डोनाल्ड ट्रंप पर हुए कातिलाना हमले की साजिश को लेकर बड़ा खुलासा, क्या पाकिस्तान के हैंडलर और महिला ने रची थी साजिश?
USA Donald Trump Murder Conspiracy Pakistan Connection: अमेरिकी न्याय विभाग ने इन हाई प्रोफाइल हत्याओं की साजिश रचने के मामले में पाकिस्तान के 46 साल के शख्स आसिफ मर्चेंट को गिरफ्तार किया है। उस पर इन हत्याओं को अंजाम देने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। एफबीआई के डायरेक्टर क्रिस्टोफर रे ने इसे ईरान की साजिश का हिस्सा बताया है।
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न्यूज़ हाइलाइट्स
डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश
क्या पाकिस्तानी हैंडलर की करतूत?
अंडर कवर एजेंटों ने ऐसे फंसाया हैंडलर को?
ट्रंप को मारने की रची जा रही थी साजिश, अंडर कवर एजेंटो को 5000 डॉलर का हो चुका था भुगतान, बस ये गलती कर गए आरोपी!
USA News: अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में पिछले महीने एक चुनावी सभा को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हुए कातिलाना हमले के शूटर को तो सुरक्षा कर्मियों ने मार गिराया था, लेकिन अब इसकी साजिश के तार पाकिस्तान और ईरान से जुड़ रहे हैं। एजेंसियों को शक है कि इस हमले की साजिश ईरान और पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स ने रची हो। हालांकि अब इसकी जांच चल रही है और फिलहाल आरोपी को क्लीन चिट नहीं दी गई है।
इसके लिए बाकायदा अंडर कवर एजेंटों को 5000 डॉलर का भुगतान भी किया गया था। सब कुछ तय था, लेकिन आखिरी वक्त में कुछ ऐसा हुआ जिससे सारी प्लानिंग चौपट हो गई। दरअसल, ये Under Cover Agents कोई और नहीं, बल्कि खुद अमेरिकी न्याय विभाग के जासूस थे। इस साजिश में एक महिला भी शामिल थी, लेकिन ऐन वक्त पर वो सुरक्षा एजेंसियों के हाथों से निकल गई।
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अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में पिछले महीने एक चुनावी सभा को जब पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संबोधित कर थे, उस दौरान उन पर गोलियां चलाई गई थी। वो बाल-बाल बच गए थे। पुलिस मामले की जांच कर रही है मगर इस बीच एक बड़ा खुलासा हुआ है। वो खुलासा ये है कि ट्रंप को मारने के लिये 5000 ड्रॉलर का भुगतान किया गया था। इसका पाकिस्तानी कनेक्शन भी सामने आया है। जांच में सामने आया है कि पाकिस्तान के आसिफ ने सुपारी किलर्स को 5000 डॉलर की पेमेंट की थी।
अंडर कवर एजेंटों ने साजिश को किया बेनकाब
दरअसल, ट्रंप पर हुए हमले की जांच करते वक्त न्याय विभाग को एक पाकिस्तानी के बारे में पता चला। अमेरिका ने इसके लिए अपने अंडर कवर एजेंटों को तैयार किया और उन्हें ज्यादा जानकारियां जुटाने का जिम्मा सौंपा। पता चला कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जान के पीछे ईरान और पाकिस्तान पड़े हैं। अंडर कवर एजेंटों ने इस पाकिस्तानी को अपने कब्जे में किया। उसे ये भरोसा दिलाया गया कि वो उसका सारा काम कर देंगे। पाकिस्तानी हैंडलर आसिफ मर्चेंट को इन एजेंटों पर यकीन हो गया। उसे 5000 डॉलर का भुगतान तक कर दिया गया, लेकिन जैसे ही ये साजिश आगे बढ़ती, उससे पहले ही न्याय विभाग ने आसिफ को धर दबोचा।
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आसिफ को किसने भेजा था?
अमेरिका के न्याय विभाग के मुताबिक, आसिफ ने ट्रंप सहित कई कद्दावर नेताओं की हत्या की साजिश का खुलासा किया है। उसे इसका जिम्मा सौंपा गया था। वो पाकिस्तान का हैंडलर हैं। उसने अपने साथ एक महिला को भी साजिश में जोड़ा था। सब कुछ तय था। कहा ये भी जा रहा है कि मर्चेंट एक खास मकसद से पहले पाकिस्तान से ईरान गया। इसके बाद अमेरिका गया था। जून के महीने में आसिफ न्यूयॉर्क गया था, जहां उसे इन हत्याओं की सुपारी देने के लिए एक शख्स से मिलना था। आसिफ ने इसके लिए दो सुपारी किलर्स को 5000 डॉलर की पेमेंट भी की थी। वो दरअसल अंडर कवर एजेंट थे।
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अमेरिकी न्याय विभाग को तभी इसकी भनक लग गई, जैसे ही आसिफ ने अमेरिका से रवाना होने की कोशिश की, उसे गिरफ्तार कर लिया गया। आसिफ से पूछताछ हुई तो उसने खुलासा किया कि उसने सुपारी किलर्स को कहा था कि वो पाकिस्तान पहुंचने के बाद टारगेट्स के नाम उजागर करेगा। इसमें ट्रंप का नाम भी शामिल था। इसके बाद ट्रंप की सुरक्षा को और बढ़ा दिया था।
ईरान के टॉप कमांडर की हत्या का बदला था मकसद?
आसिफ ने 2020 में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के टॉप कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए अमेरिकी नेताओं की हत्या की साजिश रची थी। हालांकि उसका पिछले महीने ट्रंप पर हुए कातिलाना हमले में कोई रोल था या नहीं, इसकी जांच अब भी चल रही है। उससे गहनता से पूछताछ जारी है। अधिकारियों को उस पर शक है, क्योंकि वो लगातार बयान बदल रहा है। सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि अभी उसे क्लीन चिट नहीं दी गई है।
आपको बता दें कि ट्रंप को एक गोली ट्रंप के दाहिने कान के ऊपरी हिस्से को छूकर निकल गई थी, इस वजह से उनके कान से खून निकल गया था। उसी वक्त सिक्योरिटी गार्ड्स आए और उन्होंने ट्रंप को चारों तरफ से घेरकर घटनास्थल से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था। इसके बाद सीक्रेट सर्विस ने हमलावर को मौके पर मार गिराया था। उसका नाम थॉमस मैथ्यू क्रूक्स (Thomas Matthew Crooks) था। वो 20 साल का था। वो पेंसिल्वेनिया के पिट्सबर्ग में रहता था। उसके पास सेमी-ऑटोमैटिक एआर-15 राइफल थी, लेकिन क्या क्रूक्स सिर्फ मोहरा था, असली मास्टरमाइंट कोई और था, सुरक्षा अधिकारी इस एंगल से भी जांच कर रहे हैं।
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