जिसे समझ रहा था बिल्ली के झपट्टे का घाव वो निकली बंदूक की गोली,10 घंटे तक सीने में गोली लेकर घूमता रहा शख्स, एक अजीबोगरीब वारदात

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जिसे समझ रहा था बिल्ली के झपट्टे का घाव वो निकली बंदूक की गोली,10 घंटे तक सीने में गोली लेकर घूमता ...
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ये हैरान कर देने वाला मामला जालौर के रानीवाड़ा इलाके के कोटड़ा की है। यहां पर बिजली की लाइनों में आने वाली परेशानियों को ठीक करने के लिए दफ्तर बनाया हुआ है। इसी दफ्तर में तीन लाइनमैन रात की ड्यूटी के दौरान सोते थे। रात में अगर कोई शिकायत आती तो ये लोग यहीं से मौके पर पहुंचकर बिजली की सप्लाई चालू कर दिया किया करते थे।

इन्हीं लाइनमैन में से एक नेमीचंद 17 सितंबर की रात एक फॉल्ट सही करने गया था । रात में सब लाइनमैन रात 12 बजे के करीब दफ्तर पर लौटे और सो गए। रात में 1 बजे नेमीचंद की नींद खुली उसे लग रहा था कि उसके सीने में कुछ गर्म चीज घुस गई है। बेचैनी में वो उठा तो देखा कि कमरे के अंदर बिल्ली घूम रही थी। नेमीचंद को लगा कि बिल्ली ने झपट्टा मारा होगा जिसकी वजह से उसे सीने में जलन हुई है।

पानी पीने के बाद नेमीचंद सो गया। सुबह जब वो उठा तो उसे सीने में दर्द की शिकायत हुई जिसके बाद वो पास के ही एक डॉक्टर के पास गया और वहां से दर्द कम करने का इंजेक्शन लगाकर आ गया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसी बीच साथी लाइनमैन सुरेश को उस कमरे के अंदर से ही गोली का एक खाली खोखा मिला। ये खोखा उसने नेमीचंद को दिखाया कहीं उसे गोली तो नहीं लगी जिसकी वजह से उसके सीने में जलन हो रही हो।

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सात घंटे बाद पता चला गोली लगी है

सुरेश की बात मानते हुए नेमीचंद अपना एक्सरे कराने पहुंचे। एक्सरे में दिखा कि नेमीचंद के सीने में दिल के पास पसलियों मे गोली फंसी हुई है। जिसे नेमीचंद बिल्ली का झपट्टा समझ रहा था दरअसल वो गोली थी। ये देखकर ना केवल नेमीचंद बलकि उसके साथ भी हैरान थे। नेमीचंद को ऑपरेशन के लिए सांचौर भेजा गया और वहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर दस घंटे बाद उसके सीने से गोली निकाली ।

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डॉक्टरों के मुताबिक ये गोली हार्ट के निचले हिस्से में लगी थी। पसलियों को सीधी हिट ना करके थोड़ी दिशा बदलते हुए पसलियों और चमड़ी के बीच मांस में तिरछी चली जाने से गहरी नहीं गई। गोली 15 सेमी तक शरीर के अंदर गई है ।

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रिब्स केव (पसलियों के बीच एक हिस्सा) में फंसने से दिल, पसलियों और पेट के भीतर नुकसान नहीं हुआ। चमड़ी व रिब्स केव के बीच रहने से वहां पर घाव पड़ गया था लेकिन युवक की जान बच गई।

गोली चलने का पता किसी को नहीं चला

चौंकाने वाली बात ये है कि जब नेमीचंद को गोली लगी उस वक्त नेमीचंद के साथ उसके दो साथी लाइनमैन भी मौजूद थे लेकिन किसी को भी गोली चलने की आवाज नहीं आई। ना ही कमरे के अंदर किसी के आने जाने के निशान मिले। ऐसे में ये पूरा मामला संदिग्ध नजर आ रहा है।

पुलिसे के मुताबिक उन्हें अस्पताल से सूचना मिली थी कि 35 साल के नेमीचंद जो राजस्थान के हिंडौन सिटी का रहने वाला है गोली लगने के बाद ऑपरेशन के लिए लाया गया है। पुलिस ने नेमीचंद की शिकायत पर 307 का मामला दर्ज कर लिया है लेकिन पुलिस को समझ नहीं आ रहा है कि कैसे नेमीचंद को गोली लगी। गोली क्या नेमीचंद ने खुद ही मारी या फिर उसे मारी गई या फिर दुर्घटनावश ये गोली उसे लगी।

इन सभी सवालों का जवाब हर कोई जानना चाहता है क्योंकि बिल्ली के झपट्टे से शुरु हुई ये कहानी सीने में लगी गोली तक पहुंच गई। सवाल यही रह जाता है कि आखिर बंदूक की नाल से लेकर नेमीचंद के सीने तक गोली का सफर कैसे और कहां से शुरु हुआ?

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