रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन फूट-फूटकर क्यों रोने लगे?

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रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन फूट-फूटकर क्यों रोने लगे?
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व्लादिमीर पुतिन करीब 2 दश्कों से रूस की सियासत का चेहरा हैं, उनके राज में कई बुरे दौर लेकिन वो झुके नहीं। लेकिन हकीकत ये है कि पुतिन भी डरते हैं, उन्हें भी दर्द होता है वो भी कमज़ोर पड़ जाते हैं। और कभी कभी तो फूट फूटकर रोने लगते हैं। साल 2000 के मार्च महीने में चुनाव हो रहे थे, जिसमें पुतिन मुख्य उम्मीदवार थे, किसी को भी पुतिन की जीत पर शक नहीं था। फिर अचानक, जैसे ही पुतिन राष्ट्रपति की दौड़ में शामिल हुए, एंतोली सोबचाक की एक होटल के कमरे में मौत हो गई।

सेंट पीटर्सबर्ग के पहले चुने हुए मेयर एंतोली सोबचाक उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने सोवियत संघ के खात्मे की लड़ाई लड़ी थी। ये वही थे जो व्लादिमीर पुतिन को राजनीति में लेकर आए थे। एंटोली उस वक्त 62 साल के थे। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत की वजह कार्डियेक अरेस्ट बताया गया, लेकिन हार्ट अटैक के कोई सबूत नहीं मिल सके।

सोबचाक की विधवा ने अपने पति की मौत को लेकर शक जाहिर किया, कुछ लोगों का मानना है कि एंटोली की मौत में पुतिन का हाथ था। एंतोली सोबचाक को उनकी मौत के बाद दफनाया जा रहा था। पुतिन परेशान दिख रहे थे, उनकी आंखें लाल थी। जैसे ही उन्होंने एंतोली सोबचाक की पत्नी ल्यूडमिला नारुसोवा को गले लगाए वो फूट फूटकर कर रोने लगे।

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इस घटना को लोगों ने ऐसा माना कि शायद वो गिल्टी फील कर रहे हों यानी अपराधबोध में हों। सोबचाक की पत्नी ने इल्ज़ाम लगाया कि कुछ लोग थे जो पुतिन को सत्ता में लाने के लिए साज़िश कर रहे थे। क्योंकि सोबचाक की मेडिकल रिपोर्ट को कभी सार्वजनिक नहीं किया और दस्तावेजों को रूस के बाहर सुरक्षित रखा है।

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