Aryan Khan : गांधी जयंती पर ड्रग्स केस में गिरफ्तारी से भाई के बर्थडे पर क्लीनचिट मिलने की पूरी कहानी

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Aryan Khan : गांधी जयंती पर ड्रग्स केस में गिरफ्तारी से भाई के बर्थडे पर क्लीनचिट मिलने की पूरी कहा...
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Aryan Khan Inside Story : आर्यन खान को आखिरकार NCB ने क्लीनचिट दे दिया. वही एनसीबी जिसने कभी आर्यन खान (Aryan Khan) को जेल में भेजा था. अब उसी ने कॉर्डेलिया क्रूज ड्रग्स (Mumabi cordelia cruise Drugs Case) क्लीनचिट दिया है.

यानी अब बॉलिवुड किंग शाहरूख खान (Shah Rukh Khan Relieved) के बेटे पर लगे ड्रग्स केस का आरोप एक तरह से झूठा निकला. ये खुशखबरी शाहरूख के सबसे छोटे बेटे अबराम खान (AbRam Khan Birthday) पर मिली है. आइए जानते हैं 2 अक्टूबर 2021 को जब आर्यन खान की गिरफ्तारी से लेकर अब तक की पूरी कहानी.

Aryan Khan Drugs Case: वो गांधी जयंती का दिन. गोवा जा रहा वो जहाज़. जहाज़ पर वो छापा. छापे में वो ड्रग्स का मिलना. छापे के बाद वो गिरफ़्तारी. गिरफ़्तारी के बाद एनसीबी दफ़्तर से इस तस्वीर का यूं बाहर आना. बाहर अलग-अलग पोज़ में मुंबई में एनसीबी के सरदार का तब मुलायम लहजे में यूं गरजना. एनसीबी दफ़्तर से कोर्ट और कोर्ट से जेल तक भागती वो गाड़ियां.

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गाड़ियों के पीछे दौड़ते वो कैमरे. वो उदास मन्नत. मन्नत के बाहर वो भीड़. कुल मिलाकर ये सारी चीज़ें सारी तस्वीरें सारी बातें सारे दावे बस 29 दिनों का तमाशा निकला. जी हां, महज़ तमाशा. तमाशा, देश की एक इज़्ज़तदार एजेंसी का. तमाशा उस इज़्ज़तदार एजेंसी के एक असरदार अफ़सर का... तमाशा, क़ानून का... इंसाफ़ का, इल्ज़ाम का, भरोसे का...

जांच एजेंसियां, क़ानून, इंसाफ़, अदालतें. इन सब पर देश के आम लोग यूं ही ऊंगलियां नहीं उठाते... यूं ही वो तंज़ नहीं कसते कि क़ानून भी हैसियत देख कर भेदभाव करता है. देश को नशे से बचानेवाली सबसे बड़ी एजेंसी एनसीबी यानी नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने आर्यन ख़ान को पकड़ कर तब ग़लती की थी या आर्यन ख़ान को क्लीन चिट देकर अब ग़लती की है, ये तो एनसीबी ही बता सकती है...

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मगर इस एक केस से उसके दामन पर जो दाग़ लगा है, वो शायद ही कभी धुल पाए... आज के बाद वो जब भी किसी पर हाथ डालेगी उसका हर हाथ और हरकत शक के घेरे में होगी... क्योंकि लोगों के भरोसे का ख़ून उसने ख़ुद अपने हाथों से किया है... सवाल तो उससे पूछे ही जाएंगे कि आर्यन ख़ान का केस इस लायक ही नहीं था कि उसका नाम चार्जशीट के पन्नों तक में दर्ज किया जा सके, तो फिर पूरे 28 दिनों तक उसे जेल की चारदीवारी में क़ैद क्यों रखा गया?

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उसे जवाब देना होगा कि आर्यन ख़ान की गिरफ़्तारी उस वक़्त ग़लत थी, तो फिर उस ग़लत को सही ठहराने की मजबूरी क्या और किसकी थी? एक बेक़सूर को नशेड़ी-गंजेड़ी बना देनेवाले एनसीबी के ज़िम्मेदार अफ़सरों को क्या कोई सज़ा मिलेगी? उम्मीद कम है... वैसे भी ये एक बड़े बाप के बड़े बेटे का केस है, तो ग़लती पर नज़र पड़ गई, वरना इसी देश में ऐसे हज़ारों लाखों लोग भरे पड़े हैं, जिन्हें नामालूम कब कहां कैसे इसी एनसीबी ने नशेड़ी गंजेड़ी बना दिया हो...

एनसीबी ने शुक्रवार यानी 27 मई को क्रूज़ ड्रग्स केस मामले में चार्जशीट दाखिल की है. ये वही केस है, जिसमें 2 अक्टूबर 2021 को एनसीबी की मुंबई टीम ने मुंबई से गोवा जा रहे एक क्रूज़ पर छापा मारा था... इस छापे और छापे के बाद कुल 20 लोगों को गिरफ़्तार किया गया था... इनमें सबसे बड़ा नाम शाहरुख ख़ान के बेटे आर्यन ख़ान का था... क़ायदे से इस केस के 90 दिनों के अंदर-अंदर एनसीबी को चार्जशीट दाखिल करनी थी...

मगर वो ऐसा नहीं कर सकी... तय मियाद निकलने के बाद अदालत से एनसीबी ने चार्जशीट दाखिल करने के लिए 90 और दिनों की मोहलत मांगी थी... लेकिन अदालत ने 60 दिनों की अतिरिक्त मोहलत दी थी... तय वक़्त पर एनसीबी तब चार्जशीट इसलिए नहीं दाखिल कर पाई थी क्योंकि तब भी आर्यन समेत कुछ लोगों के ख़िलाफ़ उसे कोई सबूत नहीं मिल रहे थे...

और अब जब उसने चार्जशीट दाखिल कर दी, तब भी गिरफ़्तार 20 लोगों में से आर्यन समेत 6 लोगों के ख़िलाफ़ उसे कोई सबूत नहीं मिला... यानी एनसीबी ने 28 दिनों तक जेल में रखने के बाद आर्यन ख़ान को अब क्लीन चिट दे दी है... क्लीन चिट यानी इस पूरे केस में एक तरह से उसे ग़लत फंसाया गया... ग़लत उठाया गया...

इन दो पहलुओं से समझिए आर्यन खान केस को : इस पूरे मामले को समझने के लिए इसके दो पहलू को समझना ज़रूरी है. पहला ये कि 2 अक्टूबर को ऐसा क्या हुआ कि आर्यन को गिरफ़्तार करना पड़ा? और दूसरा जांच के दौरान ऐसा क्या मिला कि आर्यन को क्लीन चिट देनी पड़ी? दो अक्टूबर को बकौल एनसीबी मुखबिर से उसे जानकारी मिली थी कि गोवा जा रहे एक क्रूज़ पर ड्रग्स पार्टी होनी है...

इसी के बाद एनसीबी की टीम क्रूज़ रवाना होने से पहले ही वहां पहुंच गई... छापे और तलाशी के दौरान उसे कुछ ड्रग्स भी मिले... उसी क्रूज़ पर आर्यन ख़ान भी मौजूद था... अपने दोस्त अरबाज़ मर्चेंट के साथ... एनसीबी को अरबाज़ के पास से तो कुछ ड्रग्स मिले, लेकिन आर्यन के पास से कोई ड्रग्स नहीं मिला...

फिर भी तब एनसीबी की टीम की अगुवाई कर रहे समीर वानखेड़े ने आर्यन ख़ान को भी गिरफ़्तार कर लिया... इसके बाद पूछताछ हुई... फिर समीर वानखेड़े ने गिरफ़्तारी को जायज़ ठहराने के लिए तब कई दावे भी किए...

मगर बाद में जैसे जैसे केस मीडिया में सुर्खियां बटोरती गई, समीर वानखेड़े भी निशाने पर आते गए. ख़ास कर तब के महाराष्ट्र के मंत्री और फ़िलहाल जेल में बंद नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया के ज़रिए पूरा मोर्चा ही खोल दिया... इल्ज़ाम ये तक लगे आर्यन ख़ान की रिहाई के एवज में समीर वानखेड़े के कहने पर करोड़ों रुपये की डील भी हो रही थी... नवाब मलिक और समीर वानखेड़े की लड़ाई इस हद तक जा पहुंची कि बात समीर वानखेड़े की शादी, उनकी जाति, धर्म और बर्थ सर्टिफ़िकेट तक जा पहुंची.

इसी के बाद समीर वानखेड़े को आर्यन केस से हटा दिया गया. अब उनकी जगह जांच एक एसआईटी को सौंपी गई... जिसके चीफ़ संजय कुमार सिंह थे... अब क्रूज़ ड्रग्स केस की जांच समीर वानखेड़े की जगह संजय कुमार सिंह कर रहे थे... और उन्हीं संजय कुमार सिंह की जांच रिपोर्ट के बाद ये चार्जशीट दाखिल हुई है... जिसमें आर्यन समेत 6 लोगों को क्लीन चिट दी गई है...

आर्यन ख़ान को क्लीन चिट देने की 3 वजहें

पहला : आर्यन के पास से ड्रग्स नहीं मिला

चार्जशीट के मुताबिक क्रूज़ पर अरबाज़ के पास से तो ड्रग्स मिला था, लेकिन आर्यन के पास कोई ड्रग्स नहीं था... चार्जशीट के मुताबिक अरबाज़ ने भी अपने बयान में भी ये बात कही कि ड्रग्स आर्यन के लिए नहीं था... उल्टे आर्यन ने उसे क्रूज़ पर ड्रग्स लाने से मना भी किया था... ये बात आर्यन के हक में गई...

दूसरा : किसी आरोपी का मेडिकल नहीं

चार्जशीट साफ़-साफ़ लिखा है कि रेड मारने वाली एनसीबी की टीम ने सबसे बड़ी ग़लती ये की कि क्रूज़ से पकड़े गए आर्यन समेत किसी भी आरोपी की मेडिकल जांच नहीं कराई... जिससे ये पता ही नहीं चला कि गिरफ़्तार आरोपियों ने ड्रग्स ली थी या नहीं... जबकि नियम के हिसाब से एनसीबी को तब हरेक आरोपी की मेडिकल जांच करानी चाहिए थी... आर्यन को इस चीज़ ने भी क्लीन चिट दिलाने में मदद की...

तीसरा : मोबाइल अवैध तरीक़े से क़ब्ज़े में लेना

समीर वानखेड़े और उनकी टीम ने तब ज़ोर-शोर से ये दावा किया था कि मामला सिर्फ़ क्रूज़ पर ड्रग्स का नहीं है... बल्कि आर्यन के इंटरनेशनल ड्रग रैकेट से भी लिंक हैं... इसके लिए समीर वानखेड़े ने आर्यन के मोबाइल को व्हाट्स एप चैट के सबूत के तौर पर पेश किया... लेकिन चार्जशीट के मुताबिक पहली बात तो ये कि व्हाट्स एप चैट से ये साबित ही नहीं होता कि बातचीत ड्रग्स को लेकर है... और उससे भी बड़ी बात ये कि आर्यन के मोबाइल को क़ानून तरीक़े से हासिल ही नहीं किया गया... ऐसे में अदालत में वो किसी भी शक्ल में सबूत माना ही नहीं जाना था...

तो फिर पहली जांच में कमियां क्या थीं

यानी कुल मिलाकर खुद एनसीबी भी मानती है कि इस केस की जांच ईमानदारी और क़ानून के दायरे में रह कर नहीं की गई... लेकिन एनसीबी इस बात पर अब भी ख़ामोश है कि अगर क्रूज़ ड्रग्स केस में आर्यन समेत अगर कुछ लोगों को जानबूझ कर फंसाया गया, तो उन अफ़सरों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई होगी या नहीं... बात पूरे एनसीबी की साख़ की है...

साख़ को बरक़रार रखने के लिए मैसेज देना ज़रूरी है... ज़ाहिर है, बात अगर कार्रवाई की हुई तो समीर वानखेड़े और उनकी टीम मुश्किल में होगी... शुरुआत नज़र भी आने लगी है... आर्यन को क्लीन चिट देने की ख़बर पर आज तक ने जब समीर वानखेड़े से उनकी राय जाननी चाही, तो उन्होंने सीधे माफ़ी मांग ली... कहा सॉरी मैं इस बारे में कुछ भी नहीं कहना चाहता... क्योंकि मैं अब एनसीबी में नहीं हूं...

वैसे एक बात और बता दूं आपको... आर्यन समेत छह लोगों को बेशक क्लीन चिट मिल गई... लेकिन आनेवाले वक़्त में ये आगे चल कर इस केस में कोई नया सुराग़ या सबूत मिलता है, तो केस में फिर से चार्जशीट दाखिल की जा सकती है...

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