वो क़त्ल का चश्मदीद बनकर आया था पुलिस को रास्ता भटकाने, 48 घंटे में सुलझी मर्डर मिस्ट्री

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पुल के नीचे बोरी में बंद गुमनाम लाश

MURDER MYSTERY: क़िस्सा एक ऐसे क़त्ल का है जिसमें पुलिस के सामने ही क़ातिल था, मगर वो उसे देख ही नहीं पा रही थी। वो पुलिस के साथ मिलकर क़ातिल के उस चेहरे का स्केच तैयार करवा रहा था जिसकी क़ानून को तलाश थी।

पुलिस फूंक फूंककर कदम आगे बढ़ा रही थी कि अचानक मंज़र बदल गया। और उसके बाद जो कुछ भी हुआ उसे देखकर और पुलिस की जुबानी सुनकर हर कोई बुरी तरह से चौंक उठा।

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ये क़िस्सा मुंबई का है। 20 जनवरी को सुबह सवेरे निज़ामपुर पुलिस को ख़बर मिली थी कि बोरे में बंद एक लाश पुल के नीचे पड़ी हुई है। निज़ामपुर थाने की पुलिस इत्तेला मिलते ही फौरन भिवंडी के रूपाला ब्रिज के पास पहुँच गई। वहां उसे नीचे एक सीमेंट की सफेद बोरी खून से लथपथ पड़ी हुई थी। पुलिस ने बोरी खोल कर देखा तो उसके भीतर एक आदमी की लाश थी।

लाश के पास थे तीन सुराग़

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MURDER IN MUMBAI:शुरुआती तफ़्तीश में यही पता चला कि क़त्ल किए जाने से पहले क़ातिलों ने उस शख़्स की बेरहमी से पिटाई की थी, क्योंकि लाश की गर्दन, सिर और सीने पर चोट के गहरे निशान थे। पुलिस को लाश के पास से एक डॉक्टर का पर्चा भी मिला। और उसकी जेब में एक हेडफोन भी पुलिस ने बरामद किया लेकिन पुलिस को कोई मोबाइल नहीं मिला।

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पुलिस के सामने सवाल यही था कि आखिर मरने वाला कौन है? और क़ातिलों का इस तरह क़त्ल के बाद लाश को यूं ठिकाने लगाने के पीछे क्या मकसद था?

भिवंडी के एसीपी प्रशांत धोले, सीनियर इंस्पेक्टर नरेश पवार ने और इस केस के उलझन को दूर करने के लिए तीन अलग अलग टीमें तैयार की।

सुराग़ों से और भी उलझी गुत्थी

MUMBAI MURDER IN HINDI:लाश के पास से पुलिस को जो कपड़े मिले वो उसकी पहचान का कुछ कुछ पता देते थे। मसलन मरने वाले ने लाल और गोल्डन कलर की छींटदार कमीज पहनी हुई थी, जो आमतौर पर पर्ल कारखाने के कर्मचारी पहनते हैं।

इसके अलावा मकतूल की जेब से एक डॉक्टर की पर्ची भी मिली थी, वो भी एक मददगार सुराग हो सकता था। ये सोचकर पुलिस की एक टीम उस वर्कशॉप पहुँची जबकि दूसरी टीम उस डॉक्टर के पास पहुँची जिसका पर्चा उन्हें लाश के पास से मिला था।

वर्कशॉप से पुलिस ये पता करना चाहती थी कि उनका ऐसा कौन सा कर्मचारी है जो गैरहाजिर है। जबकि डॉक्टर से पुलिस ये जानना चाहती थी कि जिसे उन्होंने पर्चा दिया क्या उसकी कीई शिनाख्त की जा सकती है।

पुलिस की टीम ने इलाक़े की क़रीब 100 पर्ल वर्कशॉप खंगाली, लेकिन उन्हें कुछ पता नहीं चला जबकि डॉक्टर ने ये कहकर पुलिस की उलझन बढ़ा दी कि डॉक्टर एक दिन में 100 मरीज़ों को देखते हैं ऐसे में किसी एक मरीज़ को बिना देखे उसके पर्चे के आधार पर नहीं पहचान सकते।

तो पुलिस ने ऐसे की शिनाख़्त

LATEST CRIME STORY: पुलिस अब भी अंधेरे में ही खड़ी थी। इसी बीच पुलिस को एक ख़बर मिली एक महिला पर्ल वॉर्कशॉप में अपने पति को तलाश करते हुए पहुँची है जो कई दिनों से ग़ायब है। पुलिस बिना देरी किए उस महिला के पास पहुँच गई। महिला को जब वो लाश दिखाई गई तो उसने पहचानने से इनकार कर दिया।

मगर बाद में उसके बड़े बेटे ने लाश की गर्दन पर पड़े एक निशान और उसके गले में पड़े तावीज़ को देखकर उसकी शिनाख़्त कर ली। पुलिस को लाश की शिनाख़्त मिल चुकी थी। उसका नाम था अरमान शेर अली शाह। अपनी छानबीन के दौरान पुलिस ने जब परिवार के लोगों के बारे में पता लगाया तो मालूम हुआ कि शाह कभी भी अपनी पत्नी को छोड़कर ऐसे कहीं नहीं जाता था।

क़ातिल ने चली एक शातिर चाल

MURDER STORY IN HINDI:अब पुलिस को शिनाख्त मिलने के बाद कुछ ऐसी चीज़ें भी मिल गईं जिनके सहारे पुलिस टेक्निकल एनालिसिस के ज़रिए पीड़ित के बारे में और पता लगा सकती थी। लिहाजा पुलिस ने पीड़ित का मोबाइल खंगालना शुरू किया।

इससे पहले छानबीन की कार्रवाई तेज़ हो पाती, मोहम्मद सलमान नाम का एक शख्स पुलिस के पास पहुँच गया। उसने पुलिस को जो बताया तो पुलिस हैरान रह गई। सलमान ने पुलिस को बताया कि ये क़त्ल होते हुए खुद उसने अपनी आंखों से देखा है। और वो पुलिस को सब कुछ बताने को तैयार है।

उसने पुलिस को वो जगह भी दिखाई जहां क़त्ल हुआ था। और फिर उसने क़त्ल के वक़्त का सारा मंज़र पुलिस के सामने फिल्म की तरह चला दिया। इसके बाद सलामन ने पुलिस के सामने क़ातिल का खाका खींचा।

पुलिस की तफ़्तीश और चश्मदीद की चाल

MURDER INVESTIGATION :ज़ाहिर है जब क़त्ल का चश्मदीद पुलिस को मिल जाए तो केस को सुलझने में ज़्यादा वक़्त नहीं लगता। लिहाजा पुलिस ने सलमान की मदद से क़ातिल के चेहरे का स्केच तैयार करवाने का इरादा किया।

इसी बीच टेक्निकल सर्वेलांस पर काम कर रही पुलिस की दूसरी टीम को एक संदिग्ध मोबाइल नंबर मिला। और जब उस नंबर को पुलिस ने और गहराई से खंगाला तो पुलिस के हाथ में सलमान का गिरेबान था। सलमान अब पुलिस की पकड़ में था।

ज़ाहिर है कि पकड़ने के बाद पुलिस किसी भी आरोपी से पूछताछ करती है। यही पुलिस ने सलमान के साथ किया। इधर उधर की टालामटोली के बाद आखिरकार सलमान ने अपना मुंह खोल ही दिया।

पुलिस को ऐसे पता चली क़त्ल की असली वजह

INVESTIGATION STORY IN HINDI : सलमान ने पुलिस को बताया कि उसे असली क़ातिल ने ही पुलिस के पास भेजा था ताकि वो अपनी बातों से पुलिस की तफ्तीश को भटकाने की कोशिश करे, और मौका ताड़कर असली क़ातिल वहां से भागने में कामयाब हो जाए।

बेमौत मारा गया शाह असल में उत्तर प्रदेश का रहने वाला था। उसे मुंबई में पर्ल के कारखाने में काम मिल गया था। जहां उसकी दोस्ती 30 साल के तस्लीम अली अंसारी से हो गई थी। दोनों में गहरी छनने लगी और घर आना जाना शुरू हो गया।

इसी बीच तस्लीम का शाह की पत्नी के साथ ताल्लुक़ात क़ायम हो गए। ये बात जब शाह को पता चली तो उसने अपनी बीवी को धमकाया कि वो न तो अकेले कहीं जाएगी और न ही अकेले किसी से मिलेगी।

घर का भेदी लंका ढाये

CRIME STORY MUMBAI:शाह की पत्नी ने ये बात तस्लीम को बता दी, कि अब शाह को उनके बीच नाजायज संबंधों के बारें में पता चल चुका है और अब वो किसी भी सूरत में उसे अकेला नहीं छोड़ेगा। तब तस्लीम ने शाह को रास्ते से हटाने का इरादा कर लिया।

क़त्ल की इस वारदात को अंजाम देने के लिए तस्लीम ने अपने दोस्त मोहम्मद सलमान शेख़ और बिलाल सईद अंसारी को भी शामिल कर लिया।

19 जनवरी को सलमान ने शाह को फोन करके बुलाया और तस्लीम के साथ अपने झगड़े को हमेशा हमेशा के लिए ख़त्म करने की बात कही। शाह जैसे ही सलमान की बताई गई जगह पर पहुँचा तो वहां तीनों ने मिलकर शाह को घेर लिया, और उसकी जमकर धुनाई की।

तीन लोगों ने ऐसे किया था क़त्ल

MUMBAI STORY IN HINDI:इस पिटाई के बावजूद जब शाह अधमरा होकर वहीं पड़ा कराह रहा था तो एक लोहे की रॉड को उसकी गर्दन में रखकर तीनों तब तक दबाए बैठे रहे जब तक उसका दम नहीं निकल गया। इसके बाद तीनों ने मिलकर शाह की लाश को एक बोरी में बंद किया और उसे पुल के नीचे फेंक दिया।

लेकिन जब इस तीनों को ये पता चला कि पुलिस को बोरे में बंद शाह की लाश मिल गई है तो तस्लीम में सलमान को पुलिस के पास भेजा, ताकि वो पुलिस की तफ्तीश को गुमराह कर सके।

पुलिस के सामने अपने जुर्म का इकबाल करने के बाद सलमान ने ही पुलिस से कहा कि 19 जनवरी को ही शाह मर गया था। पुलिस ने सलमान को तो पकड़ लिया अब उसे बस बची हुई रस्में निभानी बाकी हैं।

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