पहले आशिक़ के साथ हुई हमबिस्तर, फिर आधी रात बच्चे के सामने किए पति के कई टुकड़े
wife kills her husband after sleeping with her fb friend
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इश्क़ के बवंडर में जब जिस्मों के फरेब की ज्वाला धधकती है तब-तब जुर्म के अंगारे रास्ते में पड़ने वाली चीज़ों को निगल कर राख कर देते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि क्राइम तक पर आज आपको वासना में लिप्त ऐसी बीवी की कहानी सुनाएंगे जिसे सुन आपके सीने में धड़कता दिल भी सिहरन से कांप उठेगा.
होठों पर मीठी मुस्कान, गालों पर लाली और आंखों की ये कशिश इन्हीं का दीवाना हुआ करता था पति. लेकिन अर्चना का ये मुखौटा बस बाहरी सुंदरता भर था. अर्चना के दिल और दिमाग़ में वासना ने इस कदर कुंडली मारी कि वो मां और पत्नी का कर्तव्य भूल जिस्म की प्यास बुझाने वाली हैवान बन बैठी. कहानी पुरानी ज़रुर है लेकिन दिल को कचोटने वाली है. तो आइए आपको कहानी के मेन किरदारों से मिलाएं...पति ओमप्रकाश यादव जो की पेशे से डॉक्टर था, दूसरी ओर ओमप्रकाश की दगाबाज़ पत्नी अर्चना यादव और कहानी में एक शख़्स और था वो है अजय यादव पत्नी अर्चना यादव का बॉयफ्रेंड और जुर्म में बराबर का भागीदार.
आंखों की डॉक्टरी करने वाला ओमप्रकाश तीन भाइयों में सबसे छोटा था. उसका स्वभाव किसी पहाड़ जैसा शांत और इरादे उसी पहाड़ जितने बुलंद थे. घर पर भइया भाभी के साथ रहने वाले ओमप्रकाश की पहली शादी भारतीय मूल की सिगांपुर की लड़की से हुई, लेकिन 6 माह बीतते-बीतते नयी नवेली दुल्हन परिवार के साथ मेलजोल ना बढ़ा सकी और तलाक देकर घर छोड़ चली गई. पहली पत्नी के जाते ही मानो ओमप्रकाश का दिल प्यार को तरस गया. ओमप्रकाश को रोजमर्रा का जीवन अंतहीन लगने लगा. इसी बीच बड़े भाई मुसाफिर यादव ने साल 2009 में अर्चना यादव को ढूंढा और ओमप्रकाश की शादी उससे करवा दी. यूं तो अर्चना बचपन से ही ख़ूबसूरत थी लेकिन जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उसकी सुंदरता और निखर के सामने आई. घर के अत्याधिक लाड-प्यार में पली अर्चना की हर ख्वाहिश तुरंत पूरी हो जाती. इसी बीच ओमप्रकाश की मोहब्बत की बंजर पड़ी ज़मीन पर जब अर्चना की ख़ूबसूरती किसी काले मेघ की तरह आई तो एक बार फिर अधूरे इश्क़ की सूख चुकी लहरें आसमान छूने लगी.
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ओमप्रकाश ने शादी से पहले घर पर ज़रुरत की हर चीज़ रखी ताकी आने वाली दुल्हन को कोई गिला शिकवा ना हो. हुआ भी कुछ ऐसा ही अर्चना को परिवार के रुप में फरिश्ते मिले. पति ओमप्रकाश जैसा सच्चा प्यार करने वाला शौहर तो वहीं अर्चना का ख्याल रखने के लिए मां-बाप जैसे जेठ-जेठानी. शादीशुदा जीवन की हसीन गाड़ी सुचारू रुप से चलने लगी. तीन साल बाद यानी 2012 में दंपती के घर एक नन्हा मेहमान भी आया तो घरवालों की खुशी का ठिकाना नहीं था. पति ओमप्रकाश के लिए तो मानो दुनिया की सारी खुशियां उसके क़दमों पर थीं. लेकिन बच्चे के जन्म लेने के बाद अर्चना चिढ़ी-चिढ़ी से रहने लगी. आए दिन घर पर जेठानी से कलेश होता. मां की ज़िम्मेदारी संभालने वाली अर्चना शुरु से आज़ाद ख़्यालों की थी. घर के रोज़मर्रा के काम से ऊब चुकी अर्चना अब परिवार की मान मर्यादा छोड़ बार-बार ओमप्रकाश से अलग रहने की जिद करती. थक हार कर ओमप्रकाश भइया भाभी को छोड़ अलग रहने लगा. परिवार से अलग होने का इंतज़ार तो अर्चना कई महीनों से कर रही थी. पति के ऑफिस जाने के बाद और घर का काम निपटाने के बाद अर्चना को काफ़ी समय मिल जाता. इसी बीच उसने अपना फेसबुक अकाउंट बनाया और पूरे दिन उसी में खोई रहती.
फेसबुक ने अर्चना को एक ऐसी दुनिया दिखाई कि उसे अपनी रोजमर्रा की ज़िंदगी ही बेरंगीन लगने लगी. पति घर पर होता नहीं और अर्चना का मन फेसबुक पर मर्दों के फोटोज़ देख मचलता. लेकिन शादी की मर्यादा उसे अपनी सीमा लांघने से अक्सर रोक लेती. कुछ समय बीता ही था की अर्चना की दोस्ती फेसबुक पर फिरोजाबाद के रहने वाले अजय यादव से होने लगी. बातें पहले एक दूसरे की तरीफ़ से शुरु हुई. फिर खाना खिलाकर एक दूसरे के सो जाने तक दोनों के बीच जमकर चैट होती और जैसे ही अर्चना फोन बंद कर पति के पास आती उसे अपनी शादीशुदा ज़िंदगी बोर कर देती. अर्चना हर रोज़ पति के ऑफिस जाने का इंतज़ार करती और फिर एक बार फोन पर चैटों को सिलसिला शुरु हो जाता. फोन की चैट कब फोन की बातों में बदल गईं ये खुद अर्चना और अजय को समझ नहीं आया. देर रात तक पत्नी अर्चना का गैर मर्द से बात करना पति ओमप्रकाश को अच्छा नहीं लगा. उसने कई बार इसके लिए टोका लेकिन पत्नी अजय को महज़ अच्छा दोस्त बताकर बात को टाल देती.
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इसी बीच ओमप्रकाश और अर्चना का एक बार लखनऊ जाना हुआ जहां अजय अर्चना से मिलने भी आया. फोन की बातों के बाद जब पहली बार अर्चना ने अजय को देखा तो वो उसपर पहली नज़र में ही दिल हार बैठी. अर्चना अजय की इस कदर दीवानी हुई की वो जब अपने मायके में अकेले थी तो उसने अजय को घर पर बुलाया. इस बार पति मायके में साथ नहीं था और ना ही घर के लोग. कुछ देर की बात और कब अर्चना अजय की बाहों में समा गई ये उसे भी मालूम न चला. शादीशुदा और एक बच्चे की मां अर्चना अजय से शारीरिक सबंध बना चुकी थी. जिस्मों के इस मिलन को अर्चना अपने दिल और दिमाग़ से नहीं निकाल पा रही थी. पति के अलावा गैर मर्द से वासना की ये भूख दिन-बा-दिन बढ़ती जा रही थी...पति यहां दफ़्तर जाता वहां अजय घर आकर बीवी संग बिस्तर पर आशिक़ी और प्यार के गुलछर्रे उड़ाती. ओमप्रकाश जब ऑफिस से छुट्टी लेता तब अर्चना मायके चली जाती और वहां अजय को बुला अपने शरीर की भूख को बदस्तूर मिटाती. सेक्स का ये खेल पति के आँखों में धूल झोंकने वाला था. तो वहीं अजय अर्चना की उफ़ान भरी वासना पर सवार हो इसे मोहब्बत को नाम दे रहा था.
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जिस इश्क़ की नींव जिस्म के फरेबी प्यार से रखी गई हो वहां जुर्म की दस्तक ख़ून भरी ही होती है. सेक्स की भूखी अर्चना और अजय अब पति को रास्ते से हटा इस बेनाम रिश्ते को नाम देना चाहता थे. दोनों ने मिलकर हैवानियत से भरा प्लान तैयार किया और प्लान के मुताबिक अजय 20 जनवरी 2016 को अर्चना के घर आया. तो वहीं पत्नी संग ओमप्रकाश का झगड़े होने के कारण अर्चना पड़ोस में होने वाली बर्थ-डे पार्टी में नहीं गई. अजय गुपचुप तरीके से घर आया और अर्चना के साथ जिस्म की नुमाइश करते हुए वासना की प्यास बुझाई. फिर पति को मौत की नींद सुलाने के लिए कुल्हाड़ी का इंतज़ाम भी किया. रात 10 बजे पार्टी से आने के बाद ओमप्रकाश बिस्तर पर अपने तीन साल के बच्चे के साथ सो गया और रात 12 बजे अजय ने कुल्हाड़ी से वार कर ओमप्रकाश की हत्या कर दी. ख़ून के छींटे कमरे में चारों ओर फैल गए. इसी बीच जब बच्चे की आँख खुली तो वो अर्चना के पास डरते-डरते पहुंचा लेकिन भेद खुल जाने के डर से मां अर्चना ने उसका गला घोंटकर उस मासूम को भी मौत की नींद सुला दिया. अजय की मदद से अर्चना ने खुद को दूसरे कमरे में बंद कर घर पर पूरी वारदात को लूट-पाट की शक्ल देने की कोशिश की. अजय घर के कुछ पैसे और गहने लेकर फरार हो चला. अगले दिन जब पुलिस आई तब शुरुआती जांच में इसे लूटपाट ही मान रही थी लेकिन सास ने पति और पत्नी के बीच खट-पट को पुलिस के सामने रखा और बस इसी एक बयान पर पुलिस ने अर्चना की कॉल डिटेल खगांली तो पूरा मामला किसी शीशे की तरह साफ़ हो चला.
पुलिस के सामने अर्चना ने अजय से अपनी मोहब्बत क़बूली और पुलिस ने गुनाह से भरे इस कुंए की गहराई को एक पल में ही माप लिया...इश्क़ की आग सच्ची मोहब्बत करने वालों को यूं तो आबाद कर देती है, लेकिन फरेब की ज्वाला उस जलते लावा जैसी है जो बिना सोचे समझे सामने पड़ने वाली हर चीज़ को नेस्तनाबूत कर देती है.
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