59 सालों से कयासों में ही उलझा हुआ है क़त्ल का क़िस्सा, जॉन एफ केनेडी की हत्या की पूरी कहानी

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59 सालों से कयासों में ही उलझा हुआ है क़त्ल का क़िस्सा, जॉन एफ केनेडी की हत्या की पूरी कहानी
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कभी न ख़त्म होने वाली कहानी

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : : एक था राजा और एक थी रानी के क़िस्से से थोड़ा जुदा ये कहानी उस राजा की है जो 59 साल पहले एक गुनगनी दुपहरी को जब अपनी रानी के साथ प्रजा को दर्शन देता हुआ अपनी मंज़िल की तरफ चला जा रहा था, तभी अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उस राजा की मंज़िल ही बदल गई। दिन दहाड़े हज़ारों नज़रों के सामने और बीच रास्ते में उस राजा की ज़िंदगी का सफर ख़त्म हो गया।

लेकिन 59 साल पहले उस राजा और उसके ऐसे अंजाम को लेकर क़िस्से और कहानियों का जो सिलसिला शुरू हुआ तो अभी तक उसने थमने का नाम नहीं लिया। बल्कि जैसे जैसे वक़्त आगे बढ़ता जा रहा है, इस क़िस्से में कुछ न कुछ ऐसा जुड़ जाता है, जो इस कहानी को और भी ज़्यादा दिलचस्प और रहस्यमयी बना देता है। वो राजा कोई और नहीं बल्कि दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्क का राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी यानी जॉन फ़िट्जगेराल्ड केनेडी (JOHN FITZGERALD KENNEDY) हैं। और ये कहानी जॉन एफ केनेडी की हत्या के बाद पैदा हुए रहस्य की तमाम पर्तों को खंगालती है।

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59 सालों से बना हुआ है सस्पेंस

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : ये दुनिया की शायद इकलौती मर्डर मिस्ट्री है, जिसे सुनने और सुनाने वाला दोनों ही एक वक़्त के बाद जासूस बन जाते हैं। और फिर उस कहानी की कुछ इस अंदाज़ में चीर फाड़ शुरू कर देते हैं, कि पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर भी शरमा जाएं। हत्या का ये क़िस्सा दुनिया भर में इकलौता ऐसा क़िस्सा है जो पिछले 59 सालों से सस्पेंस के गहरे अंधेरे में खोया हुआ है।

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आलम ये है कि इस गुज़रे वक़्त में दुनिया की तस्वीर बहुत बदल गई। वर्ल्ड ब्लैक एंड व्हाइट के ज़माने से निकलकर डिजिटल युग का भी क़रीब आधा रास्ता तय कर चुका है। मगर नहीं बदला तो जॉन एफ केनेडी की हत्या का वो रहस्य, जो इतने सालों बाद भी जस का तस बना हुआ है। इस हत्या पर रहस्य को लेकर न जाने कितने कयास और अंदाज़ अपनी उम्र गुज़ार कर गुज़र चुके हैं। मगर वो राज़ आज तक कोई भी फ़ाश नहीं कर सका।

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प्रेसिडेंट केनेडी के वो आख़िरी शब्द

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE :बात 1963 के नवंबर महीने की 22 तारीख की है। उस रोज़ अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी तमाम सियासी ना नुकूर के बावजूद उत्तरी टेक्सास के शहर डलास पहुँचे थे। दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्क़ का राष्ट्रपति अपने पूरे लाव लश्कर और अपनी पत्नी जैकलीन केनेडी ओनासिस के साथ एक खुली लिमोज़िन में लोगों की भीड़ के बीच से गुज़रते हुए जा रहे थे।

माहौल बेहद खुशमिज़ाज था, धूप भी खिली हुई थी, और अमेरिका की घड़ी में दोपहर के 12.30 बज रहे थे और जॉन एफ केनेडी का काफिला डी जी प्लाजा पहुँचा। उस वक़्त उस खुली हुई कार जॉन एफ केनेडी और उनकी पत्नी के अलावा दो और लोग भी मौजूद थे। वो थे टेक्सस के गवर्नर कॉनली और उनकी पत्नी नेली कॉनली भी मौजूद थीं। उस भीड़ को देखकर नेली कॉनली ने जॉन एफ केनेडी से कहा, मिस्टर प्रेसीडेंट, अब आप ये नहीं कह सकते कि डलास आपको प्यार नहीं करता। इस पर केनेडी ने कहा, नहीं, बिलकुल नहीं कह सकता।

प्रेसिडेंट जॉन एफ केनेडी के मुंह से जैसे ही ये शब्द निकले... कि अचानक दो गोलियों की आवाज़ ने सारा मंज़र ही बदल डाला। जहां लोग मुस्कुराकर और हाथ हिलाकर अपने राजा के सामने अपनी खुशी ज़ाहिर कर रहे थे, वहां लोग अपने हाथों से अपना ही चेहरा थामे सुन्न पड़ चुके थे।

मंज़र को बयां करने वाले थके हुए शब्द

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE :अमेरिकी सेना का जो दस्ता उस वक़्त राष्ट्रपति के काफिले के साथ कदमताल करता हुआ चल रहा था, वो अफ़रा तफ़री में इधर उधर भागता दिखाई दे रहा था। जो काले रंग की साफ सुथरी लिमोज़िन रफ़्ता रफ़्ता आगे बढ़ रही थी वो अचानक ठिठक कर रुक चुकी थी और खून के छींटों और मांस के लोथड़े से सराबोर हो चुकी थी।

गोलियों की आवाज़ आने से पहले जो जैकलीन अपने पति जॉन ए केनेडी के साथ चेहरे पर खिली हुई मुस्कुराहट के साथ लोगों को देखकर खुश हो रही थीं, वो अचानक गश खाकर अपने होश गंवा चुकी थी, क्योंकि उनकी गोद में उनके पति के सिर का एक हिस्सा था और उनके सारे कपड़े पति के खून से सराबोर।

ये वो मंज़र था जिसे बयां करते करते शब्द तो थक सकते हैं लेकिन वो मंज़र ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेता।

जिन दो गोलियों ने उस खुशनुमा माहौल को चीख़ पुकार और अफ़रा तफ़री के मंज़र में तब्दील कर दिया था, उनमें से एक गोली तो जॉन एफ केनेडी के सिर पर लगी थी, जिससे उनके सिर का एक हिस्सा उधड़कर उनकी पत्नी की गोद में जा गिरा था जबकि दूसरी गोली राष्ट्रपति केनेडी की गर्दन में लगी थी। हालांकि कुछ चश्मदीदों के मुताबिक उन लोगों ने तीन गोलियों की आवाज़ सुनी थी।

खिली धूप में छा गया अंधेरा

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : 22 नवंबर 1963 की उस दोपहर के बाद से अब तक शायद ही कोई दौर ऐसा गुज़रा हो जब इस क़त्ल इस बेहिस मर्डर और इस सनसनीखेज हत्या के बारे में बात न हुई हो। और जब भी इस हत्या के बारे में बात हुई तो यही कि आखिर जॉन एफ केनेडी की हत्या किसने और क्यों की? और इसी सवाल के भंवरजाल में पिछले 59 साल से पूरी दुनिया फंसी हुई है, जिससे निकलने की उसकी तमाम कोशिशें नाकाफी साबित हुईं।

यानी दुनिया के सबसे ताक़तवर देश के राष्ट्रपति को दिन दहाड़े खुलेआम मौत के घाट उतार दिया गया, और वो देश आज तक उस क़ातिल और उसके मक़सद का पता तक नहीं लगा सका।

वो 24 साल का नौजवान था

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि जॉन एफ केनेडी की हत्या के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने कुछ नहीं किया, बल्कि जिस वक़्त ये वारदात हुई उस के थोड़ी ही देर बाद डीली प्लाज़ा के पास ही पुलिस अफसर जेडी टिपिट ने एक 24 साल के नौजवान को देखा, जो पुलिस को देखकर वहां से भागने की फिराक़ में था।

पुलिस ने बचने के लिए उसने पीछा करने वाले पुलिस अफसर पर गोली भी चलाई थी, लेकिन थिएटर के एक क्लर्क की मदद से पुलिस ने आखिर उस नौजवान को पकड़ लिया, जिसकी पहचान हार्वी ओसवाल्ड के तौर पर हुई। पुलिस और अमेरिकी अधिकारियों ने उसे ही राष्ट्रपति की और पुलिस अफसर टिपिट की हत्या का आरोपी बताकर उस पर मुकदमा क़ायम किया।

कहानी में आया ज़बरदस्त ट्विस्ट

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : मगर अब केनेडी की हत्या की इस कहानी में ट्विस्ट यहीं से शुरू होने लगे। पुलिस की गिरफ़्त में पहुँच गए ओसवाल्ड ने केनेडी की हत्या के इल्ज़ाम को नकार दिया और खुद को बेगुनाह बताने लगा लेकिन दो दिन बाद जैसे ही डलास की पुलिस ओसवॉल्ड को कंट्री जेल में शिफ्ट किया जा रहा था तभी डलास में एक नाइट क्लब चलाने वाले जैक रूबी ने उसे सामने से आकर गोली मार दी, जिससे ओलवॉल्ड की वहीं मौत हो गई।

बाद में रूबी ने ये कहकर सभी को चौंका दिया कि वो केनेडी की हत्या से बेहद दुखी था और परेशानी के उसी आलम में उसने उस आरोपी को मौत के घाट उतार दिया जिसने जैकलीन केनेडी को विधवा कर दिया था।

यानी केनेडी की हत्या के आरोपी को मार दिया गया था, मगर ये कहानी कुछ रोज बाद फिर अचानक बीच चौराहे पर आकर खड़ी हो गई जब जैक रूबी के बारे में जेल से खबर सामने आई कि उसने आत्महत्या कर ली।

शक के दायरे में घसीटी गई खुफ़िया एजेंसी

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : अब एक बार फिर केनेडी की हत्या की कहानी सरेआम लोगों की जुबान पर आ गई और साथ में खुले आम लगने लगी कयासों की क्यारियां। एक के बाद एक हर कोई केनेडी की मौत का ज़िक्र करने लगा और उस वक़्त के अमेरिका की सियासत को लेकर उसकी बखिया उधेड़ना शुरू कर दिया।

जब भी केनेडी की हत्या का ज़िक्र हुआ तो कुछ अमेरिकियों ने अपनी ही खुफ़िया एजेंसी CIA को शक के दायरे में घसीटना शुरू किया तो कुछ ने अमेरिका की आन बान और शान कही जाने वाली सबसे बड़ी जांच एजेंसी FBI पर काहिली का इल्ज़ाम लगाना शुरू कर दिया। इन्हीं बातों के बीच बीते 50 सालों के दौरान अनगिनत थ्योरियां भी सामने आने लगी, बस नहीं सामने आया तो केनेडी का क़ातिल और क़ातिल का मक़सद।

केनेडी की हत्या की साज़िश को तलाशने वाली थ्योरीज़ के इस सिलसिले में कई ऐसी भी थीं, जिन्हें अफवाहों और ख्यालों की खाद पानी भी खूब मिली।

USSR की KGB पर सबसे पहला शक

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : 1963 ये वो दौर था जब अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध अपने चरम पर था। दोनों ही दुनिया पर अपनी दादागीरी का दबदबा बनाने के लिए एक दूसरे को नीचा दिखाने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने देते थे। इसी बीच एक ऐसी घटना भी हो गई थी जिसने पूरी दुनिया को तबाही के बेहद नज़दीक लाकर खड़ा कर दिया था।

असल में उस वक़्त अमेरिका के पड़ोसी देश क्यूबा में USSR ने अपनी न्यूक्लियर मिसाइलें तैनात कर रखी थीं जिनको लेकर अमेरिका ने गदर काट रखा था। दुनिया में घूम घूमकर अमेरिका सोवियत संघ पर क्यूबा से मिसाइल हटाने का दबाव बनाता रहा। और कुछ हद तक इस मामले में अमेरिका की बात बन भी गई और क्यूबा से मिसाइल हटाने के साथ साथ सोवियत संघ के साथ अमेरिका के बीच एक समझौता भी हुआ, जिसमें केनेडी की भूमिका को बेहद अहम माना गया।

ये वो दौर था जब सोवियत संघ में ख्रुश्चेव राष्ट्रपति हुआ करते थे। और ये बात खूब उड़ी कि केनेडी को मरवाने में ख्रुश्चेव का हाथ हो सकता है। कहा जाने लगा कि सोवियत संघ की खुफिया एजेंसी KGB ऐसे किसी भी ऑपरेशन के लिए बेहद कुख्यात है। ऐसी बातें तो बहुत उड़ी लेकिन कुछ भी पुख्ता तौर पर सामने नहीं आ सका।

अमेरिकियों को बहुत सालों तक CIA पर होता रहा शक

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : अमेरिका के खुफ़िया विभाग को CIA कहा जाता है। जिसके बारे में ये बात दूसरे विश्वयुद्ध से ही मशहूर रहा कि इससे ज़्यादा बेरहम और ख़ौफ़नाक एजेंसी दुनिया में दूसरी नहीं। जो किसी को भी नहीं बख्शती। लिहाजा अमेरिका के लोगों में ये बात घर करने लगी कि हो न हो इसी खुफिया एजेंसी ने ही अपने राष्ट्रपति का काम तमाम किया है।

वैसे तो मौटे तौर पर इस एजेंसी का काम है दूसरे के फटे में टांग अड़ाना, यानी दुनिया के तमाम देशों में ताका झांकी के साथ साथ उनके निजी मामलों में दखल देना इस एजेंसी की आदत है। असल में उस शीत युद्ध के दौर में क्यूबा और सोवियत संघ के साम्यवाद को लेकर राष्ट्रपति केनेडी का जो रुख था, वो CIA के गले से नहीं उतर रहा था।

ऐसे में कई ऐसे मामलों में केनेडी और CIA के अफसरों के बीच मतभेद की बातें सामने आ चुकी थीं। क्यूबा में उस वक़्त फिदेल कास्त्रो की हुकूमत थी और फिदेल कास्त्रो का काम तमाम करने के लिए CIA ने सुपारी किलिंग तक के सपने संजो रखे थे। यहां तक कि कई ऐसे ऑपरेशन भी CIA ने करवाए जिसमें उन्हें नाकामी हाथ लगी।

इसी बीच केनेडी ने CIA को ये तमाम ऑपरेशन बंद करने की हिदायत दे दी। जिसने CIA को बुरी तरह से बेचैन कर दिया था। लिहाजा थ्योरी का सिरा इस नतीजे पर जा पहुँचा कि हो न हो CIA ने अपने रास्ते का कांटा समझकर अपने ही राष्ट्रपति केनेडी को रास्ते से हटा दिया।

माफिया पर राष्ट्रपति को मरवाने के कयास

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : जिस वक़्त अमेरिका और दुनिया के तमाम लोग राष्ट्रपति केनेडी की हत्या की साज़िश और मास्टरमाइंड का पता लगाने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर लगाए हुए थे तभी एक और थ्योरी ने सिर उठाया, जिसे जमकर जुबान मिली।

कहा जाने लगा कि अमेरिका के कई माफिया सरगनाओं ने मिलकर इस हत्या की साज़िश रची क्योंकि माफिया ने क्यूबा में बहुत सारा पैसा लगा रखा था लेकिन क्यूबा के साथ अपने संबंध सुधारने के चक्कर में केनेडी ने सीधे तौर पर माफिया के पेट पर लात मारी है, लिहाजा उनका सारा धंधा चौपट होने की कगार पर पहुँच सकता है।

इस थ्योरी को उस वक़्त भी बहुत हवा मिली जब खुफिया एजेंसी CIA का एक कच्चा चिट्ठा सामने आ गया कि फिदेल कास्त्रों को मारने के लिए खुफिया एजेंसी ने माफिया सरगनाओं को सुपारी दी है। मगर कुछ ही अरसे में इस थ्योरी की भी हवा निकल गई, क्योंकि किसी भी तरह से ऐसा कोई भी सबूत सामने नहीं आया जिससे ये पता चल सके कि इन दोनों की मिली भगत से केनेडी की ऐसी हत्या की गई।

फिदेल कास्त्रो के विरोधियों ने करवाया क़त्ल

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : असल में जिस वक्त अमेरिका में केनेडी के हत्यारे की तलाश जोर शोर से हो रही थी, उसी वक़्त ‘बे ऑफ पिग्स’ नाम का एक नाकाम ऑपरेशन का भी ज़िक्र अपनी पूरी बुलंदी पर शोर मचा रहा था। असल में कास्त्रो के उन विरोधियों को अमेरिका से बहुत सी उम्मीदें थी जिन्हें कास्त्रों ने देश निकाला दे दिया था।

उम्मीद यही थी कि अमेरिका की खुफिया एजेंसी कास्त्रो को ठिकाने लगा देगी, लेकिन उन्हें मायूसी हाथ लगी। इसी बीच केनेडी की पॉलिसी ने भी उन्हें पूरी तरह से नाउम्मीद कर दिया। तब उनको लगने लगा कि जब तक केनेडी है तब तक उनकी मुराद पूरी नहीं हो सकती लिहाजा केनेडी को रास्ते से हटाना ज़रूरी हो जाता है।

थ्योरी ये सामने आई कि कास्त्रो के विरोधियों ने अमेरिका के कट्टरपंथियों के साथ हाथ मिलाया और गुप्त मीटिंग करके केनेडी की हत्या का पूरा प्लान तैयार कर लिया। हालांकि इस थ्योरी में भी कुछ कड़ियां बिखरी दिखी लिहाजा ये थ्योरी भी बेदम साबित हुई।

थ्योरियों को किनारे लगा दिया एक तस्वीर ने

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : यानी अभी तक केनेडी की हत्या के लिए ओसवाल्ड को जिम्मेदार माना जा रहा था, और उसके सोवियत संघ से लेकर क्यूबा तक से रिश्ते और तारों को भी जांच एजेंसियां खंगाल चुकी थी। लेकिन ये बात पुख्ता हो ही नहीं पा रही थी कि उसने ही केनेडी की हत्या की।

अब फिज़ा में कई सवालों के साथ साथ ये सवाल भी तैरने लगा कि इस हत्या का असली मास्टरमाइंड कौन है? कितने लोग इस साज़िश में शामिल है? और इसके अलावा इस साजिश के तार कहां कहां तक फैले हुए थे। लेकिन इसी बीच एक ऐसी चीज़ सामने आई जिसने केनेडी की हत्या से जुड़ी तमाम थ्योरियों को दरकिनार करके एक नया अक्स ही सामने लाकर खड़ा कर दिया।

बबुश्का लेडी का नया सस्पेंस

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : ये अक्स एक महिला का था। जिसे द बबुश्का लेडी कहा गया। असल में बबुश्का लेडी रूसी भाषा में बूढ़ी और रहस्यमय महिला को कहते हैं जो सिर से पांव तक खुद को ढके हुए रहती है।

जिस वक़्त FBI राष्ट्रपति केनेडी की हत्या के हत्यारों का पता लगाने के लिए गहराई से तमाम तथ्यों और सुरागों को खंगाल रही थी तभी उसकी नज़र उन तस्वीरों पर गई जो घटना के वक़्त मौका-ए-वारदात की थी और जिन्हें टीवी कैमरे ने क़ैद भी किया था।

उन्हीं तस्वीरों में एक ऐसी महिला भी नज़र आई जो भीड़ के बीच मौजूद थी, और जिस वक़्त राष्ट्रपति केनेडी को गोली लग चुकी थी और सारे आलम में अफरा तफरी मची हुई थी ऐन उस वक़्त वो रहस्यमयी महिला बड़े आराम से सड़क के किनारे खड़े होकर अपने कैमरे से तस्वीरें उतार रही थी। उसके चेहरे पर किसी भी तरह के घबराहट के निशान तक नहीं थे और उसकी आंखें धूप के चश्मे से ढकी हुई थीं। लेकिन उस रोज के बाद से इस बबुश्का लेडी को दोबारा कहीं भी नहीं देखा गया।

अब तक 25 हज़ार लोगों से पूछताछ

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : जब से ये बात सामने आई है बस तभी इस शक को ज़मीन मिलती जा रही है कि हो न हो राष्ट्रपति केनेडी की हत्या से इस रहस्यमयी महिला का कोई न कोई रिश्ता ज़रूर है।

कुछ लोग यहां तक कहते दिखाई दिए हैं कि असल में राष्ट्रपति केनेडी को उसी लेडी ने गोली मारी, क्योंकि उसके हाथ में कैमरा नहीं बल्कि एक हथियार था। तभी तो वो बिना डरे और घबराए वहां अपने काम को अंजाम देकर बड़ी ही आसानी से वहां से निकल गई। और फिर कभी सामने नहीं आई।

इस रहस्य को सुलझाने के लिए बीते 59 सालों के दौरान अमेरिका की सबसे बड़ी जांच एजेंसी FBI ने क्या क्या पापड़ नहीं बेले, 25 हज़ार से ज्यादा लोगों से पूछताछ हुई और पांच लाख पन्नों में केनेडी हत्याकांड की तफ्तीश की रिपोर्ट दर्ज है। हर एक सुराग़ को कई कई ऐंगल से खंगाला गया। इन सबके बावजूद FBI के हाथ तब भी खाली थे अब भी खाली हैं।

कब खुलेगा केनेडी के क़त्ल का रहस्य

JOHN F KENNEDY MURDER SUSPENSE : कुछ साल पहले दुनिया को उम्मीद बंधी थी जब राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प ने जॉन एफ केनेडी की हत्या से जुड़ी 2800 गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने के फैसले पर ओके लिखकर दस्तख़त कर दिए। हालांकि अमेरिकी खुफिया एजेंसी को ये फैसला भी अखर रहा है, क्योंकि उसे लगता है कि इससे बात बनने के बजाए और भी बिगड़ जाएगी।

लेकिन डॉनल्ड ट्रम्प तो अपनी धुन के राष्ट्रपति रहे हैं लिहाजा उन्होंने CIA की बात को काटते हुए एक कदम और आगे बढ़ा दिया था, और कहा था कि हो सकेगा तो आने वाले दिनों में कुछ और दस्तावेज़ और फाइलों को सार्वजनिक कर दिया जाएगा। गनीमत है कि वो अगला चुनाव हार गए नहीं तो वो इन फाइलों का और क्या क्या कर देते।

बहरहाल सवाल सबके सामने एक ही है कि आखिर जॉन एफ केनेडी का पूरा सच है क्या? क्या कभी ये सच सामने आ भी पाएगा? कुछ पता चलेगा भी या सब कुछ ऐसे ही चलता रहेगा और मौजूदा पीढ़ी भी पिछली पीढ़ी के इस सबसे बड़े सियासी और सनसनीखेज़ हत्या के राज़ को कभी जान भी पाएगी या फिर ये राज़ बस यूं ही राज़ बना रहेगा?

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