Bhikhari Gang : दिल्ली से मुंबई तक फैला है ये भिखारी गैंग, आंखें फोड़, अपाहिज बना मंगवाते हैं भीख

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Bhikhari Gang : दिल्ली से मुंबई तक फैला है ये भिखारी गैंग, आंखें फोड़, अपाहिज बना मंगवाते हैं भीख
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Bhikhari Gang India : आंखें फोड़कर. हाथ-पैर तोड़कर. शरीर पर गहरे जख्म देकर. किसी अच्छे भले इंसान का पूरा हुलिया ही बदलकर. उससे भीख मंगवाने की दिल दहला देने वाली घटना को शायद फिल्मों में ही देखा होगा. लेकिन ये घटना ना फिल्मी है और ना स्क्रिप्टेड. है पूरी तरह से सच. एक शख्स 6 महीने पहले अचानक यूपी के कानपुर से गायब होता है. वो पेशे से दिहाड़ी मजदूर था. एक शख्स उसे अपने घर काम कराने के बहाने ले जाता है. और जब छह महीने बाद जब वो मिलता है तो सबकुछ बदला हुआ था. जिन आंखों से देखकर और हाथों से मेहनत कर वो दो वक्त की रोटी कमाता था अब वो ऐसा कुछ करने के काबिल नहीं था.

आंखें अंधी हो चुकीं थीं. हाथ और पैर काम करना बंद हो चुके थे. एक तरह से अपंग. चेहरा बदल चुका था. गले से ठीक से आवाज भी नहीं निकल रही थी. उसने अपना नाम बात बताते हुए लोगों की मदद से अपने रिश्तेदारों तक पहुंचा तो कोई पहचान नहीं सका. यहां तक कि रिश्तेदारों ने मना कर दिया कि 6 महीने पहले लापता हुआ युवक ये नहीं है. लेकिन जब उसने सबकी आवाज सुनकर उनके नाम बता दिए. परिवार से जुड़ी सारी बातें बता दी तब सभी को यकीन हुआ. उसके बाद जो उसने अपनी आपबीती सुनाई तो सबके रौंगटे खड़े हो गए. आज क्राइम की कहानी (Crime Stories in Hindi) में कानपुर के सुरेश मांझी के मजदूर से भिखारी बनने की पूरी कहानी...भिखारी गैंग (Bhikhari Gang) पर क्राइम तक (Crime Tak) पूरी सीरीज चला रहा है. कल पढ़िए भिखारी गैंग पार्ट-1 (Bhikhari Gang Part-2)

6 महीने पहले सुरेश मांझी हुआ गायब, छठ पूजा पर ऐसे आया

Bhaikhari Suresh Manjhi Story : कानपुर का नौबस्ता थाना एरिया. यहां की यशोदा नगर कॉलोनी एक कच्ची बस्ती है. वहां पर एक दिहाड़ी मजदूर सुरेश मांझी रहता था. करीब 8 साल पहले शादी हुई थी. एक साल बाद ही एक बेटी का जन्म हुआ. लेकिन बच्ची होने के कुछ साल के बाद ही अचानक उसकी पत्नी कहीं चली गई. तब से बेटी को वो और उसके भाई का परिवार पालता है.

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सुरेश मांझी खुद रोजाना सड़क के किनारे खड़ा होकर मजदूरी का इंतजार करता था. करीब 6 महीने पहले भी काम की तलाश में वो घर से निकला था लेकिन फिर नहीं लौटा. 30 अक्टूबर की शाम को जब छठ पूजा के लिए लोग पूजा घाट पर जा रहे थे तभी कानपुर के किदवई नगर में एक युवक ने शोर मचाना शुरू किया. बचा लो, बचा लो. वो लगातार चीखता रहा. वहां लोग जुटने लगे तो एक गाड़ी से उस शख्स को उतार बाकी लोग फरार हो गए. 

वो युवक देख नहीं सकता था. ना चल पा रहा था. जरा सा उठते तो उसके हाथ पैर लड़खड़ाने लगते थे. उसने लोगों से पूछा कि ये कानपुर ही है ना. लोगों ने हां में जवाब दिया. इसके बाद उसने बताया कि उसे भिखारी गैंग ने अगवा करके आंखें फोड़ दी. नशीले इंजेक्शन देकर अधमरा बना दिया है. जब हालत खराब हो गई तब यहां ले आए. मुझे किसी तरह से नौबस्ता में पहुंचा दें. वहां किसी तरह से लाए जाने पर उसके रिश्तेदार पहचान नहीं पाए. फिर किसी तरह से उसे पहचाना गया तब उस भिखारी ने पूरी कहानी बताई.

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आंखों में केमिकल डाल मुझे पहले दिन ही अंधा बना दिया

Crime Story in Hindi : भिखारी गैंग से बचकर लौटे सुरेश मांझी ने बताया कि 6 महीने पहले रोजाना की तरह किदवई नगर लेबर मंडी के पास खड़ा था. इस इंतजार में की आज भी कोई दिहाड़ी का काम मिल जाएगा. उसी समय मछरिया गुलाबी बिल्डिंग के आसपास में रहने वाला एक शख्स मुझे अपने साथ काम के सिलसिले में ले गया. बातचीत से पता चला कि उसका नाम विजय है. काम करते हुए उसने कुछ खाने का सामान दिया. उसमें कुछ नशीला पदार्थ मिला था. खाने के बाद मुझे अजीब सा लगने लगा. तभी उसने मेरी आंखों में कुछ केमिकल जैसा डाल दिया. जिस वजह से मुझे कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था.

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मुझे 70 हजार में बेचा गया : मैं अंधा ही हो गया. इसके बाद उसने मेरे हाथ-पैर पंजे तोड़ दिए. फिर करीब 12 दिनों तक मछरिया इलाके के घर में ही रखा. मेरे शरीर को कई जगह से जलाया. फिर चापड़ से मेरी दाढ़ी के पास गहरा घाव कर दिया. जिससे चेहरे का हुलिया ही बदल गया. फिर कुछ दिनों तक दूसरे इलाके में रखा गया और मेरा सौदा एक महिला से हुआ. उस महिला ने विजय को 70 हजार रुपये दिए. यानी मुझे 70 हजार रुपये में बेचकर सौदा कर लिया गया.

ट्रेन से दिल्ली ले आए, शोर मचाते तो तुरंत धक्का दे देते

Crime Story : इसके बाद एक शख्स कुछ लोगों के साथ ट्रेन से दिल्ली ले आए. ट्रेन के विकलांग कोच में हमलोगों को बैठाया था. ट्रेन में शोर मचाकर खुद को बचा सकते थे. लेकिन उसमें सभी विकलांग थे. साथ में भिखारी गैंग के लोग थे. पहले ही धमकी दे दी थी कहीं भी शोर मचाकर चालाकी दिखाई तो चलती ट्रेन से नीचे फेंक देंगे. तुरंत मौत हो जाएगी. अब जो आंखें फोड़ सकता है. बेरहम हो सकता है. उसके लिए ये कोई बड़ी बात नहीं थी. इसलिए वहां शोर मचा नहीं सके. इसके बाद दिल्ली लाया गया. यहां किसी बस्ती में रखा गया. वहां पहले से 50 या 100 से ज्यादा लोग थे.

नशीले इंजेक्शन देकर तड़पाते ताकि लोग तरस खा जाएं

यहां लाने के बाद और भी यातनाएं दी गईं. नशीले इंजेक्शन दिए गए. जिससे हाथ पैर ने काम करना बंद कर दिया. चेहरे और शरीर पर गहरे जख्म दिए गए. कई जगह से जलाया गया. जिससे मैं पूरी तरह से अपाहिज बन गया था. हालत ऐसी दयनीय हो गई थी कि कोई भी देखकर मुझपर तरस खा जाए. और भीख में ज्यादा से ज्यादा पैसे दे. इसके बाद रोजना सुबह 4 बजे ही जगा दिया जाता था. जबरदस्ती फिर तुरंत कह दिया जाता था कि जल्दी तैयार होकर काम पर चलो. 5 बजने से पहले ही बिना खाए-पीए दिल्ली के अलग-अलग जगहों पर ट्राइ साइकल ट्रॉली पर बैठाकर ले जाया जाता था. मेरी हालत को देखकर मुझे 1500 से 2000 रुपये या इससे ज्यादा मिलते थे.

दिल्ली के नागलोई में सैकड़ों लोगों से भीख मंगवा रहा है ये भिखारी गैंग

Crime Story : अब मैं देख नहीं सकता था. अपने पैरों से चल नहीं सकता था. और ना ही हाथों से उठ सकता था. पर दोनों कानों से सुन सकता था. इसलिए सबकुछ ध्यान रखता था कि कहां रखा जा रहा है. लोग क्या बात कर रहे हैं. उसी से पता चला कि किसी राज नामक शख्स मुझसे ये भीख मंगवा रहा है. मुझे दिल्ली के नागलोई इलाके में कहीं रखा जा रहा है. यहां पर काफी संख्या में लोग हैं. ये पूरा रैकेट सिर्फ दिल्ली नहीं बल्कि मुंबई और कई बड़े शहरों में चल रहा है. मेरे जैसे सैकड़ों गरीब युवक और बच्चे हैं जिन्हें किसी ना किसी बहाने उठाकर भिखारी गैंग भीख मंगवा रहा है.

इतना सबकुछ सहने  के बाद भी खाने के नाम पर पूरे दिन में सिर्फ एक बार और एक ही रोटी देते थे. ऐसा इसलिए करते थे ताकि हमारी लाचारी देखकर ही लोग तरस खा जाएं. कई महीने तक यातनाएं दी गईं. लगातार रात में नशीले इंजेक्शन दिए जाते थे. जिससे चेहरा और शरीर कमजोर दिखे. ताकी लोग ज्यादा से ज्यादा पैसे दें. लेकिन इस वजह से मेरी तबीयत ज्यादा खराब हो गई. ऐसी हालत हुई कि अगर इलाज कराते तो 40 से 50 हजार रुपये का खर्चा आता. इसलिए भिखारी गैंग ने ये तय किया कि मुझे किसी दूसरी जगह फिर से बेच दिया जाए.

इसलिए फिर से मुझे कानपुर ले आया गया. यहां से वही विजय अब किसी दूसरे गैंग के हवाले कर देता. लेकिन मेरी तबीयत लगातार बिगड़ती रही तो एक गाड़ी से किदवई नगर ले आए. यहां आने की भनक लगते ही मैं चीखने चिल्लाने लगे तो वे छोड़कर भाग निकले.

3 नवंबर को कानपुर के नौबस्ता थाने में दर्ज हुई FIR

इस पूरे मामले की जानकारी होने के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध किया. तुरंत आरोपी विजय और भिखारी गैंग को गिरफ्तार करने की मांग उठी. नौबस्ता और उसके आसपास के इलाके से पिछले कुछ सालों में गायब हुए बच्चों के परिजनों ने भी भिखारी गैंग पर गुस्सा जताया. तब पुलिस ने नौबस्ता थाने में सुरेश मांझी की शिकायत पर एफआईआर दर्ज की.

पुलिस को विजय के कुछ करीबी लोग मिले हैं जिनसे पूछताछ कर उसकी तलाश की जा रही है. इसके साथ ही पुलिस का दावा है कि दिल्ली में भी उसके बताए स्थान के आसपास तलाशी की गई. दिल्ली में राज नामक जो शख्स भीख मंगवाता था उसकी भी तलाश की गई लेकिन वो नहीं मिला. अब कानपुर पुलिस का कहना है कि इस पूरे सिंडिकेट के बारे में पता लगाया जा रहा है.

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