लखनऊ में गरीब की 4 साल की बेटी को नहीं मिला किसी अस्पताल में वेंटिलेटर, तड़प-तड़पकर हुई मौत

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लखनऊ में गरीब की 4 साल की बेटी को नहीं मिला किसी अस्पताल में वेंटिलेटर, तड़प-तड़पकर हुई मौत
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लखनऊ से आशीष श्रीवास्तव की रिपोर्ट

Lucknow News : लखनऊ में सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर ना मिलने की वजह से 4 दिन की नवजात बच्ची की मौत हो गई। परिवार लखनऊ के हर सरकारी अस्पताल में वेंटिलेटर को लेकर दौड़ता रहा लेकिन इलाज नहीं मिला।  जानकारी के मुताबिक, राजाजीपुरम बख्तामऊ के रहने वाले फाजिल गरीब मजदूर हैं। मजदूरी करके अपना परिवार चलाते है। उनकी पत्नी शमीम बानो ने 10 अक्टूबर को प्रेग्नेंट होने के बाद लोक बंधु अस्पताल में एक बच्ची को जन्म दिया लेकिन कुछ देर बाद बच्ची की हालत बिगड़ गई. जिसके बाद उसको किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया.

किसी सरकारी अस्पताल में नहीं मिला खाली वेंटिलेटर

लेकिन जब बच्चे को लेकर विभाग पहुंचे तो वहां पर वेंटिलेटर खाली न होने का कारण बताया गया. इसी वजह से बच्ची को भर्ती नहीं किया गया. इसके बाद परिजन राम मनोहर लोहिया संस्थान पहुंचे. जहां पर भी प्रिंट लेटर न होने का कारण बताया गया. फिर पीजीआई पहुंचे लेकिन वहां पर तो बेड उपलब्ध नहीं थे और ना ही वेंटीलेटर. इस तरह से थक हारकर गरीब परिवार ने कृष्णा नगर के एक निजी अस्पताल में बच्ची को भर्ती कराया लेकिन 2 दिन में तकरीबन 1 लाख 3000 रुपए खर्च हो जाने से परिवार परेशान हो गया. ऐसे में खराब आर्थिक स्थिति होने की वजह से मजबूर होकर फिर से अस्पताल केजीएमसी पहुंचे. लेकिन एक बार फिर परिवार बच्ची को लेकर केजीएमयू ड्रामा सेंटर पहुंचे लेकिन वापस कर दिया गया. 

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बच्ची की मौत पर सरकारी अस्पतालों के अफसरों ने क्या कहा

इसके बाद पीजीआई पहुंचे वहां से भी वापस कर दिया गया है. एंबुलेंस में ही सांस देने की कोशिश कर रहे थे. इस तरह नर्सिंग एसोसिएशन पूर्व अध्यक्ष सीमा शुक्ला की नजर बच्चे पर पड़ी. उन्होंने रिक्वेस्ट करके मेडिकल कालेज में भर्ती करने की बात कही. जिसके बाद किसी तरह भर्ती किया गया. लेकिन कुछ देर बाद बच्ची की मौत हो गई. परिजनों के मुताबिक, अगर सही समय पर इलाज मिल जाता तो बच्ची की मौत नहीं होती. केजीएमसी के पीआरओ सुधीर सिंह के मुताबिक, वेंटीलेटर खाली न होने के वजह से बच्ची को एडमिट नहीं किया जा सका. इसमें सभी वेंटीलर भरे हुए थे. पीजीआई के पीआरओ कुसुम के मुताबिक, वेंटिलेटर की उपलब्ध कम है. जिसकी वजह से एडमिट नहीं किया जा सका हैं. और जबकि हम मरीज ले लेते है.

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