क्या आर्यन खान की रिहाई को लेकर हुई सौदेबाजी?

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क्या आर्यन खान की रिहाई को लेकर हुई सौदेबाजी?
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Aryan Khan Drug Case: अब जब कहानी के सेंटर में हीरो का बेटा हो, तो कहानी तो पूरी फिल्मी होगी ही। जब किसी हीरो के बेटे को लॉन्च किया जाता है, तो इस बात का ख़्याल रखा जाता है कि फिल्म में सारे मसाले हों ताकि फिल्म हिट हो जाए। पर यहां तो पूरा मामला ही उल्टा है। ना तो हीरो यानी शाहरुख खान के बेटे आर्यन ख़ान को लॉन्च किया जा रहा है, ना उनकी कोई फिल्म बन रही है। पर पर्दे के बाहर असली ज़िंदगी में जाने-अनजाने आर्यन की एक ऐसी फिल्म बन गई जिसमें किसी हिट फिल्म के सारे मसाले हैं। पर रुपहले पर्दे के बाहर की ये कहानी आपको दिखाऊँ उससे पहले इसी मुंबई में लिखी गई एक और पटकथा की कुछ झलकियां दिखाता हूं। ताकि आज की कहानी आप आसानी से समझ सकें।

बात इसी साल की है। फरवरी से जून जुलाई तक यही सब चेहरे न्यूज़ चैनल पर तैर रहे थे। देश के सबसे अमीर शख्स के घर के बाहर एक इंस्पेक्टर कार में आधे अधूरे बम रखता है। जिसकी कार थी, उसकी लाश मिलती है। मामले की जांच करनेवाला इंस्पेक्टर बाद में खुद ही क़ातिल निकलता है। खुद पकड़ाता है, तो रिश्वत की पार्टनरशिप में राज्य के गृहमंत्री का नाम लेता है। गृहमंत्री नपते हैं, तो मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी नाप देने का फैसला करते हैं। कुल मिलाकर, इस वक़्त की फिल्म ये है कि इंस्पेक्टर सचिन वाज़े जेल में है, गृहमंत्री कुर्सी से उतारे जा चुके हैं और पुलिस कमिश्नर कई महीने से लापता हैं।

अब एंटीलिया केस की इस मिसाल से आइए आज की कहानी को समझते हैं। कहानी आर्यन की। आर्यन के ड्रग्स लेने की। आर्यन की गिरफ्तारी की और आर्यन के गिरफ्तारी के एक गवाह की। उस गवाह की जिसे लगता है कि मनसुख हिरन जैसा हश्र उसका भी हो सकता है। यानी उसे भी मनसुख हिरन की तरह मारा जा सकता है। क्रूज़ ड्रग केस में ये वो गवाह है जिसका नाम पंचनामे में है और पंचनामे पर जिसके दस्तखत है। इस गवाह का नाम है प्रभाकर राघोजी सैल। ये मुंबई अंधेरी ईस्ट का रहनेवाला है। ये वो गवाह है, जिसने आर्यन ख़ान को दो अक्टूबर को इंटरनेशनल क्रूज़ पर जाते देखा। एनसीबी को आर्यन को हिरासत में लेते देखा। एनसीबी के दफ्तर में बैठे देखा। इतना ही नहीं ये वो गवाह है, जिसने एनसीबी के दफ्तर में बैठ कर चोरी छुपे अपने मोबाइल से एक वीडियो भी बनाया।

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प्रभाकर इसी क्रूज़ ड्रग केस में एक और गवाह जिसका पंचनामे पर दस्तखत है, केपी गोसावी का बॉडीगार्ड था। प्रभाकर को गोसावी ने 22 जुलाई को नौकरी दी थी और अपना पर्सनल बॉडीगार्ड रखा था। 24 अक्टूबर यानी आर्यन की गिरफ्तारी के 22 दिन बाद प्रभाकर अचानक फैसला करता है कि उसे आज तक से बात करनी है। आजतक संवाददाता कमलेश सुतार के साथ प्रभाकर ना सिर्फ़ बातचीत करता है, बल्कि अपने मोबाइल से बहुत सारे ऐसे सबूत देता है, जो दो अक्टूबर की एनसीबी की कहानी पर सवाल खड़े कर देते हैं। इतना ही नहीं प्रभाकर 24 अक्टूबर को ही पांच पन्नों का एक एफिडेविट जारी करता है। इसमें क्रूज पर रेड और आर्यन समेत बाक़ी लोगों की गिरफ्तारी, पंचनामा और फिर देर रात पैसों की डील के बारे में बताता है।

कुल मिलाकर प्रभाकर की कहानी के मुताबिक केपी गोसावी के कहने पर दो अक्टूबर को दोपहर 12 बजे वो ग्रीन गेट इंटरनेशनल क्रूज टर्मिनल पहुंचा था। रात करीब साढ़े 12 बजे केपी गोसावी अपनी इनोवा कार में एनसीबी के कुछ अधिकारियों के साथ आर्यन को लेकर एनसीबी ऑफिस पहुंचा। रात करीब 1 बजे प्रभाकर को समीर वानखेड़े और एनसीबी के एक और अफ़सर सालेकर ने 9-10 सादे पेपर पर साइन करने को कहा। उसे पंचनामा बताकर। इसके बाद उसी रात गोसावी को उसने फ़ोन पर सैम नाम के किसी शख्स से बात करते हुए सुना। प्रभाकर के मुताबिक गोसावी सैम से कह रहा था कि तुमने 25 करोड़ का एक बम फोड़ दिया है। 18 करोड़ में फाइनल करते हैं। हमें 8 करोड़ समीर वानखेड़े को भी देने हैं। प्रभाकर के मुताबिक उसी रात एक मर्सिडीज कार में शाहरुख खान की मैनेजर पूजा ददलानी लोअर परेल पहुंचती हैं। इसके बाद सैम, केपी गोसावी और पूजा ददलानी मर्सिडीज़ में बैठ कर बातें करते हैं। 15 मिनट बाद पूजा ददलानी चली जाती हैं और गोसावी भी निकल जाता है। एफिडेविट में प्रभाकर ये भी कहता है कि केपी गोसावी 3 अक्टूबर से ही गायब है। और अब मुझे डर है कि कहीं एनसीबी मुझे भी ना मार दे। या अगवा कर ले।

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सवाल उठ रहे हैं कि क्या एनसीबी का पूरा ऑपरेशन उगाही के लिए है? क्या आर्यन की रिहाई के लिए पहले एनसीबी सौदा कर रही थी? सौदा करनेवाला सैम कौन है? एनसीबी से उसका क्या रिश्ता है? केपी गोसावी को एनसीबी ने इतनी छूट क्यों दे रखी थी? एनसीबी की हिरासत में गोसावी मोबाइल को स्पीकर पर डाल कर आर्यन की किससे बात करा रहा था? प्रभाकर से पंचनामा के नाम पर सादे पर साइन क्यों कराए गए? पंचनामा अमूमन मौके पर होता है, फिर इस केस में एनसीबी के दफ्तर में पंचनामा क्यों हो रहा था?

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ये वो सवाल हैं जो सीधे समीर वानखेड़े से पूछे जा रहे हैं। मामला संगीन है। क्योंकि प्रभाकर पुलिस कंप्लेंट लिखाने के लिए सोमवार को बाकायदा मुंबई पुलिस कमिश्नर के दफ्तर भी गया। एक सरकारी कर्मचारी पर उगाही के इल्ज़ाम लग रहे हैं। याद कीजिए इसी इल्ज़ाम में महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख नप चुके हैं। शायद यही वजह है कि एनसीबी और खुद समीर वानखेड़े सोमवार को अदालत पहुंच जाते हैं। इस फरियाद के साथ कि जांच को भटकाने के लिए कुछ लोग जानबूझ कर समीर वानखेड़े और एनसीबी पर ऊंगलियां उठा रहे हैं। प्रभाकर केस में गवाह है। लेकिन वो किसी के इशारे पर अब काम कर रहा है। यहां तक कि समीर वानखेड़े ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को भी एक लेटर लिखा है। लेटर में उन्होंने कहा है कि उन्हें झूठे मामलों में फंसाने और जेल भेजने की साजिश रची जा रही है। जबकि खुद एनसीबी के डायरेक्टर मामले की जांच करा रहे हैं। जब तक ये जांच नहीं हो जाती, पुलिस उनके खिलाफ़ कोई कार्रवाई ना करे।

एनसीबी की तरफ़ से समीर वानखेड़े के बचाव में अदालत में एफिडेविट दी गई है, उसमें प्रभाकर सैल के सारे इल्ज़ामों को झूठा बताया गया है। इस एफिडेविट में एक जगह प्रभाकर के एक इल्ज़ाम का भी ज़िक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि प्रभाकर ने अपने एफिडेविट के पैरा 13 में ये कहा है एक महिला पंचनामे पर दस्तखत करनेवाले एक गवाह से मिली थी। इसका मतलब ये हुआ कि वो महिला केस पर प्रभाव डालना चाहती थी और इसीलिए मिली थी। इस एक पैरा 13 को छोड़ दें, तो एनसीबी की एफिडेविट में प्रभाकर के बाक़ी किसी भी इल्ज़ाम का जवाब नहीं दिया गया है।

प्रभाकर के इल्ज़ाम के बाद विजिलेंस ने समीर वानखेड़े के खिलाफ़ जांच शुरू कर दी है। अब इस जांच के बाद ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या जांच के दौरान समीर वानखेड़े अपने पद पर बने रहेंगे या उन्हें उनके पद से हटाया जा सकता है? वैसे जिस तरह से प्रभाकर ने एनसीबी और समीर वानखेड़े पर इल्ज़ाम लगाए हैं, उनमें कई चीज़ें ऐसी हैं, जो बड़ी आसानी से पता लगाई जा सकती है।

2 अक्टूबर की रात प्रभाकर एनसीबी के दफ्तर के बाहर था। सीसीटीवी कैमरे से ये पता चल जाएगा। एनसीबी के एक अफ़सर सालेकर को प्रभाकर ने आधार कार्ड व्हाट्स एप किया था।सालेकर के फ़ोन नंबर 8167609*** से ये पता लग जाएगा।गोसावी और सैम डिसूज़ा बिग बाज़ार के क़रीब लोअर परेल ब्रिज के पास मिले थे। सीसीटीवी से पता लगाया जा सकता है।उसी रात पूजा ददलानी भी लोअर परेल ब्रिज के पास ही सैम और गोसावी से मिली थी। ये भी कैमरा बता देगा। ट्राइडेंट होटल के पास प्रभाकर ने एक शख्स को 38 लाख रुपये दिए थे। ये भी कैमरे में क़ैद होगा।प्रभाकर, गोसावी, सैम, पूजा ददलानी सभी लोगों के मोबाइल लोकेशन भी प्रभाकर के सच और झूठ को बता सकते हैं।

उधर, इन तमाम चीज़ों के बीच महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर सोमवार को एक और नया इल्ज़ाम धर दिया। नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े का बर्थ सर्टिफिकेट जारी किया है। इस सर्टिफिकेट के ज़रिए उन्होंने समीर वानखेड़े पर गलत जाति प्रमाण पत्र देने का इल्ज़ाम लगाया है। नवाब मलिक का दावा है कि सर्टिफिकेट पर दाऊद के वानखेड़े लिखा है। जबकि समीर के पिता जो कि मुंबई पुलिस में थे, उनका नाम ज्ञानदेव वानखेड़े है।

वैसे लगातार फिल्मी होती जा रही इस फिल्मी कहानी से हट कर आपको बताता चलूं कि मंगलवार यानी 26 अक्टूबर को बॉम्बे हाई कोर्ट में आर्यन की ज़मानत पर सुनवाई है। अब देखना ये है कि 24 दिन बाद आर्यन को रिहाइ मिलती है या अब भी वो जेल में रहेंगे।

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