क्या है दावत-ए-इस्लामी संगठन?, उदयपुर मर्डर के आरोपियों का पाकिस्तान कनेक्शन
what is Dawate Islamic Organization: पाकिस्तानी संगठन 'दावत-ए-इस्लामी' क्या है, जिससे जोड़े जा रहे Udaipur Killing के आरोपियों के तार
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Udaipur murder Case: राजस्थान के उदयपुर में टेलर की निर्मम हत्या करने वाले आरोपी मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद को लेकर बड़े खुलासे का दावा किया जा रहा है. दोनों ही हत्यारों के संबंध 'दावत-ए-इस्लामी' संगठन से जुड़े बताए जा रहे हैं. ऐसे में जानते हैं कि दावत-ए-इस्लामी का गठन कब हुआ और क्यों हुआ?
what is Dawate Islamic Organization: आखिर क्या है दावते इस्लामी संगठन: आरोपी मोहम्मद रियाज और ग़ौसमोहम्मद दावते इस्लामी संगठन से जुड़े हुए थे
जी हां दावते इस्लामी संगठन रख खुद को ग़ैर राजनीतिक इस्लामी संगठन बताता है इसकी स्थापना 1981 में कराची में हुई थी. मौलाना अबू बिलाल मोहम्मद इलियास ने इस संगठन की स्थापना की थी.
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भारत में ये संगठन कई साल से सक्रिय है शरिया कानून का प्रचार प्रसार करना और उसकी शिक्षा को लागू करना इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य माना जाता है.
इस संगठन के 100 से ज्यादा देशों में अपने नेटवर्क हैं दावते इस्लामी कितनी वेबसाइट है दावते इस्लामी 32 से ज्यादा इस्लामी कोर्स चलाता है जिसे ऑनलाइन किया जा सकता है।
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यूं तो दावते इस्लामी पर कई बार धर्मांतरण के आरोप भी लगे हैं यह संगठन वेबसाइट पर न्यू मुस्लिम कोर्ट भी संचालित करता है आरोप है कि ऑनलाइन कोर्स के माध्यम से धर्मांतरण करने वालों को जेहादी बनाने की स्पेशल ट्रेनिंग भी दी जाती है।
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सूत्रों के मुताबिक उदयपुर मामले में जांच में सामने आया है कि आरोपी मोहम्मद रियाज और ग़ौस मोहम्मद दावते इस्लामी नाम के संगठन से जुड़े हुए थे यह दोनों इस्लामी संस्था के ऑनलाइन कोर्स से भी जुड़े हुए थे। जाँच में पता चला है की क़त्ल के बाद दोनों आरोपी अजमेर दरगाह जाने वाले थे। एसआइटी और एनआईए की टीम इस पर गंभीरता से जांच कर रही है।
दावत-ए-इस्लामी के लोग हरी पगड़ी बांधते हैं
'दावत-ए-इस्लामी' ने अपनी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के लिए चैनल खोल रखा है जिसका नाम मदनी है. इस चैनल पर उर्दू के साथ अंग्रेजी और बांग्ला भाषा में भी कार्यक्रम प्रसारित होते हैं. चैनल का संचालन पाकिस्तान से किया जाता है. दावत-ए-इस्लामी का नेटवर्क करीब 194 देशों में फैला हुआ है, दावत-ए-इस्लामी के सदस्य हरा अमामा (पगड़ी) बांधते हैं तो कुछ लोग सफेद पगड़ी भी बांधने लगे हैं.
दावत-ए-इस्लामी की दो सबसे महत्वपूर्ण गतिविधियां मदनी काफिला और नायक अमल हैं. तबलीगी जमात की तरह दावत-ए-इस्लामी के लोग इस्लाम का संदेश फैलाने के लिए विशिष्ट दिनों में यात्रा करते हैं. इस दौरान इस्लाम और पैगंबर के संदेश को पहुंचाने का काम करते हैं. बारावफात (पैगबंर के जन्मदिन) के मौके पर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में दावत-ए-इस्लामी संगठन के लोग जुलूस भी निकालते हैं.
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