Atiq and Ashraf Murder Case में यूपी पुलिस को Clean Chit, आयोग ने मर्डर का मकसद भी वही बताया जिसका खुलासा पुलिस ने किया था

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Atiq and Ashraf Murder Case में यूपी पुलिस को Clean Chit, आयोग ने मर्डर का मकसद भी वही बताया जिसका खुलासा पुलिस ने किया था
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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पांच सदस्यीय न्यायिक आयोग ने दी अपनी सिफारिश

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आयोग ने घटना में पुलिस की मिलीभगत से किया इनकार

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मीडिया के लिए भी आयोग ने दिए कुछ सुझाव

Atiq Asharaf Murder Case: यूपी पुलिस मासूम है। यूपी पुलिस बेकसूर है। बेशक पुलिस की हिरासत में दो नामी गुंडों को गोलियों से भून दिया गया मगर उससे पुलिस का कोई लेना देना नहीं। ये बात हम नहीं कह रहे बल्कि ये सर्टिफिकेट तो यूपी पुलिस को न्यायिक आयोग ने दिया है। ये वही न्यायिक आयोग है जो अतीक अहमद और अशरफ हत्याकांड (Atiq Asharaf Murder) के मामले की पड़ताल कर रहा था और इस सनसनीखेज मर्डर का मकसद भी तलाश कर रहा था। 

जो यूपी पुलिस ने कहा वही न्यायिक आयोग ने बताया!

क्या कमाल का इत्तेफाक है कि जो जो बातें यूपी पुलिस ने इस वारदात के वक्त अपनी प्रेस कान्फ्रेंस में कही थी, वो सारी की सारी बातें हू ब हू न्यायिक आयोग ने भी कह दी। सच कहा जाए कि न्यायिक आयोग की सिफारिशें और यूपी पुलिस को दी गई क्लीन चिट बिलकुल उसी लाइन को आगे बढ़ाती है जो बात शुरू शुरू में यूपी पुलिस की तरफ से बताई गई थी।

बैडमिंटन खेलने वाले अंदाज में चलाई थी जिगाना पिस्तौल

15 अप्रैल 2023 को प्रयागराज के कॉल्विन अस्पताल के प्रांगड़ में अतीक अहमद और अशरफ को रात करीब साढ़े दस बजे उस वक्त गोलियों से भून दिया गया था जब मेडिकल जांच करवाने के लिए पुलिस दोनों माफिया डॉन को अस्पताल लेकर गई थी और अस्पताल में पहले से ही मौजूद मीडिया के सामने वो दोनों भाई बाइट देने जा रहे थे। और मजे की बात ये है कि ये सब कुछ लाइव चल रहा था। तभी पत्रकारों की भीड़ में छुपे नकली पत्रकार बनकर आए तीन शूटरों ने बिल्कुल बैडमिंटन खेलने वाले अंदाज में जिगाना पिस्तौल से ताबड़तोड़ फायर करते हुए अशरफ और अतीक को मौत के घाट उतार दिया था। 

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न्यायिक आयोग को पुलिस की कोई लापरवाही नहीं दिखी

न्यायिक आयोग ऐसा मानता है कि ये सब कुछ अचानक हुआ जिसमें पुलिस की लापरवाही नहीं नज़र आती। साथ ही पुलिस के साथ हमदर्दी इसी से पता चल जाती है कि आयोग मानता है कि इस घटना को पुलिस के लिए टालना संभव ही नहीं था। 
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में ये नतीजा निकाला, 

15 अप्रैल, 2023 की घटना जिसमें प्रयागराज के शाहगंज थाना अंतर्गत उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में पुलिस हिरासत में लिए गए आरोपी अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ की तीन अज्ञात हमलावरों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, उसे राज्य पुलिस द्वारा अंजाम दी गई पूर्व नियोजित साजिश का नतीजा नहीं कहा जा सकता

पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले की अध्यक्षता वाला न्यायिक आयोग

न्यायिक आयोग की सिफारिशें

पुलिस को दी गई इस क्लीन चिट के बाद न्यायिक आयोग ने कुछ सुझाव भी दिए हैं जो खासतौर पर कवर करने वाले पत्रकारों के लिए जरूरी बताए गए हैं। आयोग ने सुझाव दिया है कि किसी भी मीडिया संस्थान को संबंधित अधिकारियों द्वारा विनियमित और नियंत्रित किया जायेगा। खासतौर पर किसी सनसनीखेज (अपराधिक घटना ) सार्वजनिक महत्व की घटना के मामले में, ताकि जांच एजेंसी के रास्ते में किसी भी बाधा से बचा जा सके और इसमें शामिल व्यक्तियों की सुरक्षा भी हो सके। 

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मीडिया को आयोग के सुझाव

आयोग ने सुझाव दिया कि 'मीडिया को किसी भी घटना/घटना का इस तरह से सीधा प्रसारण करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जिससे आरोपी/पीड़ितों की गतिविधियों के साथ-साथ उक्त घटना के संबंध में पुलिस की गतिविधियों के बारे में योजना/सूचना मिल जाती है। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मीडिया पर मेहरबानी भी की और कहा, 'मीडिया को किसी भी अपराध की जांच के चरणों जैसे कि आरोपी को आपत्तिजनक वस्तुओं की बरामदगी के लिए ले जाने के बारे में जानकारी नहीं दी जानी चाहिए।' इसमें कहा गया है, 'जब सार्वजनिक महत्व के किसी अपराध की जांच चल रही हो, तो मीडिया को कोई भी 'टॉक शो' आयोजित करने से बचना चाहिए, जिससे चल रही जांच में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

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पूछताछ के लिए लाए गए थे दोनों भाई

अतीक अहमद गुजरात की साबरमती जेल में बंद था जबकि उसका भाई अशरफ बरेली जेल में थे। प्रयागराज में हुए उमेश पाल हत्याकांड के सिलसिले में दोनों को पूछताछ के लिए प्रयागराज लाया गया था। उमेश पाल असल में 2005 में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के विधायक राजू पाल की हत्या का प्रमुख गवाह था। और उमेश पाल की 24 फरवरी 2023 में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। जांच के दौरान 87 गवाहों के बयान, सीसीटीवी और वीडियो फुटेज की समीक्षा के बाद, आयोग ने पाया कि घटना अचानक हुई और पुलिस कर्मियों की प्रतिक्रिया तत्काल और सामान्य थी।

आयोग ने माना है कि हत्या को टाला नहीं जा सकता था

इलाहाबाद हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस दिलीप बाबा साहब भोंसले की अध्यक्षता में गठित पांच सदस्यीय आयोग ने नतीजा निकाला कि यह हत्या की साजिश पहले से तय थी जिसे टाला नहीं जा सकता था। उत्तर प्रदेश के माफिया व पूर्व सांसद अतीक अहमद और उनके भाई अशरफ की हत्या की जांच रिपोर्ट के अनुसार, राज्य और पुलिस तंत्र की कोई मिलीभगत नहीं थी। आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी जिसके बाद योगी कैबिनेट ने इस जांच रिपोर्ट को सदन पटल पर रखने की मंजूरी दी थी। 

मर्डर करने वालों का मकसद भी वही बताया न्यायिक आयोग ने

आयोग ने हमलावरों के मकसद पर भी प्रकाश डाला, जिन्होंने अतीक और अशरफ की हत्या को मीडिया की मौजूदगी में अंजाम दिया ताकि उन लोगों का नाम हो सके। आयोग ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया है कि इस वारदात की वजह से पुलिस को कई अहम सूचनाओं के नुकसान का भी सामना करना पड़ा, जैसे कि आतंकवादी संगठनों और आईएसआई से अतीक और अशरफ के संबंध।

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