योगी के भेष में एक और शातिर ठग, 20 साल पहले लापता हुआ बेटा बनकर आया घर, ऐसे खुला राज
bihar story darbhanga: योगी का भेष और हाथ में शरगी लेकर गांव गांव में घूम रहे कुछ बहरुपिये योगी असल में शातिर ठग भी हो सकते हैं।
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दरभंगा से प्रहलाद कुमार की रिपोर्ट
Darbhanga Crime: योगी का भेष और हाथ में शरगी लेकर गांव गांव में घूम रहे कुछ बहरुपिये योगी असल में शातिर ठग भी हो सकते हैं, जो ऐसे घरों को निशाना बनाते हैं जिसके घर का कोइ लड़का बरसों पहले लापता हो गया हो या कहीं चला गया हो और दशक बीत जाने के बाद भी कुछ पता न चल पाया हो। ऐसे शातिर योगी उस घर में ऐसे दाखिल होते हैं जैसे वहीं बिछड़ी हुई संतान हैं।
घरवालों को दिलाते हैं यकीन
ये लोग इतने शातिर हैं कि अपनी बातों से घरवालों को यकीन दिला देते हैं कि जिसे वो लोग तलाश कर रहे हैं असल में यही है वो। घर के लोग ऐसे शातिरों की बातों में आ भी जाते हैं और यकीन भी कर लेते है। लेकिन इसके बाद शुरू होता है असली खेल। परिवार वालों से अलग अलग बहाने बना धीरे धीरे खूब रुपये पैसे ऐंठ लेते है। शातिर योगी के भेष में ये ठग अलग अलग जगहों पर अलग अलग जगह और जरूरत के हिसाब से अपनी पहचान बताते है और लोगो की भावना के साथ खेलकर अपना उल्लू सीधा करते हैं और वहां से अच्छी खासी रकम ऐंठकर रफूचक्कर हो जाते हैं।
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जज्बात बने हथियार
ऐसी की एक कहानी बिहार के दरभंगा से भी सामने आई है। दरभंगा ज़िले के केवटी प्रखंड के खिरमा गांव का रहनेवाला मोहम्मद इफ्तिखार काम की तालाश में साल 2001 में घर से दिल्ली के लिए ट्रेन से निकला। लेकिन इफ्तिखार ना तो दिल्ली पंहुचा ना ही लौट कर घर। इफ्तिखार आखिर कहा लापता हो गया अब तक किसी को कुछ पता नहीं? तब इफ्तिखार के परिवार वालों ने लगातार इफ्तिखार की खोज की। बाबाओं से लेकर मुल्ला मौलाना तक पहुंच परिवार वालों ने इफ्तिखार के खोज की कोशिश की। हालांकि घरवालों उसके गुमशुदा होने की इत्तेला पुलिस में नहीं की थी। इफ्तेखार के लापता होने के तक़रीबन चौबीस साल बाद आज तक उसका कोई अता पता नहीं चला परिवार वाले दिल पर पत्थर रख लिया।
सालों से लापता लड़का घर आया?
समय बीतता चला गया लापता इफ्तिखार के पिता मोहम्मद शौकत और माता शहज़ादी खातून अब बुजुर्ग हो गये है | मजदूरी कर कमाने खाने वाला मोहम्मद शौकत गरीब परिवार से है। ऐसे में इस ढलती उम्र में घर के अंदर एक बहुत छोटी सी दूकान चला रहा था और अपना और परिवार का पाल रहा है। इसी बीच योगी के भेष में दो लड़के मोहम्मद शौकत के घर पहुँचे। खुद को वर्षो पहले लापता मोहम्मद इफ्तिखार बता लोगों को पहचानने की कोशिश करतें है | हाथो में शरंगी बजाता योगी तरह तरह के बिछुड़ने और मिलन के राग वाले गाना गाने और बजाने लगता है। कुछ पल के लिए न सिर्फ परिवार बल्कि पुरे गांव में इफ्तिखार के आने की ख़ुशी की लहार दौड़ जाती है। परिवार वाले उसकी आव भगत में भी जुट जाते है, लोगो की भीड़ इफ्तिखार को देखने के लिए उमड़ पड़ती है |
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निशान न दिखाने का दांव पेंच
एक के बाद एक पुरानी बातें बता योगी परिजन को विश्वास में भी लेने की कोशश करता है | थोड़ी बहुत शक शंका के बीच इफ़्तिख़ार के माता पिता योगी के शरीर पर वह निशान देखने की कोशिश करते है जो लापता इफ़्तिख़ार के शरीर पर था | इफ्तेखार के सीने पर का निशान जब योगी में नहीं दिखा तो परिजन का शक यकीं में बदलने लगा हालांकि तब भी गांव के ज्यादातर लोग योगी को लापता इफ्तिखार ही मान रहे थे। समय के साथ शरीर का निशाँन मिट जाने की भी दलील दे रहे थे। मामला आधी हकीकत और आधे फंसाने के बीच फंस गया था। कुछ लोग उसे लापता इफ़्तिख़ार ही मान रहे थे जबकि कुछ लोग योगी की बात को झूठ बताने लगे। मन मार कर आखिरकार योगी को इफ्तिखार मानकर लोगों ने उसे रखने की बात मान ली।
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फिर शुरू हुआ मोलभाव
इसके बाद खेल योगी का शुरू होता है। तब योगी साथ रहने के लिए परिवार से ढाई से तीन लाख रुपये की मांग और यह रूपया अपने गुरु को देने और पूजा पाठ कर वहां से आज़ादी दिलाने के नाम पर मांगता है । गरीब परिवार पैसे देने में असमर्थ जताता है योगी परिजनों को तीन दिन का समय देकर चला जाता है फिर दूसरे दिन भी आता है परिवार वालों से थोड़ा बहुत घुल मिल जाता है खाना पीना भी साथ करता है। घर की महिलाओ को अपने विशवास में लेने के लिए तरह तरह की बात भी बनाता है। एक महिला से मोबाइल और कुछ पैसे भी ठग लेता है। फिर तीसरे दिन भी आता है लेकिन परिवार वालों की गरीबी और उन्हें शक की निगाह से हर समय देखना योगी को खतरे का अहसास होने लगा इसके बाद वह निकल जाता है और लौटकर घर नहीं आता है।
लौटने की फीस गूगल पे से मांगी
फिर शुरु होती है फोन से योगी और इफ़्तेख़ार के घरवालों से बातचीत। बातचीत में ज्यादा पैसे नहीं होने की स्थिति में कई बार मोलभाव करते करते बात सात हजार पर आकर टिक जाती है। लेकिन इतने भी पैसे नहीं होने की स्थिति में योगी अंत में दो हजार ही फोन पर गूगल पे करने की बात कहता है ताकि वे परिवार से मिलने की ख़ुशी में अपने दोस्तों को एक छोटा सा भोज ही करा देंगे और गांव आकर साथ रहने लगेंगे। बाद में गांव की यह चर्चा जब फैली तब पता चला की योगी दूसरे गांव में पहले यह पता किया था की कोइ अगल बगल के गांव से लापता है या नहीं तब एक परिवार ने ही लापता इफ्तेखार की कहानी योगी को बताई थी। योगी उसी कहानी को आधार बना इफ़्तिख़ार के घर पहुंचा था और खुद को इफ्तिखार बता चूना लगाने की कोशिश करने लगता है। तब जाकर परिवार को पूरा यकीन हो जाता है कि योगी उनका लापता बेटा इफ्तिखार नहीं बल्कि शातिर ठग था।
बेटे के लौटने की खबर अचानक मिली
लापता इफ्तेखार के पिता मोहम्मद शौकत ने बताया की उनका बेटा मोहम्मद इफ्तिखार साल 2000 में लापता हो गया था तब उसकी बहुत खोज की लेकिन नहीं मिला। उसके खोज के लिए मुल्ला मौलाना और बाबा के दरबार में भी जाकर कोशिश की लेकिन नहीं मिला। अभी अचानक जब हम अपनी बहन के घर गए हुए थे तब घर से फोन आया की आपका लापता बेटा इफ्तेखार घर आया है सुना तो हैरान हो गया बेटी बहन को बताया सभी ने कहा हम भी साथ चलेंगे हम तुरंत बहन के यहाँ से अपने घर आये तो यहाँ एक योगी के भेष में लड़का को देखा वह योगी खुद को उनका बेटा बता रहा था।
महिलाओं को ठगा
उनको शक हुआ तो अपने बेटे के शरीर पर के दो निशाँन योगी के शरीर पर दिखाने को कहा जब हमने देखा तो सीना पर कोई निशान नहीं दिखा। लेकिन उनके बेटे के सीने पर काला निशान था वही दूसरी निशान कमर के पास था जब योगी के कमर को देखा गया तो वह काला निशान मिला लेकिन वह निशान बहुत बड़ा था। हमने कहा यह मेरा बेटा नहीं है लेकिन गांव घर की महिला कहने लगी समय के साथ कमर का निशान बढ़ गया होगा और सीने का निशान बढ़ गया होगा | लेकिन उन्हें विश्वास नहीं हुआ। इसके वावजूद उनका भाई भतीजा योगी से लगातार बात कर रहा था। तब उसने एक लाख साठ हजार रूपये की मांग की ताकि इस रूपये को लेजाकर अपने गुरु को दे दे ताकि वह हमें आज़ाद कर दे। नहीं तो मौत के बाद हमें जला देगा। पैसा नहीं होने पर योगी ने खेत बेच कर पैसे देने की बात कहा। जब पैसा हम लोग नहीं दे सके तो घर की महिला से कुछ पैसे ऐंठ लिया और एक मोबाइल भी मांग लिया।
योगी भेषधारी की ये है मॉडस ऑपरेेंडी
बाद में मोल भाव किया गया तो साठ हजार रूपये पर बात बनी थी लेकिन इसी बीच सभी हकीकत भी सामने आने लगी। वह उनका बेटा नहीं बल्कि योगी के भेष में ठग था। ऐसे लोगो को पकड़कर जेल भेज देना चाहिए । योगी गांव के अगल बगल के लोगों से पूरी जानकारी लेकर मेरे घर आया था। लापता इफ्तिखार की माँ शहज़ादी खातून ने बताया की पहले दिन जब योगी के रूप में बाबा आया तो का की मां हमको कुछ दोगी नहीं। तब हमने पांच रूपया दिया उसने नहीं लिया तब कुछ बोल चला गया फिर आया तब कहा की अम्मा आपने मुझे नहीं पहचाना हम योगी बन गए हैं मुझे नहीं लग रहा था की मेरा बेटा है लेकिन गांव के कुछ लोग इसे मेरा बेटा बताने लगे। योगी भी मुझे अम्मा कहने लगा तीसरे दिन भी आया सभी से घुल मिल गया सभी को अपने रिश्ते के अनुसार खाला बुआ अम्मा कर बुलाने लगा मुझसे एक मोबाइल भी माँगा हमने उसे मोबाइल दिया वह हमेशा खुद को अपना बेटा बता रहा था । आखिर में हमने कहा की अगर तुम मेरा बेटा है तो लिखित दो यहाँ रहो तब कुछ होगा उसने कहा नहीं अम्मा पैसे कुछ दो ताकि हम वहां से निकल सके।
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