Rat Hole Mining : ऑगर मशीन फेल, रैट माइनर्स ने हाथों से ही खोद दी चट्टान! एनजीटी के लगाया रखा है रैट होल माइनिंग पर बैन, क्या है रैट होल माइनिंग?

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Uttarkashi Tunnel Rescue Rat Hole Mining : उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए जहां ऑगर मशीन फेल हो गई, वहीं रैट माइनर्स ने कमाल कर दिया है। जल्द ही मजदूर सुरंग से बाहर निकल सकते हैं, क्योंकि रेस्क्यू टीम बहुत नजदीक पहुंच गई है।

ऑगर मशीन 48 मीटर की खुदाई करने के बाद सुरंग में फंस गई थी। इसके बाद इसे काटकर बाहर निकाला गया। इसके बाद रैट माइनर्स को बुलाया गया। ये एक्सपर्ट मैन्युअल खुदाई कर रहे हैं।

रेस्क्यू टीमों ने मजदूरों के परिजनों से उनके कपड़े और बैग तैयार रखने को कहा है। मजदूरों को निकालने के बाद उन्हें हॉस्पिटल ले जाया जाएगा। खुदाई पूरी होने के बाद इसमें 800 मिमी व्यास का पाइप डाला जाएगा। इससे ही मजदूर बाहर आएंगे। मैन्युअल हॉरिजेंटल ड्रिलिंग के लिए दो प्राइवेट कंपनियों की दो टीमों को लगाया है। एक टीम में 5 एक्सपर्ट हैं, जबकि दूसरी में 7। इन 12 सदस्यों को कई टीमों में बांटा गया है। ये टीमें बचे हुए मलबे को बाहर निकालेंगी। इसके बाद 800 एमएम व्यास का पाइप डाला जाएगा। एनडीआरएफ की टीमें इसी के सहारे मजदूरों को बाहर निकालेंगी।

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Rat Hole Mining : क्या है रैट होल माइनिंग?

सिल्क्यारा सुरंग में हॉरिजेंटल खुदाई मैन्युअल विधि से की जा रही है। इन्हें रैट-होल माइनर कहा जाता है। रैट-होल माइनिंग अत्यंत संकीर्ण सुरंगों में की जाती है। कोयला निकालने के लिए भी माइनर्स हॉरिजेंटल सुरंगों में सैकड़ों फीट नीचे उतरते हैं। हालांकि 2014 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मजदूरों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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इससे पहले उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि 52 मीटर तक पाइप डाले जा चुके हैं। 57 मीटर दूरी तक पाइप डाले जाने हैं। यानी रेस्क्यू टीमें मजदूरों से सिर्फ 3 मीटर की दूरी पर हैं। दूसरी ओर पहाड़ पर वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है। अब तक 42 मीटर की खुदाई की जा चुकी है। कुल 86 मीटर वर्टिकल खुदाई की जानी है।

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