आख़िर बांग्लादेश में क्यों निशाना बनाए जा रहे अल्पसंख्यक हिंदू ?

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आख़िर बांग्लादेश में क्यों निशाना बनाए जा रहे अल्पसंख्यक हिंदू ?
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1971 में पाकिस्तानी सैन्य सरकार के अत्याचार के ख़िलाफ़ भारत की मदद से युद्ध छेड़ कर जीत हासिल करने वाले बांग्लादेश के सूर बदल गए हैं. ये वही बांग्लादेश है जो म्यांमार में रोहिंग्या संकट के दौरान अल्पसंख्यक के अधिकारों को लेकर काफ़ी मुखर था. लेकिन हाल में जब बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के ख़िलाफ़ हिंसक हमले हुए तो इनके तेवर बदले बदले नज़र आ रहे हैं. दुनियाभर में चर्चा का कारण बने इन हमलों पर संयुक्त राष्ट्र तक ने बांग्लादेश की सरकार से अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार रोकने की अपील की है.

हिंसा की इन ताज़ा वारदातों में कम से कम 6 लोगों की मौत हुई है और कई लोग घायल भी हो गए हैं. कई हिंदू धार्मिक स्थलों से लेकर हिंदुओं के घरों को निशाना बनाया जा चूका है. भारत के पड़ोसी बांग्लादेश हिंसा का सिलसिला 13 अक्टूबर दिन से शुरू है जब हिंदू नवरात्रि की अष्ठमी को देवी दुर्गा पूजा का पर्व मना रहे थे. धर्म के ख़िलाफ़ भीड़ को भड़काया गया और दुर्गा पूजा पंडालों, मंदिरों और हिंदू समुदाय के लोगों के घरों पर हमले किए गए.

हमलों की साज़िश ?

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बांग्लादेश के होम मिनिस्टर ने इसे सुनियाजित हमला बताया है. अफ़वाहों के ज़रिए भीड़ को उकसाने के मामले में 54 लोगों को बांग्लादेश की पुलिस ने पकड़ा और सैंकड़ों लोगों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया है. मंत्री ने कहा ऐसा पहले कभी नहीं हुआ क्योंकि लोग यहाँ त्योहार ख़ुशी से मनाते हैं. हमें सुराग मिले हैं कि ये सभी बांग्लादेश की छवि ख़राब करने की साज़िश की ओर इशारा करते हैं. साथ ही आश्वासन दिया की दोषियों को बख्शेंगे नहीं.

एक दशक से हो रहे हमले

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पड़ोसी देश में अल्पसंख्यक अधिकारों पर काम कर रही संस्था के अनुसार पिछले 9 साल में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को 3579 बार हमलों का सामना करना पड़ रहा है. ख़ासकर 2014 चुनावों में अवामी लीग की जीत के बाद हिंसक घटनाएँ बड़े पैमाने पर हुई.

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