ईडी को मिली केजरीवाल की 06 दिनों की हिरासत, ईडी ने कहा केजरीवाल घोटाले के सरगना! हवाला से लिए गए 45 करोड़ रुपये
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Arvind Kejriwal: ईडी ने अदालत में अरविंद केजरीवाल की 10 दिनों की रिमांड मांगी थी, 28 पेज में केजरीवाल की गिरफ्तारी का आधार कोर्ट को बताया गया।
Arvind Kejriwal: ईडी ने अदालत में अरविंद केजरीवाल की 10 दिनों की रिमांड मांगी थी, 28 पेज में केजरीवाल की गिरफ्तारी का आधार कोर्ट को बताया गया।
ED Arvind Kejriwal: दोपहर करीब 2 बजकर 10 मिनट पर अरविंद केजरीवाल को राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया। नीली कमीज पहने केजरीवाल को भारी सुरक्षा के बीच अदालत में पेश किया गया। केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने बहस की। एएसजी एसवी राजू ने ईडी के मामले पर बहस की। जज कावेरी बवेजा ने कोर्ट रूम में मौजूद लोगों से कोर्ट में भीड़भाड़ ना करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा हमारे पास जगह सीमित है। दोनों पक्षों को सुनने दीजिए। कोर्ट में ईडी ने कहा कि केजरीवाल ने रिश्वत लेने के लिए कुछ खास लोगों का पक्ष लिया। अपराध की आय का इस्तेमाल आम आदमी पार्टी के गोवा चुनावों के लिए किया गया। गोवा में हवाला से 45 करोड़ रुपए लिए गए। ईडी ने कोर्ट को बताया कि विक्रेताओं के माध्यम से रिश्वत के रूप में पैसा नकद में दिया गया था। चालान केवल आंशिक राशि के लिए बनाए गए थे क्योंकि शेष राशि रिश्वत के रूप में नकद में दी गई थी। चैट से हर बात की पुष्टि हो जाएगी।
ईडी ने चैट का खुलासा किया है जिसमे कहा गया है कि:
व्यक्ति 1 - भुगतान नकद होगा? मुझे यह कब मिलेगा?
व्यक्ति 2 - भुगतान का एक हिस्सा नकद होगा
व्यक्ति 1 - मुझे यह कब मिलेगा?
ईडी ने कहा केजरीवाल घोटाले का किंगपिन
सार्वजनिक जीवन की शुरुआत ‘इंडिया अगेंस्ट करप्शन’ आंदोलन का नेतृत्व से करने वाले और लगातार तीन बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने बृहस्पतिवार को आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन के मामले में गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल का करियर नौकरशाह से कार्यकर्ता और फिर सियासी नेता के रूप में उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। केजरीवाल की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब उनकी आम आदमी पार्टी (आप) विपक्षी दलों के ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन के घटक के तौर पर दिल्ली, हरियाणा और गुजरात में लोकसभा चुनाव के दौरान जीत हासिल करने के गंभीर प्रयास कर रही है।
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ईडी की हिरासत में भेजे गए अरविंद केजरीवाल
‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक 55 वर्षीय केजरीवाल की गिरफ्तारी से पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर गंभीर असर पड़ सकता है क्योंकि वह लोकसभा चुनाव के लिए पार्टी की योजनाओं और रणनीति के केंद्र में रहे हैं। उनकी अनुपस्थिति में पार्टी को अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इसके कई अन्य वरिष्ठ नेता या तो जेल में हैं या राजनीतिक अज्ञातवास में हैं। केजरीवाल के विश्वस्त सहयोगी राज्य सभा सदस्य संजय सिंह और पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया आबकारी नीति मामले में जेल में हैं, जबकि एक अन्य विश्वस्त सहयोगी सत्येन्द्र जैन धनशोधन के एक अन्य मामले में जेल में हैं। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) से स्नातक केजरीवाल ने पहली बार 2013 में कांग्रेस के बाहरी समर्थन से दिल्ली में बनी ‘आप’ सरकार का नेतृत्व किया था।
केजरीवाल घोटाले के किंगपिन
रिमांड नोट में ED ने लिखा है की एक्साइज पालिसी बनाने में केजरीवाल की अहम भूमिका है। किक बैक के तौर पर जो पैसा आया उस पैसे को गोआ चुनाव में लगाया गया। विजय नायर और मनीष सिसोदिया के साथ मिल कर साउथ लॉबी से पैसा लिया गया। अरविंद जो मनीष सिसोदिया के सचिव थे, उन्होंने अपने बयान में बताया की मार्च 2021 में मनीष सिसोदिया ने सी अरविंद को केजरीवाल ले घर पर बुलाया और 30 पेज का GOM ड्राफ्ट दिया। उस समय सतेंद्र जैन और अरविंद केजरीवाल वही मौजूद थे। दिल्ली की नई शराब नीति घोटाला मामले मे ED द्वारा गिरफ्तार किए गए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिमांड की मांग वाली अर्जी में कहा है कि अरविंद केजरीवाल इस घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता हैं।
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हवाला से लिए गए 45 करोड़
अरविंद केजरीवाल ने कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने के लिए आबकारी नीति 2021-22 को तैयार करने में सीधे तौर पर शामिल और उसकी की साजिश करने के साथ उसके बदले में शराब व्यवसायियों से रिश्वत की मांग में भी वह शामिल है। इतना ही नहीं AAP पार्टी के संयोजक और निर्णय करने वाले अरविंद केजरीवाल गोवा चुनाव के लिए अपराध की आय का इस्तेमाल करने में शामिल हैं। ED ने अपनी रिमांड अर्जी में कहा कि यह नीति साउथ ग्रुप को दिए जाने वाले लाभों को ध्यान में रखते हुए विजय नायर, मनीष सिसौदिया और साउथ ग्रुप के सदस्यों और अन्य प्रतिनिधियों की मिलीभगत से बनाया गया था।
ईडी ने अदालत में मागी थी 10 दिनों की रिमांड
नयी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में उनका मुकाबला दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित से हुआ और उन्होंने अपने चुनावी राजनीतिक करियर की शुरुआत उन्हें 22,000 मतों के अंतर से हरा कर किया। लेकिन आम आदमी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन सरकार केवल 49 दिनों तक चली क्योंकि केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में जन लोकपाल विधेयक पारित करने में असमर्थ होने के कारण इस्तीफा दे दिया। दिल्ली में पहले ही चुनाव में पार्टी को मिली जीत से उत्साहित केजरीवाल ने 2014 के लोकसभा चुनाव में वाराणसी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार और तब प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेन्द्र मोदी के साथ मुकाबला करने की घोषणा की, लेकिन उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा।
28 पेज में केजरीवाल की गिरफ्तारी का आधार
अगले साल दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल ने आप को 67 सीटों पर जीत दिलाई और मोदी लहर पर सवार भाजपा को केवल तीन सीटों पर सीमित कर दिया, जबकि कांग्रेस शून्य सीट पर चली गई। दिल्ली विधानसभा के लिए 2015 में हुए चुनाव के लिए उन्होंने 2013 में 49 दिनों के कार्यकाल के दौरान अपने कार्यों के लिए लगातार माफी मांगी और फिर से पद नहीं छोड़ने का वादा किया। केजरीवाल 2011 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से उभरे और अगले साल गांधी जयंती (दो अक्टूबर) को अपने करीबी सहयोगियों के साथ मिलकर राष्ट्रीय राजधानी में ‘आप’ की स्थापना की।
आम आदमी पार्टी के गोवा चुनावों में लगाया पैसा
महज 12 साल की छोटी सी अवधि में केजरीवाल ने अकेले दम पर आप को भाजपा और कांग्रेस के बाद देश की तीसरी सबसे बड़ा राष्ट्रीय दल बना दिया। ‘आप’का असर न केवल दिल्ली और पंजाब में है, बल्कि सुदूर गुजरात और गोवा में देखने को मिला। केजरीवाल को उनके 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' के दिनों में नेताओं ने वास्तविक राजनीति का स्वाद चखने के लिए सक्रिय राजनीति में आने की चुनौती दी थी। जब वह राजनीति में आए तो स्वास्थ्य, शिक्षा, पानी और बिजली आपूर्ति जैसे मुद्दों को अपनी राजनीति और शासन के केंद्र में रखने में कामयाब रहे। हालांकि, उनके विरोधियों ने लोकपाल के अपने वादे को छोड़ने के लिए उनकी आलोचना की।
रिश्वत लेने के लिए कुछ खास लोगों का पक्ष लिया
केजरीवाल 2011 में कांग्रेस नीत तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संपग्र) सरकार पर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने के लगे आरोपों और जनता के व्यापक गुस्से के कारण एक कार्यकर्ता के रूप में प्रमुखता से उभरे। उन्होंने अभी भी देश में स्वास्थ्य और शिक्षा की जर्जर स्थिति के लिए नेताओं को निशाना बनाना जारी रखा है। उन्होंने अपनी करीब एक दशक की राजनीतिक यात्रा में कई तरह के कदम उठाए हैं, चाहे वह विपक्षी दलों के ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल होना हो जिसके नेताओं पर वह पूर्व में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं या ‘नरम हिंदुत्व’ का दृष्टिकोण अपनाना, जिसका उदाहरण उनकी मुफ्त तीर्थयात्रा और हाल में दिल्ली विधानसभा में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाना है। एक बार उन्होंने देश की आर्थिक समृद्धि के लिए मुद्रा पर गणेश और लक्ष्मी की तस्वीर लगाने की मांग की थी।
वैकल्पिक राजनीति के दावे को बड़ा झटका
आबकारी घोटाला मामले में केजरीवाल के जेल जाने से आप के भ्रष्टाचार मुक्त शासन और वैकल्पिक राजनीति के दावे को बड़ा झटका लगा है। केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और सत्येन्द्र जैन का बचाव करते हुए भ्रष्टाचार को ‘देशद्रोह’ कहते थे और दावा करते थे कि आप भगत सिंह द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलती है। भ्रष्टाचार के एक मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी वास्तव में उनकी पहले वाली छवि से एक बड़ा बदलाव है, जिसमें आप नेता ने 2013 में तत्कालीन शीला दीक्षित सरकार पर ‘बढ़े हुए’ पानी और बिजली के बिल को वापस लेने के लिए दबाव बनाने के वास्ते 14 दिनों का अनशन किया था। केजरीवाल ने देश के शीर्ष नेताओं में खुद को स्थापित करने के बाद अपनी राजनीतिक यात्रा की अपेक्षाकृत कम अवधि में एक लंबा सफर तय किया है। उन्होंने 2014-15 के आसपास एक नयी पार्टी के पतले, चश्माधारी, मफलर पहने नेता के रूप में कार्य शुरू किया और इसकी वजह से उन्हें ‘मफलरमैन’ का उपनाम मिला।
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