फास्टैग ने फेरा चोरी के PERFECT प्लान पर पानी!
Fastag alert helps police arrest thief
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चेन्नई के मुदीचूर इलाके के लक्ष्मी नगर में करुपईया अपने परिवार के साथ रहते थे। 27 सितंबर को करुपईया परिवार के साथ अपने गांव के लिए निकल गए। पेशे से ड्राइवर करुपईया अपनी कार घर पर ही छोड़कर चले गए थे। 28 सितंबर की सुबह करुपईया के पड़ोसी का फोन आया कि उनके गेट का ताला टूटा हुआ है और उनकी कार भी गायब है।
मामले की इत्तिला पुलिस को दी गई। मौक पर पुलिस पहुंच गई और वहां से फॉरेंसिक के सैंपल लेने के बाद वापस थाने पहुंच गई। चोरी की खबर सुनकर करुपईया भी वापस लौटने लगे। रास्ते में करुपईया के मोबाइल पर मैसेज आया कि उनके फास्टैग एकाउंट से टोल कटा है।
ये टोल चेंगलपेट जिले के मदुरंतकम् के पास के एक टोल प्लाजा पर कटा है । इस बात की सूचना करुपईया ने अपने इलाके के थाने पीरकर्नई थाने को दी। सूचना मिलते ही थाने की पुलिस ने ट्रिची पुलिस को इस बात की सूचना दी क्योंकि जिस टोल प्लाजा पर फास्टटैग से टोल कटा था वो रास्ता ट्रिची की ओर जाता है। पीरकर्नई थाने की पुलिस ने टिर्ची पुलिस को कार का नंबर, उसका रंग और उसके मॉडल के बारे में भी बताया।
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इस सूचना के बाद ट्रिची पुलिस ने कई जगह पर नाकेबंदी कर दी। एक टोल प्लाजा पर जब कार रोकने की कोशिश की गई तो कार में सवार चोर ने नाका तोड़ दिया और भागने में कामयाब हो गया लेकिन पुलिस की टीम ने पीछा कर उसे पकड़ लिया। टिर्ची पुलिस ने उसे पकड़ने के बाद चेन्नई पुलिस के हवाले कर दिया।
पूछताछ में चोर ने अपना विनोद कुमार बताया और पड़प्पई का रहने वाला है। विनोद ने पुलिस को बताया कि वो मुदीचूर की कई कॉलोनियों में काफी दिन से रेकी कर रहा था। वो ऐसे मकान की तलाश में था जिन पर ताला लगा हो।
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उसकी तलाश करुपईया के मकान पर जाकर खत्म हुई। विनोद के घर में दाखिल होने के बाद विनोद ने वहां से सोने की 6 चेन, 50 हजार कैश और दो चांदी की लैंप को करुपईया की कार में लादने के बाद वहां से रफूचक्कर हो गया।
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विनोद कुमार ने बताया कि ये उसकी पहली चोरी थी और इसकी काफी तैयारी भी उसने की थी। टोल प्लाजा पर उसे इस बात का ध्यान नहीं रहा कि फास्टैग से कटने वाले टोल की सूचना तुरंत मैसेज से कार मालिक तक पहुंचती है।
इस सूचना में कटे हुए पैसों के साथ ही टोल प्लाजा की लोकेशन भी आ जाती है। पुलिस ने विनोद को कोर्ट के सामने पेश किया जहां से कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया।
विनोद की चोरी का पहला प्रयास ही असफल रहा, हो सकता है कि जेल जाकर वो सुधर जाए लेकिन जेल जाकर सुधरने वालों की संख्या काफी कम होती है ज्यादातर तो लोग जेल जाने के बाद शातिर अपराधी बनकर ही वहां से निकलते हैं।
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