Air India: एअर इंडिया में पेशाब करने वाले आरोपी शंकर मिश्रा मिली जमानत
Air India: एअर इंडिया में पेशाब (Air India Urination Case) करने के मामला में आरोपी शंकर मिश्रा (Shankar Mishra) को जमानत मिली है.
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Air India Urination Case: दिल्ली की एक अदालत ने न्यूयॉर्क से दिल्ली आने वाली एअर इंडिया की एक उड़ान में एक महिला सहयात्री पर पेशाब करने के आरोपी शंकर मिश्रा (Shankar Mishra) को मंगलवार को जमानत देते हुए कहा कि सबूत जुटाने के लिए उसकी हिरासत की अब जरूरत नहीं है।अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरज्योत सिंह भल्ला ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही रकम की जमानत राशि पर यह राहत दी।
न्यायाधीश ने कई शर्तें लगाईं, जिसमें वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करेगा, किसी भी गवाह को प्रभावित नहीं करेगा या किसी भी तरह से उनसे संपर्क नहीं करेगा। मिश्रा को अदालत की पूर्व अनुमति के बिना देश से बाहर नहीं जाने तथा जांच अधिकारी या संबंधित अदालत द्वारा बुलाए जाने पर जांच और मुकदमे में शामिल होने के लिए भी कहा गया।
Air India Case: मिश्रा को छह जनवरी को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया गया था और यहां की एक अदालत ने सात जनवरी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। मिश्रा ने पिछले साल 26 नवंबर को एअर इंडिया की एक उड़ान के बिजनेस क्लास में नशे की हालत में 70 वर्षीय एक महिला पर कथित तौर पर पेशाब किया था।अदालत ने कहा कि जांच अधिकारी के बयान के अलावा, पीड़िता का बयान पहले ही दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज किया जा चुका है। न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसके अलावा, क्रमशः 8सी और 9सी सीट पर बैठे यात्रियों से भी पूछताछ की जा चुकी है। चालक दल के सदस्यों ने भी अपने बयान दिए हैं। आरोपी की सहायता से किसी अन्य सबूत को एकत्र करने की आवश्यकता नहीं है।’’
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न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इसलिए, इन परिस्थितियों में यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि आरोपी के संबंध में जांच पहले ही समाप्त हो चुकी है और कम से कम उस उद्देश्य के लिए उसे अब हिरासत में रखने की आवश्यकता नहीं है।’’न्यायाधीश ने कहा कि उड़ान में 9सी पर बैठे यात्री के बयान से पता चला कि यात्री ने अपने बयान में पीड़िता द्वारा किए गए दावे का समर्थन नहीं किया, जिसे निश्चित रूप से इस स्तर पर पूरी तरह से खारिज नहीं किया जा सकता है। साथ ही न्यायाधीश ने कहा कि दावा मुकदमे में सुनवाई का विषय बन गया है।
अदालत ने कहा कि मामले में प्राथमिकी घटना के लगभग एक महीने और पांच दिन के बाद दर्ज की गई थी और पीड़िता ने भी पुलिस से संपर्क नहीं किया था या इस अवधि के दौरान प्राथमिकी दर्ज करने पर जोर नहीं दिया था।न्यायाधीश ने कहा, ‘‘आरोपी लगभग एक महीने की न्यायिक हिरासत में रह चुका है और इस अपराध में अधिकतम पांच साल की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा, कम से कम ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है कि आरोपी ने किसी भी स्तर पर गवाहों या पीड़ित को धमकाने या डराने की कोशिश की हो।’’न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हालांकि ऐसा दावा किया गया है कि आरोपी ने विमान में पीड़िता से माफ़ी मांगी और बाद में, उसने महिला के खाते में कुछ पैसे हस्तांतरित किए, जो बाद में वापस कर दिए गए। साथ ही, कोई स्पष्ट दावा नहीं है कि वह घटना के बाद पीड़िता को परेशान करने की कोशिश की।’’
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मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा जमानत से इनकार के बाद आरोपी ने अपील दायर की थी। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने 11 जनवरी को मिश्रा को यह कहते हुए राहत देने से इंकार कर दिया था कि उसका कृत्य घृणित और खौफनाक, नागरिक चेतना को झकझोरने वाला था और इसकी निंदा करने की जरूरत है।
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