DGP बेनीवाल साहब ये तिहाड़ जेल में क्या हो रहा है? कैसे लीक हो रही फुटेज?

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Tillu Tajpuria Tihar jail DGP:टिल्लू के दो वीडियोज ने पूरे सिस्टम की बखिया उधेड़ दी। तिहाड के इन 'बहादुर' पुलिसवालों ने पूरे तिहाड़ प्रशासन को हिला कर रखा दिया।

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Tillu Tajpuria Tihar jail DGP: टिल्लू के दो वीडियोज ने पूरे सिस्टम की बखिया उधेड़ दी। तिहाड के इन 'बहादुर' पुलिसवालों ने पूरे तिहाड़ प्रशासन को हिला कर रखा दिया। कैसे टिल्लू को पुलिस वालों के सामने चाकुओं से गोदा जा रहा है? और 'बेचारे पुलिसवाले' कुछ नहीं कर रहे हैं। भइ करे भी तो कैसे अगर उन्हें चाकू लग गया तो? अगर शहीद हो गए तो। नौकरी मिल जाएगी घरवालों को... हमारा क्या? तो फिर जो हुआ वो सही था क्या? जवाब है नहीं। इन्हें ट्रैनिंग इसी बात की मिलती है कि बदमाशों को काबू किया जाए? लेकिन ये सब पुलिसवाले ये सब भूल गए या डर गए। क्या इसलिए भूल गए क्योंकि बदमाशों ने ही बदमाश को मार दिया? या फिर डर गए बेचारे। क्या एक्शन लेने से मना किया गया? सवाल तो बहुत है। लेकिन जवाब कोई नहीं मिला और न मिलेगा। ज्यादा से ज्यादा संस्पेशन होगा, बस। फिर सब कुछ वैसे ही चलेगा। क्योंकि हर कोई यहां नौकरी कर रहा है।

Tillu Tajpuria : जब ऐसे वाक्ये होते हैं तो उन पुलिस वालों पर तो सवाल खड़े होते ही हैं, जिनके सामने ये नंगा नाच हुआ होता है, लेकिन बडे़ अधिकारियों का कुछ नहीं बिगड़ता। और बिगड़े भी कैसे वो तो बड़े अधिकारी है। उनका काम थोड़ी है बैरक में डंडा लेकर बैठना और सुरक्षा मुहैया कराना। वो काम तो उन अधिकारियों का है, जो कांस्टेबल , हेड कांस्टेबल रैंक के होते हैं।

Tillu Tajpuria : तो फिर बड़े अधिकारियों का काम क्या है? दूसरों से काम करवाना, प्लानिंग करना। प्लानिंग को अमल में लाना। लेकिन भइया अमल में तो छोटे अधिकारी ही लाएंगे तो फिर गलतियां तो होती रहेगी, क्योंकि उनका मेंटल लेवल बड़े अधिकारियों जैसे थोड़े ही है। तो फिर क्या करे? सिस्टम को कैसे दुरुस्त करे? कई अधिकारी कहते है कि हम तो अपनी नौकरी करने आए है, जितना हो सकेगा, सुधार कर देंगे। किस्मत रही तो अच्छा टाइम बीतेगा, वरना सवाल खडे़ होंगे? हम तो गृह मंत्रालय को सब बता देते हैं, लेकिन जब संसाधन और माहौल ही नहीं मुहैया कराया जाएगा तो फिर हम क्या करे? फिर ये जवाब मिलता है कि इसी में बेहतर करके दिखाओ।

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डीजीपी साहब से सवाल !

DGP Sanjay Beniwal: इस वक्त तिहाड़ का जिम्मा डीजीपी आईपीएस अफसर संजय बेनीवाल के पास है। उन्हें जब यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, जब डीजीपी संदीप गोयल को हटाया गया था। यानी जब जिम्मेदारी मिली तो माहौल खराब था। जेल में करप्शन अपने ऊफान पर था। कई अधिकारी संस्पेड हो चुके थे। सुकेश जेल में अपना साम्राज्य चला रहा था।

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अब फिर खराब हो गया है, क्योंकि पिछले 20 दिनों में जिस तरह से तिहाड़ में दो गैंगस्टरों की हत्या हुई, उससे सवाल तो खड़ा होगी ही। लेकिन सवाल ये है कि सवाल पूछे किससे? डीजीपी साहब से या फिर उन पुलिसवालों से जिनकी बैरक में ड्यूटी थी? DGP Sanjay Beniwal का काम प्लानिंग करना है। कैदी सुधर जाए और जेल में कोई वारदात न हो, यही काम डीजीपी साहब का। ये काम उन्होंने उन अधिकारियों से करवाना है, जिनकी जेलों में ड्यूटी होती है, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है। फिर गलती किसकी? अगर निचले अधिकारी काम नहीं कर रहे हैं तो बड़े अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई होनी चाहिए?

अगर निचले अधिकारियों के खिलाफ एक्शन ले तो क्या स्थिति बदलेगी? या

जब तक निचले अधिकारियों के मन में ये बात नहीं आएगी कि फोर्स उनके साथ खड़ी है तब तक ये संभव नहीं हो पाएगा। कोई भी शहीद नहीं होना चाहता, लेकिन हिम्मत दिखा सकता है अगर उसे और उसके परिवार को मोटिवेशन मिले।

पता तो सबको है, लेकिन फिर भी हो पाता। थोड़ा बहुत जरूर होता है, लेकिन थोड़े बहुत से कुछ होता नहीं है। फिर ये कहा जाने लगता है कि सिस्टम है भइया ऐसे ही चलेगा। एकाध घटनाएं तो होती ही रहेगी। कौन सी बड़ी बात है? लेकिन इतना तो साफ है कि डीजीपी साहब से सवाल तो पूछे ही जाएंगे और जवाब देना या नहीं देना, उनकी मर्जी। 

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