Delhi News : 3 थानों की पुलिस, 12 KM का दायरा, 9 PCR वैन में उलझी है उस लड़की की मौत की पूरी कहानी
Delhi Kanjhawala Accident Case Full Story : दिल्ली के कंझावाला में लड़की की मौत का पूरा सच क्या है. कैसे कार में लिपटकर उसकी मौत हुई. 31 दिसंबर की रात में दिल्ली में उस लड़की के साथ क्या हुआ.
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Delhi Girl Death News : देश की राजधानी दिल्ली. साल का आखिरी दिन. दिल्ली में जश्न. बीते साल की यादें और नए साल की खुशियों के बीच एक जगह जिंदगी और मौत के बीच महज कुछ फासला था. वो फासला लगातार बढ़ता गया और मौत करीब आती गई. वो वक्त भी आया जब जिंदगी को मौत ने अपने आगोश में ले लिया. लेकिन उसके बाद भी मौत ने अपनी जिद नहीं छोड़ी. वो लगातार उसकी लाश को नोचती रही. उस वक्त तक जब तक उसके शरीर के काफी हिस्से से हड्डियां तक बाहर नहीं आ गईं. आखिर क्या है दिल्ली में 31 दिसंबर की आधी रात के बाद हुई उस लड़की से दरिंदगी का पूरा सच. जानते हैं इस पूरी कहानी से...
23 साल की लड़की की दिल्ली में मौत की कहानी
Delhi Kanjhawala Case : ये पथरीली सड़क भी शायद उतनी पथरीली नहीं होगी, जितना ये शहर पत्थरदिल है. पथरीली सड़क सिर्फ जिस्मों को खरोंच सकती है. उन्हें बेजान बना सकती है. उन जिस्मों से रूह को आजाद कर सकती है. मगर जब पथरीली सड़क की वही जकड़न जिस्म के रास्ते दिल में उतर जाए, तो फिर उस मौत को कोई ताउम्र नहीं भुला सकता. आज हम आपको पत्थरों में जकड़ी पथरीली हो चुकी 23 साल की एक जवान मौत की ऐसी दास्तान सुनाएंगे जिसे देखने और सुनने के बाद आप भी बस यही पूछेंगे कि ये किसकी मौत है?
तीन थानों की पुलिस... 12 किलोमीटर का दायरा... 9 पीसीआर वैन... और कागजों पर ही सही दिल्लीवालों की हिफाजत के लिए गश्त करती पुलिस. इन सबके बीच एक कार में सवार पांच हैवान. 23 साल की एक लड़की को देश की राजधानी की चमकीली या पथरीली सड़क पर पूरे 12 किलोमीटर तक पहियों तले रौंदते रहे. रौंदते रहे और घूमते रहे. कब लड़की की मौत हुई, किस पल वो लाश बनी, और कैसे वो लाश एक मोटरकार के पहिए के नीचे फंस कर लगभग दो घंटे तक पथरीली सड़क पर भागती रही.
ये कोई नहीं समझ सका. ना देख सका. सामने से गुजर गई 3 थानों की पुलिस. 12 किलोमीटर का दायरा. 9 पीसीआर वैन और कागजों पर ही सही दिल्लीवालों की हिफाजत के लिए गश्त करती पुलिस फिर भी ना उस कार को देख पाई, ना कार में फंसी लाश को. ना पथरीली सडकों पर खिंच चुकी खून के उस निशान को. वो तो इस पत्थरदिल शहर में चिराग बन कर अब भी थोड़ी बहुत इंसानियत को जिंदा रखनेवाले इस दीपक ने दो घंटे तक मोटरकार की पहियों में फंसी दिल्ली की उस बेटी का अकेले पीछा किया. तब कहीं जाकर ये खबर भी सामने आ गई. वरना क्या पता दिल्ली पुलिस इसे भी एक मामूली सड़क हादसा बताकर अपना फर्ज निभा चुकी होती.
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31 दिसंबर की रात दिल्ली में हुई ऐसी हैवानियत
सबसे पहले इंसानियत को झकझोर देनेवाली इस कहानी को जानिए. शर्मसार करनेवाली बातें उसके आगे. 31 दिसंबर की शाम थी. दिल्ली के अमन विहार में रहनेवाली 23 साल की लड़की घर से काम पर जाने के लिए निकलती है. लड़की के पिता की 8 साल पहले ही मौत हो चुकी है. मां की दोनों किडनियां भी खराब हैं. घर में वो इकलौती कमानेवाली है. पार्ट टाइम वो इवेंट मैनेजमेंट का काम किया करती थी. 31 दिसंबर के मौके पर न्यू ईयर की एक पार्टी का उसे काम मिला था. उसने मां को पहले ही बता दिया था कि घर आने में आज बहुत देर हो जाएगी. लेकिन इतनी देर होगी शायद उसकी मां ने भी नहीं सोचा होगा. क्योंकि अब सुबह हो चुकी थी. और वो अब तक घर नहीं पहुंची थी. मोबाइल भी बंद था.
सुबह-सुबह पुलिसवाले उसके घर पहुंच गए. उन्होंने ही बताया कि एक स्कूटी का एक्सीडेंट हुआ है. और उसका नंबर आपकी बेटी के नाम पर रजिस्टर्ड है. तब पहली बार लड़की की मां, बहन और भाई को उससे अनहोनी होने की खबर मिली. सिर्फ मौत की खबर. मौत की दहला देनेवाली खबर अभी मिलनी बाकी थी.
लाश अब तक मुर्दा घर पहुंचाई जा चुकी थी. लडकी के घरवालों ने मुर्दाघर में जब पहली बार लाश देखी, तो मातम के साथ उनकी चीखें निकल गई. खुद ही अंदाजा लगा लीजिए कि करीब दो घंटे तक 12 किलोमीटर के दायरे में मोटरकार के पहियों के नीचे पथरीली सड़क पर जो लाश घिसटती रही, उस लाश में क्या बचा होगा? घरवाले उसी बची खुची लाश में अपनी बेटी को ढूंढ रहे थे. अब यहां से पहले पुलिस की कहानी शुरू होती है.
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दिल्ली पुलिस के आउटर जिले के डीसीपी ने एक बयान जारी कर कहा था कि 1 जनवरी की तडके 3 बजकर 24 मिनट पर एक शख्स ने पीसीआर को फोन किया। उसने फोन पर कहा "एक बलेनो गाडी ग्रे कलर की, जो कुतुबगढ की साइड जा रही है, उसमें एक डेडबॉडी बंधी हुई है. जो नीचे लटकी हुई है.
फोन करनेवाला लगातार पुलिसवाले से बात कर रहा था. यहां तक कि उसने कार का नंबर तक बता दिया. इस सूचना के बाद चौकी में तैनात पुलिसवालों को फौरन हादसे की जानकारी दी गई. तड़के करीब 4 बजकर 11 मिनट पर कंझावला पुलिस स्टेशन को एक और कॉल आई. इस बार फोन करनेवाले ने बताया कि सड़क किनारे एक लड़की की न्यूड लाश (Nude Dead Body delhi) पड़ी है. बाद में मौके पर पुलिस पहुंची और लाश को मंगोलपुरी के एसजीएम हॉस्पिटल ले गई. इसके बाद कार और कार में सवार पांच लोगों को भी गिरफ्तार कर लिया गया.
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इससे पहले नाइट पेट्रोलिंग के दौरान सुल्तानपुरी थाने के एसएचओ को एक स्कूटी दुर्घटनाग्रस्त हालत में सड़क किनारे पड़ी मिली. स्कूटी के नंबर से पता चला कि स्कूटी अमन विहार में रहनेवाली एक लडकी के नाम पर है.
दिल्ली हैवानियत के ये है 5 दरिंदों की पहचान
कार से जिन पांच लड़कों को गिरफ्तार किया गया, उनमें से एक का नाम दीपक खन्ना है. उम्र 26 साल. ये पेशे से डाइवर है. दूसरे का नाम अमित खन्ना, उम्र 25 साल. ये उत्तम नगर में एसबीआई कार्ड में काम करता है. तीसरा कृष्ण है. 27 साल का कृष्ण स्पेनिश कल्चर सेंटर कनॉट प्लेस में काम करता है. चौथा 26 साल का मिथुन है, जो एक हेयर ड्रेसर है. जबकि पांचवा 27 साल का मनोज मित्तल सुल्तानपुरी में ही राशन डीलर के तौर पर काम करता है. इन सभी को गैर इरादतन हत्या, खतरनाक ढंग से गाडी चलाने और बाकी मामलों में गिरफ्तार किया गया है. सभी को अदालत में पेश किया गया. जहां से पांचों को तीन दिन की पुलिस कस्टडी में भेज दिया गया है.
दिल्ली की बेटी की मौत का असली गुनहगार कौन?
Delhi Kanjhawala Crime News : ये तो रही दिल्ली पुलिस की अपनी कहानी. अब जानते हैं वो कहानी जिसे सुन कर आपको ही फैसला करना है कि दिल्ली की बेटी की मौत का असली गुनहगार कौन है. इसका नाम दीपक है. ये कंझावला में दूध का व्यापारी है. कंझावला में ही इसकी डेयरी है. शहरवालों तक दूध पहुंचाने के लिए ये तड़के ही दूध लेता है. उसे लेने के लिए रोजाना की तरह 1 जनवरी की सुबह 3 बजे भी सड़क पर आ आया था दूध लेने के लिए. उसी समय करीब सुबह के 3 बजकर 18 मिनट हुए थे.
ये वही दीपक था, जिसका जिक्र दिल्ली पुलिस ने भी किया है. दीपक को शुरू में ऐसा लगा था जैसे लाश कार से निकल कर बाहर आ गई है. और बाहर पहिये में फंस गई है. ये खौफनाक मंजर देखते ही इसी ने पहली बार 112 नंबर पर कॉल किया था. अब जरा अंदाजा लगाइए घबराया हुआ दीपक फोन पर पुलिस को ये बता रहा है कि एक कार है जिसमें एक लाश बंधी है और दूसरी तरफ से पुलिसवाले उससे ये पूछ रहे हैं कि लाश ने कफन पहन रखी है या नहीं?
दिल्ली पुलिस के लिए शायद मोटरकार के पहियो में लिपटी लाश की सूचना उतनी चौंकाने वाली नहीं थी. लेकिन दीपक के लिए ये बेहद ही भयावह मंजर था. दीपक एक तरफ फोन पर लगातार पुलिस को उस कार की जानकारी दे रहा था, कार के रंग से लेकर उसके नंबर तक बता रहा था और दूसरी तरफ खुद ही अपनी स्कूटी उठा कर साथ-साथ उस कार का पीछा भी कर रहा था. पीसीआर को फोन किए करीब 12 मिनट हो चुके थे. पर इन 12 मिनटों में एक भी पुलिसवाला पुलिस की जिप्सी या पीसीआर दीपक के बताए जगह पर नहीं पहुंची.
बल्कि 12 मिनट बाद सुबह साढे तीन बजे दीपक को वही कार यू टर्न लेकर एक बार फिर वापस आती दिखाई दी. लाश अब भी पहियों तले उसी तरह से फंसी थी, जैसे पहले थी. कुछ नहीं बदला था. ना लाश की हालत. और ना पुलिस की रंगत. क्योंकि पुलिस अभी तक मौके पर नहीं पहुंची थी. उसने फिर से पुलिस से कहा कि कार मेरे सामने है. लाश अब भी फंसी है. आप जल्दी आओ. पर हैरानी वाली बात है कि पुलिस तब भी नहीं आई.
अब दीपक को भी लगने लगा था कि पुलिस कुछ नहीं करेगी. लिहाजा उसने तय किया कि वो खुद ही कार का पीछा करेगा. पर रात का वक्त था, पीछा करना भी उतना आसान नहीं था. लिहाजा उसने सबसे पहले अपनी स्कूटी रखी और बोलेरो कार निकाली. अब वो कार से उन हैवानों की कार का पीछा करने लगा. इस दौरान कम से कम दो से 3 बार दीपक की नजर सड़क पर घूमती पीसीआर वैन पर पड़ी. एक पीसीआर वैन से तो दीपक ने कहा भी कि कार उस तरफ है, उसे पकड लो। मगर शायद उस पीसीआर वैन में सवार पुलिसवालों का मूड काम करने का था ही नहीं.
इस दौरान दीपक अकेला लगा रहा. कार का पीछा करता रहा. तभी एक जगह उसे कार तो दिखाई दी, लेकिन अब कार के पहिए से लाश अलग हो चुकी थी. 3 बजकर 18 मिनट से लेकर सुबह 5 बजे तक दीपक अपना सारा काम धंधा छोड कर उस कार का पीछा करता रहा. पुलिस को फोन करता रहा. पुलिस से मदद मांगता रहा. फिर पुलिस का शर्मनाक रवैया देख कर खाली हाथ वापस लौट आया. वहीं, खुद दिल्ली पुलिस के स्पेशल कमिश्नर ने रिकॉर्ड पर ये कहा है कि उस लडकी को कार के पहियों तले करीब 10 से 12 किलोमीटर तक घसीटा गया.
चश्मदीद दीपक के मुताबिक जिस कार में उस लड़की की लाश को घसीटा जा रहा था, उसकी स्पीड मुश्किल से 25 से 30 किलोमीटर प्रति घंटा की रही होगी. यानी कार में सवार लोगों को इस बात का कोई खौफ ही नहीं था कि उन्हें भागना है.
जिस लड़की की मौत हुई वो आउटर दिल्ली के अमन विहार की रहनेवाली थी। सुल्तानपुरी में उसकी दुर्घटनाग्रस्त स्कूटी मिली. जबकि लाश कंझावला में मिली. यानी इस हिसाब से इस लडकी ने उस एक रात 3 थाना इलाकों का सफर किया. अमन विहार, कंझावला और सुल्तानपुरी. दिल्ली पुलिस के पिछले कमिश्नर ने पीसीआर वैन को सीधे थाना से जोड़ दिया था. इस नए बदलाव के बाद हर थाने को कम से कम 3 पीसीआर वैन दिए गए.
अब इस हिसाब से अगर तीनों थानों को जोड दें, तो उस रात 9 पीसीआर वैन इन इलाकों में गश्त पर होने चाहिए. दो या तीन पीसीआर वैन को तो गश्त पर दीपक ने देखा भी. स्पेशल कमिश्नर खुद कह रहे हैं कि लड़की को करीब 12 किलोमीटर तक घसीटा गया. जाहिर है कार मेन सडक पर दौड रही थी। अब ऐसे में सवाल ये है कि 12 किलोमीटर और 2 घंटे तक एक भी पीसीआर वैन या गश्त पर मौजूद एक भी पुलिसवाले की नजर इस कार और कार के पहियों में फंसी लाश पर क्यों नहीं पड़ी?
दिल्ली पुलिस का 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है सालाना बजट
10 हजार करोड रुपये से भी ज्यादा सालाना बजट वाली दिल्ली पुलिस में लगभग 84 हजार जवान-अफसर हैं। लेकिन जमीनी सच्चाई ये है कि हर 6 सौ दिल्ली वालों पर सिर्फ 1 पुलिसवाला है। जिस रात या सुबह ये हादसा हुआ वो 31 दिसंबर की रात थी। हर साल 31 दिसंबर की रात दिल्ली की सड़कों पर दिल्ली पुलिस की सबसे ज्यादा गश्त होती है। नए साल के जश्न में शराब पीकर गाडी चलानेवालों के लिए खास तौर पर सबसे ज्यादा इसी रात अल्कोहल टेस्ट भी होते हैं। शुरुआती रिपोर्ट के मुताबिक कार में सवार पांचों लडकों ने शराब पी रखी थी। पांचों लडके एक लाश को अपनी कार से 2 घंटे तक 12 किलोमीटर के दायरे में घसीटते भी रहे। अब ऐसे में सवाल ये है कि 31 दिसंबर की रात जब सबसे ज्यादा पुलिसवाले सडकों पर होते हैं, तो फिर वो पुलिसवाले कहां नदारद थे? क्या नए साल के जश्न और सुरक्षा के नाम पर सिर्फ नई दिल्ली की खास इलाकों की ही चौकसी होती है? बाकी दिल्ली को भगवान भरोसे छोड दिया जाता है?
दिल्ली पुलिस को भी इस बात का इल्म था कि चश्मदीद दीपक के खुलासे के बाद उसकी वर्दी पर ऊंगलियां उठेंगी। इसीलिए बाद में अपनी साख बचाने की खातिर दिल्ली पुलिस ने उल्टे और गलतियां करनी शुरू कर दी। बिना फॉरेंसिक जांच और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के ही उसने अपनी तरफ से ये डिक्लियर कर दिया कि कार में सवार लडके और उनकी शिकार बनी लडकी एक दूसरे से अंजान थे। ये एक रोड एक्सीडेंट का मामला है। लडकी के साथ कोई रेप नहीं हुआ है। हालांकि ये दिल्ली पुलिस भी अच्छी तरह से जानती है कि जब तक सारी रिपोर्ट ना आ जाए, जांच पूरी ना हो जाए, तब तक केस की हर पहलू से जांच जरूरी है।
सवाल ये है कि आखिर ये लडकी कार के पहिये तक पहुंची कैसे? उसकी स्कूटी का एक्सीडेंट कैसे हुआ? कार बार-बार एक ही इलाके में क्यों घूम रही थी? क्या पहियों में फंसने की वजह से लडकी के जिस्म पर कपडे नहीं थे? या लडकी के साथ कुछ और हुआ था? ये वो सवाल हैं जिनके सही जवाब सही जांच के बाद ही सामने आएंगे। लेकिन हम आपको इस केस का अंजाम अभी बता देते हैं। कोर्ट में ये कहानी कुछ यूं पहुंचेगी। पांचों लड़के नए साल की मससी कर रहे थे। शराप पी कर कार चला रहे थे। तभी पीछे से एक स्कूटी इनकी कार से आ टकराई। लड़की के कपड़े कार के पिछले पहिए में फंस गए। इस वजह से लड़की पहिए के साथ घिसटती चली गई...कार में म्यूजिक बज रहा था। सबी ने शराब पी रखी थी। बाहर अंधेरा था। फिर पीछे कोई देख भी नहीं रहा था। लिहाजा उन्हें कुछ पता नहीं चला। इस तरह ये एक ड्रंकन ड्राइव का केस भर बनता है। ऐसे में पांचों बहुस जल्दी और बड़ी आसानी से छूट जाएंगे।
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