Video: हम रह गए अकेले: तन्हा रह गए लव गुरु मटुकनाथ, जूली गई विदेश, बीवी बच्चों ने धक्के मारकर निकाल दिया
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Love Guru Matuknath: बिहार के प्रोफ़ेसर मटुकनाथ और जूली की प्रेम कहानी एक वक्त सुर्खियां बनी थीं, आइए जानते हैं अब किस हाल में हैं लवगुरु।
Love Guru Matuknath: बिहार के प्रोफ़ेसर मटुकनाथ और जूली की प्रेम कहानी एक वक्त सुर्खियां बनी थीं, आइए जानते हैं अब किस हाल में हैं लवगुरु।
पटना से सुजीत कुमार की रिपोर्ट
Love Guru Matuknath: बिहार के प्रोफ़ेसर मटुकनाथ और जूली की प्रेम कहानी बच्चे बच्चे की जुबान पर है। आज भी जब भी प्यार का जिक्र होता है। उम्र और रिश्तों के बंधन से मुक्त होकर दोनों की प्यार की चर्चा जरूर होती है। यूं तो जूली मटुकनाथ की उम्र से आधी थी रिश्ते में उनकी शिष्या थी लेकिन दोनों के बीच प्यार इस कदर परवान चढ़ा कि परिवार समाज सब कुछ होते हुए दोनों एक दूसरे के हो गए थे।
बिहार के लव बर्ड
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यही वजह है कि इस लव स्टोरी को 21वीं सदी की सबसे 'बोल्ड' लव-स्टोरी भी कहा जाता है। अब मटुकनाथ की जूली मटुकनाथ से अलग हो गई हैं और यही वजह है कि मटुकनाथ आज अकेले अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। बिहार तक से बातचीत में प्रोफेसर मटुकनाथ ने कहा कि प्यार कोई बंधन नहीं कि किसी को बांधकर रखा जाए।
छोड़ कर चली गई जूली
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मटुकनाथ कहते हैं कि जूली और हम एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते । अब वह प्यार नहीं रहा यही वजह है और जूली वेस्टइंडीज में सेटल हो गई है। 2014 में ही वह मुझे छोड़ कर चली गई। कभी-कभी फोन पर बातचीत हो जाती है। जूली से प्यार होने के बाद मटुकनाथ के परिवार ने उन से नाता तोड़ दिया, उन्हे धक्के मारकर घर से निकाल दिया गया। आज मटुकनाथ अकेले नवगछिया के कोरचक्का में अपने पैतृक आवास में अपनी जिंदगी काट रहे हैं और एक निजी स्कूल का संचालन कर रहे हैं।
प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी, लव गुरु ने कहा कि:
"एक गीत सुना था हमने हम रह गए अकेले दुनिया के मेले में, सामान्य जन का अनुभव ये है कि अकेलापन दुखद होता है। आदमी को सहयोग की जरूरत होती है। जूली अभी वेस्टइंडीज में है, उसकी अपनी यात्रा थी। अपनी यात्रा में गई और क्यों चली गई ये असली कारण तो वो ही बताएगी। मैं तो केवल अनुमान बताऊंगा। वास्तविक कारण वही बताएगी। मैं वेस्टइंडीज गया था, जब जूली की तबीयत खराब होने की सूचना मिली थी। किसी शुभचिंतक ने उनको कहा था कि मटुकनाथ जी को बुला तो उन्होंने मुझे कॉल किया था। तब मैं वहां गया था। मार्च 2020 में गया था और साढ़े चार महीने उनके पास मैं रहा था। मैं अभी मजे में रह रहा हूं, जूली हमारे जीवन से 23 अगस्त 2014 में ही निकल गईं, अब तो सात साल हो गया, सात साल से अकेले रह रहा हूं। मटुकनाथ बिना प्यार के जिंदा नहीं रह सकता, जब तक सांस है तब तक प्यार है। पत्नी और बच्चो ने मुझे घर से निकाल दिया तो हम निकल गए, हम क्या करते। जूली की याद कभी आती है तो आनंदित हो जाता हूं और भगवान से प्रार्थना करता हूं कि वो प्रसन्न रहे तो मैं भी प्रसन्न रहूं। अगर जूली दोबारा मेरे पास आ जाए तो फिर से महोत्सव शुरू हो जाएगा।
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