क्या जेल से सरकार चला पाएंगे केजरीवाल? क्या कहता है कानून? जान लीजिए
Delhi CM Arvind Kejriwal: क्या जेल से सरकार चला पाएंगे केजरीवाल?
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अरविंद ओझा के साथ चिराग गोठी की रिपोर्ट
Delhi CM Arvind Kejriwal: क्या जेल से सरकार चला पाएंगे केजरीवाल? क्या कहता है जेल मैनुअल? क्या जेल में किसी तरह की फाइल कोई कैदी साइन कर सकता है? ऐसे तमाम सवाल अब उठने लगे हैं। दरअसल, अदालत ने अरविंद केजरीवाल को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। उनका अगला ठिकाना तिहाड़ जेल है। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि वो इस्तीफा नहीं देंगे और यही कहना है आम आदमी पार्टी के नेताओं का, लेकिन सवाल ये है की ये मुमकिन भी है? तिहाड़ जेल में सालों तक अलग-अलग पदों पर रह चुके सुनील कुमार गुप्ता का इस मुद्दे पर कहना है कि केजरीवाल न्यायिक हिरासत में रहते हुए सरकार चला सकते हैं। उधर, इस बीच केजरीवाल ने अदालत में अर्जी दाखिल की है कि उन्हें किताबें पढ़ने की अनुमति मिले, जिनमें गीता, रामायण और How Prime Minister Decide किताबें शामिल हैं। (Will Kejriwal be able to run the government from jail? What does the law say? know this)
दरअसल, Delhi Prison Act - 2000 के तहत एडमिनिस्ट्रेशन किसी भी बिल्डिंग या किसी भी जगह को जेल डिक्लेयर कर सकता है और ऐसा होता है तो अरविंद केजरीवाल वहां रह कर सरकार चला सकते हैं, लेकिन ये करने का अधिकार दिल्ली के उपराज्यपाल के पास है। तिहाड़ जेल के पूर्व सुप्रीटेंडेंट सुनील गुप्ता ने बताया की उद्योगपति सुब्रत रॉय सहारा के मामले में एक बार ऐसा हुआ है, जब एलजी के आदेश पर तिहाड़ जेल के एक कॉप्लेक्स को जेल डेक्लियर किया गया था। उसमें इंटरनेट, फोन और वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा थी, उसी में रह कर सहारा श्री ने अपनी प्रॉपर्टी बेंची थी और सभी पैसे चुकाए थे, जिसके बाद उनको बेल मिली थी।
किसी भी बिल्डिंग या जगह को Delhi prison act -2000 के तहत जेल डेक्लियर करने का अधिकार सिर्फ एलजी के पास है और जिस तरह के संबंध दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार और उनके मुखिया अरविंद केजरीवाल और एलजी के बीच हैं और रहे हैं, उसको देखते हुए तो ये नामुमकिन लगता है कि केजरीवाल को ऐसी कोई सुविधा मिले। हालत तो ये है कि एक्साइज पॉलिसी घोटाले की जांच के लिए एलजी ने ही सीबीआई को फाइल भेजी थी और ऐसा नहीं होता तो फिर आम कैदियों की तरह जेल से सरकार चलाना बेहद मुश्किल टास्क होगा। आम कैदियों के लिए, जो जेल मैनुअल है, उसमें किसी भी तरह की कोई भी फाइल साइन नहीं कराई जा सकती।
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जेल मैनुअल के मुताबिक, किसी भी कैदी को जेल में जाने के बाद जेल प्रशासन को 10 लोगों के नाम देने होते हैं, जो 10 लोगों के नाम वो देगा, उनमें से कोई भी शख्स जेल में टेलीफोन करेगा। इसे टेली बुकिंग कहते हैं। वो जेल में बताएगा कि वो किस तारीख को कैदी से मिलने के लिए आना चाहता है। जेल ऑपरेटर बताता है कि किस दिन आना है किस दिन नहीं। एक बार में तीन लोग मुलाकात करने जेल में आ सकते हैं। मुलाकात के दौरान कैदी एक तरफ होता है और मुलाकात करने आया शख्स दूसरी तरफ होता है, बीच में आयरन की जाली होती है। मुलाकात का वक्त 9:30 बजे शुरू होता है और 12:30 बजे तक मतलब 3 घंटे चलता है।
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