तालिबान का ये नेता बनने जा रहा है अफ़ग़ानिस्तान का नया राष्ट्रपति?

ADVERTISEMENT

तालिबान का ये नेता बनने जा रहा है अफ़ग़ानिस्तान का नया राष्ट्रपति?
social share
google news

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर तजाकिस्तान पहुंच गए हैं । जबकि उनकी सरकार में रहे कई मंत्री अभी भी काबुल में ही है और वो तालिबान के साथ बातचीत को आगे बढ़ा रहे हैं। तालिबान ने पहले ही ऐलान कर दिया था कि वो जोर जबरदस्ती से काबुल पर कब्जा नहीं करेंगे। उन्होंने वैसा ही किया अफ़ग़ानिस्तान में फंसे विदेशी नागिरकों को उन्होंने देश छोड़ने का पूरा मौका दिया है।

आने वाले वक्त में अफगान सरकार की शक्लो सूरत कैसी होगी ये तो अभी कहना मुश्किल है लेकिन अगले अफगानी राष्ट्रपति के तौर पर सबसे आगे नाम है अब्दुल गनी बरादर का। अब्दुल गनी बरादर वो शख्स है जिसने 90 के दशक में तालिबान की नींव मुल्ला उमर के साथ रखने में उसकी मदद की थी। कई साल तक पाकिस्तान की जेल में बंद रहने के बाद साल 2018 में ही उसे जेल से बाहर निकाला गया था।

कौन है मुल्ला बरादर?

ADVERTISEMENT

मुल्ला बरादर का पूरा नाम है अब्दुल गनी बरादर। बरादर का बचपन कंधार में गुजरा जहां पर तालिबान का जन्म हुआ। 1970 में जब रुस ने अफगानिस्तान पर हमला किया तो बरादर की जिंदगी पर भी असर पड़ा और वो भी सोवियत फौज के खिलाफ जंग में कूद पड़ा और एक लड़ाका बन गया।

बरादर सोवियत फौजों के खिलाफ तालिबान का मुखिया रहा मुल्ला उमर के साथ लड़ा, जिस वजह से उसे मुल्ला उमर का खास माना जाता था और जब मुल्ला उमर का सिक्का तालिबान में चला तब बरादर को भी अहम रोल दिया गया।

ADVERTISEMENT

सोवियत फौजों के जाने के बाद साल 1990 में अफगानिस्तान में गृह युद्ध छिड़ गया। देश में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार फैल गया इसी दौरान मुल्ला उमर और बरादर ने बाकी लोगों के साथ मिलकर तालिबान की शुरुआत की।

ADVERTISEMENT

साल 2001 में जब तालिबान की अफगानिस्तान में हार हुई तब बरादर ने हामिद करज़ई की सरकार को समर्थन का पत्र भी दिया था। साल 2010 में अमेरिकी दबाव के चलते पाकिस्तान में बरादर को गिरफ्तार कर लिया गया।

साल 2018 में उसे रिहा कर कतर भेज दिया गया। यहीं पर बरादर को तालिबान की राजनीति विंग का मुखिया बना दिया गया और उसकी देखरेख में ही अमेरिका और तालिबान का अफगान छोड़ने का एग्रीमेंट साइन किया गया।

आज पूरे दिन काबुल में क्या हुआ?

रविवार तड़के तालिबान ने काबुल के बाहरी इलाके पर कब्जा कर लिया था और काबुल की केन्द्र सरकार को अलग-थलग कर दिया था। जलालाबाद तालिबान के कब्जे में आने के बाद अफगान सरकार का देश के राज्यों की 34 राजधानियों में से केवल राष्ट्रीय राजधानी काबुल सात राज्यों की राजधानी पर ही कब्जा रह गया था।

महज हफ्ते भर में तालिबान ने अफगान आर्मी को हराकर कई राज्यों पर कब्जा कर लिया था जबकि इस बीच कई जगहों पर अमेरिका ने बमबारी कर अफगानिस्तान आर्मी की मदद भी की थी।

अंदाजा लगाया जा रहा ह कि चंद घंटों में या एक दो दिन में काबुल पूरी तरह से तालिबान के कब्जे में आ जाएगा लिहाजा अमेरिका समेत नाटो देशों के कई दूतावास वहां पर रखे अति गोपनीय दस्तावेज जलाने में लगे हुए हैं ।

अफगान के राष्ट्रपति ने शनिवार को ही राष्ट्र के नाम संदेश दिया लेकिन वो अब अलग-थलग दिख रहे हैं। गनी ने अफगानिस्तान के कई लड़ाकू गुटों से संपर्क किया था लेकिन इन सबने तालिबान के सामने हथियार डाल दिए हैं।

काबुल की सड़कों पर लंबी-लंबी कतारें

अफगानिस्तान की राजधानी काबुल की सड़कों पर ना केवल कारों की लंबी कतारें थी बलकि बैंक और एटीएम के बाहर भी लोग पैसे निकालने के लिए खड़े हुए थे। काबुल से आई तस्वीरों में कई किलोमीटर लंबा जाम दिख रहा है।

इन कारों में सवार ज्यादातर लोग अफगानिस्तान छोड़कर दूसरे देश जाने के लिए काबुल एयरपोर्ट की ओर निकले थे। इनमें बहुत सारे लोग ऐसे भी थे जो दूसरे देश का वीजा लगाने के लिए एंबेसी की ओर जा रहे थे।

बैंकों और एटीएम के बाहर भी लोगों की लंबी कतारें देखी गईं क्योंकि अभी तक किसी को नहीं मालूम कि अफगानिस्तान में आखिर ऊंट किस करवट बैठेगा। हर तरफ बेचैनी का माहौल है और लोग बैंकों से ज्यादा से ज्यादा पैसा निकालने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी तरफ बैंकों ने अपने एटीएम बंद कर दिए हैं और पैसे नहीं निकल पा रहे हैं।

दूसरे देशों में बसे अफगानी भी अपने परिवारों को लेकर परेशान हैं। तालिबान की दस्तक के बाद उनके दिमाग में साल 1996-2001 वाले तालिबान राज की तस्वीरें घूम रही हैं। वो अलग बात है कि तालिबान दावा कर रहे हैं कि इस बार महिलाओं की शिक्षा और उनके काम करने पर किसी भी तरह की रोकटोक नहीं लगाई जाएगी।

पाकिस्तान में अफगानी राजदूत की बेटी की किडनैपिंग के पीछे की असली कहानी ये है

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT

    यह भी पढ़ें...

    ऐप खोलें ➜