जेल में सज़ा काट रहे अपराधी की पत्नी को चाहिए था बेटा तो जज साहब ने बताया बच्चा पैदा करने का अनोखा तरीक़ा
wife demands parole for criminal husband in jail, court gives amazing verdict
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महान अर्थशास्त्री और शिक्षक, चाणक्य अक्सर कहा करते थे... नियमों का सम्मान अच्छी बात है पर व्यवस्था में अपवाद यानी एक्सेपशनस (EXCEPTIONS) के लिए लचीलापन होना चाहिए... इसी बात को साकार करता एक क़िस्सा राजस्थान के अजमेर से सामने आया...
दरअसल ये लचीलापन राजस्थान में अपने खूंखार अपराध के लिए सजा काट रहे एक कैदी को दिया गया है.. अपराधी की प्रोफ़ाइल को देखे तो उसका नाम नंदलाल है जो बतौर कैदी अजमेर सेंट्रल जेल में बंद है.. उम्रकैद की सजा काट रहा नंनदलाल करीब छह साल से हवालात के पीछे है.. मगर इसी बीच उसकी पत्नी को उसके आने वाले वंश यानी बच्चों की दिक्कत सताने लग जाती है, मगर दूसरी और विडंबना ये थी की उसका पति जेल में सजा काट रहा था.. तो इसका तोड़ ढूंढते हुए पत्नी जिला कलेक्टर के पास पहुंच जाती है और पति के पैरौल की मांग करती है..
पैरोल की दलील देते हुए महिला ने बताया कि वो कैदी की वैध पत्नी है और उसकी कोई संतान नहीं है. महिला ने परौल के लिए अपने पति के जेल में रहने के दौरान ‘अच्छे व्यवहार’ का भी हवाला दिया. मगर उसकी ये दलील लंबे समय तक कलेक्ट्रट ऑफिस में पेंडिंग थी.
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दिन बित रहे थे और लाचार पत्नी की बेबसी भी, मगर पत्नी हार नहीं मानती है और ये दलील लेकर मामले की जल्द सुनवाई की चाहत में राजस्थान हाईकोर्ट पहुंच जाती है. वैसे तो रिहाई पर पैरोल नियम के अनुसार कोर्ट में इस सबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है पर राजस्थान हाई कोर्ट की बैंच ने इस मामले जो फैसला सुनाया वो ऐतिहासिक था...
कोर्ट ने इस फैसले को दो मुख्य बातों से जोड़ा.. पहला कैदी पर इसका पॉजीटीव इमपेक्ट पड़ेगा.. पैरोल देने का मकसद ये भी है कि अपनी रिहाई के बाद कैदी शांतिपूर्ण तरीके से समाज की मुख्यधारा में शामिल हो सके..वही दूसरा संतान पैदा करने के अधिकार को कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत जीवन का अधिकार भी माना.
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