सोना उगलने वाला ज्वालामुखी! कामयाब हुए तो मिलेगा सोना वरना मिलेगी मौत

ADVERTISEMENT

सोना उगलने वाला ज्वालामुखी! कामयाब हुए तो मिलेगा सोना वरना मिलेगी मौत
social share
google news

कहते हैं ये सोना उगलने वाला ज्वालामुखी कभी नहीं सोता, लावे की नदी की इस ज्वालामुखी से ना जाने कब से बह रही है। यहां सिर्फ दहकता लावा ही नहीं है, इस लावे के साथ धरती को फाड़ कर निकलता है गाढा और मटमैला धुआं। यहां पहुंचने का मतलब है मौत, सिर्फ मौत। कोई भी समझदार इंसान इस मौत के ज्वालामुखी तक पहुंचने की हिम्मत नहीं करेगा, लेकिन जब इंसान के दिलो दिमाग पर लालच हावी होता है तो वो पहुंच जाता है इस ज्वालामुखी के एकदम करीब। सोने से अपनी अपनी टोकरियों को भरने, सोने की बड़ी बड़ी सिल्लियां। एक एक सिल्ली का वज़न कई किलो में है। पीले सोने की इन सिल्लियों को देखकर किसी का भी मन ललचा सकता है, लेकिन इन्हे पाने के लिए इन्होने लगाई है जान की बाज़ी।

कहां है सोने उगलने वाला ये ज्वालामुखी?

इस सोना उगलने वाले ज्वालामुखी पर एक ही कायदा चलता है, यहां अगर सोना पाना है तो अपनी ज़िंदगी से खेलना ही होगा।  जीत गए तो मिलेगा सोना और हारे तो मिलेगी मौत। सदियों से सोना उगलने वाले इस ज्वालामुखी की यही कहानी है। सोना उगलने वाले दुनिया के इस सबसे हैरतअंगेज़ ज्वालामुखी का नाम है, काजा। इंडोनेशिया के जावा के एकदम पूर्व में है काजा ज्वालामुखी, यहां पहुंचने के लिए है उबड़ खाबड़, झाड़ियों से घिरा रास्ता। कुछ दूर तो यहां गाड़ी से जाया जा सकता है लेकिन ये गाड़ी आपको ज्वालामुखी के एकदम करीब नहीं ले जा सकती, क्योंकि जिस जगह ये ज्वालामुखी है वहां गाड़ी तो क्या पैदल इंसान का पहुंचना भी नामुमकिन सा है। ऊंची, दुर्गम पहाड़ी और सफेद चट्टानों की पीछे दहकता है काजा ज्वालामुखी।

ADVERTISEMENT

ध्यान से देखिए इस पीली लकीर को, ये वो रास्ता है जो सीधे सोना उगलने वाले ज्वालामुखी तक ले जाता है। शायद ही कोई इंसान बिना किसी सहारे के इस खड़ी चढ़ाई को चढ़ सकता है, लेकिन पीले चमकदार सोने का लालच जब जगता है तो इंसान कुछ भी कर गुज़रता है। सोना पाने के लिए लोग ज़िंदगी और मौत का खेल खेल रहे हैं, ज़रा सा पाव फिसला नहीं कि मौत तय है।

कैसे निकाला जाता है येलो गोल्ड?

ADVERTISEMENT

पहाड़ी के उपर ज्वालामुखी के करीब ढेर सारा पीला सोना है, लेकिन इस पीले सोने को पाने के लिए पड़ेगी औजारों की ज़रुरत और सोना वापस लाने के लिए चाहिए बड़ी बड़ी टोकरियां। लिहाज़ा पीला सोना बटोरने के लिए यहां आने वाले लोग बड़ी बड़ी टोकरियां लेकर सफेद पहाड़ पर चढ़ाई कर रहे हैं। चढ़ाई पूरी होते ही नज़र आता है दहकता लावा, गाढ़ा मटमैला धुआं और महसूस होती है बेतहाशा गर्मी। ये संकेत है इस बात का कि सोने उगलने वाला काजा ज्वालामुखी आ चुका है।

ADVERTISEMENT

यहां लावे और धुएं के पीछे मौजूद है सैकड़ों टन पीला सोना, ये देखिए कैसे यहां पड़ी हुई हैं सोने की सिल्लियां, सोने का बुरादा। यहां जहां नज़र घुमाओ वहीं दिखता है पीला सोना, जिसकी टोकरी में जितनी जगह है वो उतना सोना भर लेता है। टोकरियों में लोग कई कई किलो पीला सोना भर लेते हैं। मगर इस सोने को पहाड़ के नीचे लाना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन फिर भी कंधे पर पीले सोने के इस भारी बोझ को लादे लोग नीचे की ओर चल पड़ते हैं।

मौत का दरवाज़ा कहलाता है काजा ज्वालामुखी

इंडोनेशिया का काजा ज्वालामुखी को दुनिया दो नामों से जानती है, पहला नाम है सोना उगलने वाला ज्वालामुखी और दूसरा नाम है मौत का ज्वालामुखी। सोना उगलने वाला ये ज्वालामुखी अब तक सैकड़ों जान ले चुका है। सोना पाने के लालच में लोग यहां आते हैं, कुछ तो सोना ले जाने में कामयब होते हैं लेकिन कुछ हमेशा हमेशा के लिए यहीं मौत के आगोश में सो जाते हैं।

क्या है सोने की हकीकत?

सोना उगलने वाला ये ज्वालामुखी मौत का दरवाज़ा क्यों कहलाता है ये हम आपको ज़रुर बताएंगे लेकिन पहले जान लीजिए इस पीले सोने की हकीकत। ये पीले-पीले पत्थर के टुकड़े सोने जैसे लगते हैं लेकिन हकीकत में ये सल्फर है। केमेस्ट्री की भाषा मे इसे सल्फर कहा जाता है लेकिन इस पूरे इलाके के लोग इसे येलो गोल्ड यानी पीले सोने के नाम से ही जानते हैं। दरअसल ये सोने जैसे पीला और चमकदार दिखने वाला सल्फर इन लोगों के लिए असली सोने से कम नहीं है।

इस पीले सोने की कीमत क्या है?

सल्फर यानी येलो गोल्ड ही इन लोगों के लिए इकलौती रोज़ी रोटी है, ये सल्फर बेहद काम की चीज़ है। पूरी दुनिया में इससे शुद्ध और असली सल्फर कहीं और नहीं मिलता, हर रोज़ यहां से करीब दस हज़ार किलो सल्फर रोज़ निकाला जाता है। येलो गोल्ड यानि सल्फर निकालने की यहां इतनी होड़ मची रहती है कि हर कोई एक बार में ही अपनी पूरी टोकरी भर लेना चाहता है। येलो गोल्ड यानी सल्फर से ये लोग रोज़ हज़ारों रुपये कमाते हैं, लेकिन इसके लिए इन्हे बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है और वो कीमत है इनकी जान।

हर साल सैकड़ों जानें जाती हैं

यलो गोल्ड के लालच में यहां पहुंचने वाले लोगों का सबसे बड़ा दुश्मन है ये मटमैला धुआं, इस धुएं में भरा हुआ है ज़हर। सिर्फ एक सांस लेते ही ज़हर के हज़ारो कण यहा मौजूद इंसान के फेफड़े में समा जाते हैं, ये लोग इतने गरीब है कि अपने लिए एक मास्क तक नहीं खरीद सकते। यहां पहुंचते ही आंखे जलने लगती हैं और कुछ समय बाद आंख, फेफड़े और शरीर के करीब करीब हर अंग काम करना बंद कर देते हैं। इसी तरह ये ज्वालामुखी हर साल सैकड़ों लोगों की जान ले लेता है।

50 साल पहले ज्वालामुखी ने मचाई थी तबाही

सारी दुनिया ने इस सोना उगलने वाले ज्वालामुखी के सबसे खतरनाक कहर 40 साल पहले 1970 में देखा था। जब इस लावे से निकली टॉक्सिक गैस ने एक साथ एक ही पल में 27 मजदूरों को मौत की नींद सुला दिया था। येलो गोल्ड के बोझ और इस ज़हरीले धुएं ने यहा काम करने वाले लोगों की ज़िंदगी आधी कर दी है। समय से पहले ही ये उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुंच गए हैं.. लेकिन पीले सोने का लालच इन लोगों पर इस कदर हावी है कि ये ज़िंदगी से हर पल खिलवाड़ कर रहे हैं और सालों से सोना उगलने वाले इस ज्वालामुखी पर मौत का खेल बदस्तूर जारी है।

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    यह भी पढ़ें...

    ऐप खोलें ➜