी के पास ही दिखा रहा है।
ADVERTISEMENT
मुश्किल से पुलिस तैयार हुई
परेशान अजय ने इसके बाद नोएडा सेक्टर 20 थाने में शिकायत दर्ज कराई। मगर पूरा दिन बीत गया नोएडा पुलिस ने कुछ नहीं किया। बाद में ऊपर से फोन जाने पर शाम को नोएडा पुलिस हरकत में आई। इसके बाद सेक्टर 20 थाने के एसएचओ, एसीपी, डीसीपी सभी कोठी पर पहुंचे। कोठी पर ताला लगा था। मगर कोठी का एसी ऑन था। अजय कहते रहे कि कुछ गड़बड़ है मगर पुलिस ताला तोड़ कर अंदर जाने को तैयार ही नहीं थी। आखिर में बड़ी मुश्किल से पुलिस तैयार हुई। लेकिन फिर बहाना बनाने लगे कि ताला तोड़ने का कोई औजार नहीं है उनके पास। औजार भी उन्होंने रेनू के घऱ वालों से लाने को कहा। खैर किसी तरह घऱवाले औजार लाए तब दरवाजे का ताला टूटा।
ADVERTISEMENT
रेनू की खून से लथपथ लाश
कोठी के अंदर सब कुछ अपनी जगह करीने से था। मगर जब पुलिस की टीम बाथरूम में पहुंची तो पाया कि अंदर रेनू की खून से लथपथ लाश पड़ी है। अब फौरन फॉरेंसिक टीम और डॉग स्कवायड को बुलाया जाता है। मगर कमाल देखिए कि दोनों ही सिर्फ पंद्रह मिनट में आपना काम समेट कर वहां से निकल जाते हैं। आरुषि की तरह ही रेनू की लाश कब्जे में लेकर पुलिस उसे अस्पताल भेजती है और पूरी टीम कोेठी से निकल जाती है। कोठी का दरवाजा एक बार फिर से बंद हो जाता है। तब शाम के करीब सकात बजे थे।
लाश मिलतेे ही अजय और बाकी घर वाले इस कत्ल के लिए सीधे रेनू के पति नितिन को जिम्मेदार ठहराते हैं। अब पुलिस नितिन की तलाश शुरू करती है। जब पता चलता है कि नितिन के पास ब्रिटिश पासपोर्ट है तो पुलिस कोे शखक होता है कि वो नेपाल के रास्ते विदेश भाग सकता है। लिहाजा नोएडा पुलिस की एक टीम को नेपाल भेजने का फैसला लिया जाता है।
नोएडा पुलिस की पहली हरकत
रेनू के कत्ल के बाद पूरे दिन सोती रही नोएडा पुलिस अब पहली बार हरकत में आती है। नितिन के फोन के लोकेशन को ट्रेस करने के साथ-साथ कोठी के आसपास के सीसीटीवी कैमरों को भी अब खंगाला जाता है। तब एक अजीब बात पता चलती है। कैमरा बता रहहा था कि नितिन शनिवार को कोठी में दाखिल तो हुआ है फर उसके बाद से वो कोठी से बाहर नहीं निकला। नितिन के फोन का लोकेशन भी यही बता रहहा था कि वो कोठी के आसपास ही है। इसी के बाद रात बारह बजे नोएडा पुलिस रेनू के परिवार के साथ एक बार फिर उसी कोठी में पहुंचती है।
छोटे से स्टोर में आरोपी
दो मंजलिा इस कोठी में अब फिर से तलाशी शुरू होती है। करीब वतीन घंटे तक लपुलिस कोठी को छानती है। इसी दौरान कोठी के अंदर एक स्टोर का पता चलता है। स्टोर अंदर से लॉक था। पुलिस की टीम स्टोर के दरवाजे के लात मार कर जब तोड़ती है तो छोटे से उस स्टोर के अंदर एक शख्स दुबका सा बैठा हुआ नजर आता है। उसलके पास फोन, चार्जर, कॉफी का मग था। वो शख्स कोई और नहीं बल्कि नितन नाथ था। रेनू का पति। जब नितिन पुलिस के शिकंजे में आया तब देर रात के तीन बजे थे।
यानी रेनू का कातिल लगातार कोठी के अंदर ही था। कत्ल से पहले भी और कत्ल के बाद भी। और नोएडा पुलिस उसे बाहर ढूंढ रही थी। अगर नोएडजा पुलिस ने आरुष केस की तरह गलती ना की होती तो शाम को रेनू की लाश के साथ ही कातिल भी हाथ आ जाता। लेकिन क्या मजाल जो नोएजा पुलिस अपनी गलती मान ले।
कत्ल की वजह यही कोठी
अलबत्ता पूछताछ में नितिन ने ये जरूर कबूल किया है कि अपनी पत्नी रेनू को उसी ने मारा है। बकौल पुलिस कत्ल की वजह यही कोठी बनी। नितिन कोठी बेचना चाहता था। जबकि रेनू ऐसा नहीं चाहती थी। नितिन ने बिना रेनू को बताए इस कोठी का सौदा भी कर दिया था। सौदा करीब तीन करोड़ में हुआ था। पैसे अगले दस दिनों में मिलने थे। इसी सौदे की भनक रेनू को लग गई जिसके बाद दोनों में झगड़ा हुआ और नितिन ने रेनू का कत्ल कर दिया।
धीरे-धीरे सबूत मिटाने का काम
कत्ल के बाद नितिन ने धीरे-धीरे सबूत मिटाने का काम भी शुरू कर दिया था। उसने खून के छीटों को भी साफ कर दिया था। दरअसल नितिन का इरादा रविवार रात को ही रेनू की लाश को ठिकाने लगाने का था। एक बार लाश गायब कर देने के बाद वो रेनू की गुमशुदगी का नाटक कर किसी तरह दस दिन निकालना चाहता था। दस दिन बाद जैसे ही कोठी के पैसे उसके पास आ जाते वो ब्रिटिश पासपोर्ट के साथ ब्रिटेन भाग जाता। अब पुलिस फिलहाल ये पता लगा रही है कि नितिन ने रेनू की लाश को ठिकाने लगाने का कौन सा रास्ता चुना था?
ADVERTISEMENT