अमेरिका ने पन्नू मामले में निखिल गुप्ता को बचाव सामग्री उपलब्ध कराने पर आपत्ति जताई

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अमेरिका ने पन्नू मामले में निखिल गुप्ता को बचाव सामग्री उपलब्ध कराने पर आपत्ति जताई
गुरपतवंत सिंह पन्नू
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Nikhil Gupta Case Update: अमेरिकी सरकार ने एक खालिस्तानी चरमपंथी की हत्या की नाकाम साजिश के आरोप में चेक गणराज्य की जेल में बंद भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता को बचाव सामग्री प्रदान करने को लेकर आपत्ति जताई है और कहा है कि वह न्यूयॉर्क की अदालत में पेशी और मामले में अभियोग के बाद ही जानकारी प्रदान करेगी।

पीटीआई के मुताबिक, गुप्ता (52) पर संघीय अभियोजकों ने पिछले साल नवंबर में एक अभियोग में खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू को अमेरिका की जमीन पर मारने की नाकाम साजिश में एक भारतीय सरकारी कर्मचारी के साथ मिलकर काम करने का आरोप लगाया था। पन्नू के पास अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता है।

गुप्ता को 30 जून, 2023 को चेक गणराज्य के प्राग में गिरफ्तार किया गया था और इस समय उसे वहीं रखा गया है। अमेरिकी सरकार उसके अमेरिका प्रत्यर्पण की मांग कर रही है।

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गुप्ता के वकील ने चार जनवरी को न्यूयॉर्क के सदर्न डिस्ट्रिक्ट के यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में एक प्रस्ताव दायर किया जिसमें अदालत से संघीय अभियोजकों को ‘‘तत्काल आरोपों के बचाव के लिए प्रासंगिक बचाव सामग्री’’ प्रदान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया।

अमेरिकी जिला न्यायाधीश विक्टर मारेरो ने आठ जनवरी को गुप्ता के वकील द्वारा दायर प्रस्ताव का जवाब देने के लिए सरकार को तीन दिन का समय दिया था। सरकार ने बुधवार को जिला अदालत में दायर अपने जवाब में कहा कि सामग्री मांगने वाले गुप्ता के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जाना चाहिए।

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सरकार की ओर से जवाब देते हुए अमेरिकी अटॉर्नी डेमियन विलियम्स ने कहा कि गुप्ता को इस समय ऐसा कोई कानूनी अधिकार या औचित्य नहीं है।

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न्यूयॉर्क में गुप्ता के वकील जेफ चाब्रोवे ने अपने प्रस्ताव में कहा है कि प्रत्यर्पण कार्यवाही में प्राग में गुप्ता का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने कहा, ‘‘अमेरिकी अभियोग के अलावा उन्हें किसी भी प्रकार का कोई सबूत या दस्तावेज नहीं दिया गया है।’’

उन्होंने कहा कि गुप्ता से प्राग में ‘‘वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने कई मौकों पर पूछताछ की है, जो अब भी जारी है।’’

प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘प्राग में मौजूद बचाव पक्ष के वकील के पास केवल अभियोग के अलावा कोई सबूत या अन्य मामले की सामग्री नहीं है। सबसे गंभीर बात यह है कि अभियोग के बाद भी प्रतिवादी से अमेरिकी अधिकारियों द्वारा पूछताछ जारी है, जहां उसके बेखबर वकील के पास उसे सुरक्षित करने की कोई क्षमता या अधिकार नहीं है। इसलिए अदालत से सरकार को यहां बचाव उपाय तलाशने के अनुरोध का अनुपालन करने का आदेश देने का अनुरोध किया जाता है।’’

गुप्ता के प्रस्ताव में कहा गया है कि प्राग की एक नगरपालिका अदालत ने शुरू में प्रत्यर्पण की सिफारिश की, ‘‘लेकिन कोई भी अंतिम प्रत्यर्पण आदेश जारी होने से पहले न्यायिक समीक्षा आवश्यक हैं।’’

हालांकि सरकार ने अपने प्रस्ताव में गुप्ता के इस दावे को खारिज किया है कि उनके वकील की मौजूदगी के बिना अमेरिकी अधिकारियों द्वारा उनसे बार-बार पूछताछ की गई।

आरोपों की जांच के लिए भारत पहले ही एक जांच समिति गठित कर चुका है।

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