निर्भया कांड : 4 बड़े बदलाव जिन्होंने बदल दिए हालात
NIRBHAYA CASE : निर्भया कांड : 4 बड़े बदलाव जिन्होंने बदल दिए हालात DO READ MORE AND LATEST CRIME STORIES AT CRIME TAK WEBSITE.
ADVERTISEMENT
परवेज सागर के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
NIRBHAYA CASE : निर्भया कांड के बाद पूरे देश में बलात्कारियों के खिलाफ कानून को सख्त बनाने की मांग ने जोर पकड़ा था। इस जघन्य कांड के तीन माह के भीतर बलात्कार और महिलाओं के यौन उत्पीड़न से जुड़े कानूनों की समीक्षा की गई और उनमें फेरबदल कर उन्हें सख्त बनाया गया, लेकिन बावजूद इसके निर्भया कांड के बाद उपजे आंदोलन से कानून बदला तो कई जगहों पर महिलाओं और पीड़िताओं को इसका फायदा मिलता है।
नाबालिग सबसे ज्यादा गुनाहगार
ADVERTISEMENT
निर्भया कांड में शामिल एक दोषी वारदात के वक्त नाबालिग था। लिहाजा वह सजा-ए-मौत से बच गया। पूरे देश को हिलाकर रख देने वाले इस जघन्य रेपकांड के बाद 16 से 18 साल की उम्र वाले अपराधियों को भी वयस्क अपराधियों की तरह देखने और सजा देने का फैसला लिया गया था। निर्भया कांड में शामिल नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत तीन साल से ज्यादा की सजा नहीं हो सकती थी। इसके बाद यह बहस छिड़ गई कि ऐसी खौफनाक वारदात में शामिल बलात्कारी को केवल तीन साल में कैसे छोड़ा जा सकता है। तब केंद्र सरकार ने ऐसे अपराधों में शामिल नाबालिगों को वयस्क के तौर पर देखे जाने और सजा देने का अहम बिल सदन में पेश किया था। उस बिल को संसद में पास कर दिया गया था।
निर्भया फंड की स्थापना
ADVERTISEMENT
निर्भया कांड के बाद केंद्र सरकार ने निर्भया फंड की स्थापना की थी। निर्भया निधि में सरकार ने 1000 करोड़ रूपये की राशि का प्रावधान किया। यह फंड दुष्कर्म की पीड़ितों और उत्तरजीवियों के राहत और पुनर्वास की योजना के लिए बनाया गया था। इसमें प्रावधान है कि प्रत्येक राज्य सरकार, केन्द्र सरकार के समन्वय से दुष्कर्म सहित अपराध की पीड़िताओं को मुआवजे के उद्देश्य से फंड उपलब्ध कराएगा। अब तक 20 राज्यों और सात संघ शासित प्रदेशों ने पीड़ित मुआवजा योजना लागू कर दी है।
ADVERTISEMENT
महिला और बाल विकास मंत्रालय के अनुसार बलात्कार पीड़ितों और कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन कर रही महिलाओं के पुनर्वास के लिए स्वाधार और अल्पावास गृह योजना भी शुरू की गई थी। इस फंड से महिलाओं की सुरक्षा के लिए कई प्रकार के इंतजाम किए जाने का प्रावधान है। मसलन पुलिस को सीसीटीवी या पेट्रोलिंग वाहन जैसे संसाधन उपलब्ध कराना आदि।
पीड़िताओं को मिली हिम्मत
अक्सर बलात्कार या यौन उत्पीड़न के मामलों में पीड़ित और उसके परिवार वालों की पहचान छिपाई जाती है, लेकिन निर्भया कांड शायद देश का ऐसा पहला मामला था, जिसमें पीड़ित के परिवार ने खुद सामने आकर लोगों से आह्वान किया था कि रेप पीड़ित या यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली महिलाएं अपनी पहचान छिपाने की बजाय सामने आकर गुनाहगारों का पर्दाफाश करें। इसके बाद कोर्ट में भी माहौल बदल गया। रेप पीड़िताओं को लेकर संवेदनशीलता बढ़ गई। निर्भया के परिजनों ने कहा कि ऐसे मामलों में पीड़ितों के लिए आवाज उठाई जानी चाहिए। ये पीड़ित नहीं दोषियों के लिए शर्म की बात है।
निर्भया कांड : कुछ कानून बदले, कुछ नये आए, वजूद में आया था POCSO एक्ट निर्भया के 9 साल : आज भी 88% लोग मानते हैं लड़कियां सेफ नहीं, सर्वे में आईं ये चौंकाने वाली वजहेंADVERTISEMENT