सूरत का बुराड़ी कांड, चार मौत ज़हर वाले दूध से तो दो का दबाया गला, ये पोस्टमार्टम की रिपोर्ट चौंका देगी

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सूरत से संजय सिंह राठौड़ की रिपोर्ट
Gujarat Crime News: सूरत शहर के पालनपुर पाटिया इलाके में आने वाले श्री सिद्धेश्वर कॉम्प्लेक्स के सी-2 के घर नंबर जी-1 से शनिवार की सुबह इंटीरियर डिजाइन के कारोबारी मनीष सोलंकी, उनकी पत्नी रीटा सोलंकी, उनके पिता कनु सोलंकी, उनकी माता शोभना सोलंकी, बेटी दिशा सोलंकी, बेटी काव्या सोलंकी और बेटा कुशल सोलंकी के शव बरामद हुए थे। पुलिस ने सभी सभाओं को पोस्टमार्टम के लिए सूरत के नई सिविल अस्पताल भेजा था।  

चार लोगों को दूध में दिया ज़हर

तकरीबन 4 घंटे तक चल पोस्टमार्टम कार्रवाई की प्राथमिक रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है । मृतक मनीष सोलंकी के अलावा उनकी पत्नी,दो बेटियां, एक बेटा और उनके बूढ़ी माता के शरीर से जहर मिला हैं । साथ ही मृतक मनीष सोलंकी की बड़ी बेटी और उनकी माता के गले पर गले को दबाने के भी निशान मिले है। इस लिहाज से डॉक्टर के पैनल ने पुलिस को हत्या किए जाने की प्राथमिक रिपोर्ट दे दी हैं। 

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पाँच डॉक्टर्स के पैनल ने किया पोस्टमार्टम

जो सात डेड बॉडी थी उसमें से जो मनीश सोलंकी थे उनका हैंगिंग क्लियर कट था तो उनका हमारे सीएमओ डॉक्टर ने किया था हमारी तरफ से तीन डॉक्टर लगाए थे और फॉरेंसिक के दो डॉक्टर थे । बाकी 6 डेड बॉडी में से दो के गले पर प्रेसर मार्क थे। तो फॉरेंसिक वालों ने 302 दाखिल करने को कहा हैं। डॉक्टर केतन नायक ने बताया कि जो मनीष भाई की 13 साल की लड़की है और उनकी 68 वर्षीय माता  गले पर प्रेशर मार्क था। ये भी एक कोज हो सकता हैं और उनके स्टमक में भी प्वाइजनिंग का स्मेल आता था तो उनका बिसरा भी लिया हैं।  

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एक घर सात लाशों से दहला शहर

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सूरत के इंटीरियर डिजाइनर मनीष सोलंकी ने खुद खुदकुशी करने से पहले संभवतः अपनी पत्नी, दो बेटियां, एक बेटा और अपने बूढ़े मां-बाप को दूध में जहर मिलाकर मारा होगा और उसके बाद जीवित बच्ची अपनी माता और अपनी बड़ी बेटी का गला भी दबाया। इसका खुलासा प्राथमिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ है। पुलिस ने सोलंकी परिवार के घर से दूध का डिब्बा और ज़हर की शीशी भी बरामद की है।

 

मृतक मनीष सोलंकी की डेड बॉडी के पास मिले सुसाइड नोट के अंश:-

मैं मेरे दिन किस प्रकार से बिता रहा हूं, यह मेरा मन ही जानता है. मेरे जाने के बाद मेरे बच्चों और मेरे मम्मी-पापा कैसे जीवन जिएंगे, वह मेरे बिना रह नहीं सकते. इसकी मुझे चिंता सता रही है. इस पत्र के लिखने के पीछे कोई निजी कारण जाहिर हो सकते हैं. लेकिन उनका यहां नाम लेना नहीं चाहता हूं. जीवित रहते हुए हैरान नहीं किया तो मरने के बाद किसी को हैरान नहीं करना चाहता. भलमनसाहत और दयालु स्वभाव मुझे हैरान कर गया. रुपए लेने के बाद भी कोई वापस नहीं देता. उपकार के बदले में कोई दिया हुआ वापस नहीं देता. मैंने जिंदगी में बहुत लोगों की मदद की है. मेरे बच्चे और मम्मी-पापा की चिंता लगातार मुझे मार डाल रही है. रीता बेन अपना ध्यान रखना. घनश्याम भाई, मुन्ना भाई, बाड़ा भाई तथा रीता बेन का ध्यान रखना. जाने-अनजाने में जीवन में कोई भूल हुई हो तो मुझे माफ करना. हमारी मौत के कारण के जवाबदारी व्यक्तियों के नाम नहीं लिखना है और कुदरत जरूर चमत्कार दिखाएगी. वह कभी सुखी नहीं हो सकते. मैंने जीवन में किसी को हैरान नहीं किया और मरने के बाद किसी को हैरान नहीं करूंगा.''

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