लुलू मॉल के पास से पकड़े गए कछुओं के बड़े तस्कर, 679 इंडियन टेंट टर्टल, इंडियन रूफ़्ड टर्टल और ब्राउन रूफ़्ड टर्टल बरामद
Lucknow: जीवित कछुए के माँस अथवा कछुओं की कैलिपी (झिल्ली) को सुखा कर शक्तिवर्धक दवा के लिए प्रयोग किया जाता है।
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UP Crime: डीआरआई ने लखनऊ से 679 गंगा कछुओं को बरामद किया है। डीआरआई को गंगा सॉफ्टशेल कछुओं की अवैध तस्करी और व्यापार में शामिल एक सिंडिकेट के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी। ये गैंग रेयर कछुओं की तस्करी करता है जिनमें से कुछ को आईयूसीएन रेड लिस्ट के तहत प्रोटेक्टेड प्रजातियों के रूप में लिस्ट किया गया है और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित किया गया है।
लखनऊ से 679 गंगा कछुओं को बरामद
इन कछुओं का अवैध व्यापार, अत्यधिक शोषण मांस और आवास का क्षरण इन प्रजातियों के लिए बड़ा ख़तरा है। सूचना के आधार पर डीआरआई ने लखनऊ के एक होटल से एक तस्कर को पकड़ा। जिसके पास 309 बच्चे गंगा सॉफ्टशेल कछुए पाए गए। आगे की खुफिया जानकारी के आधार पर लखनऊ के लुलु मॉल के पास भी गुप्त निगरानी रखी गई, जहां कछुओं का आदान-प्रदान होने वाला था।
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गंगा सॉफ्टशैल कछुओं के साथ पांच गिरफ़्तार
जब ऐसा आदान-प्रदान चल रहा था, डीआरआई के अधिकारियों ने स्विफ्ट डिजायर कार में 370 बच्चे गंगा सॉफ्टशैल कछुओं के साथ पांच लोगों को पकड़ा। बरामद कछुओं को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रिहाई के लिए यूपी वन विभाग को सौंप दिया गया है।
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इंडियन टेंट टर्टल, इंडियन रूफ़्ड टर्टल और ब्राउन रूफ़्ड टर्टल
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इस प्रकार डीआरआई ने 18 घंटे की अवधि में दो ऑपरेशनों में कुल 679 जीवित कछुओं को बचाया है। बचाए गए गंगा के कछुओं की प्रजातियाँ इंडियन टेंट टर्टल, इंडियन रूफ़्ड टर्टल और ब्राउन रूफ़्ड टर्टल हैं। इन दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को ऊँचे दामों पर बेच दिया जाता है।
यूपी से पश्चिम बंगाल तक जाल
आपको बता दें कि भारत में कछुओं की पाई जाने वाली 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियाँ उत्तर प्रदेश में पाई जाती है, इनमें 11 प्रजातियों के अवैध व्यापार की बात प्रकाश में आयी है। यह अवैध व्यापार जीवित कछुए के माँस अथवा कछुओं की कैलिपी (झिल्ली) को सुखा कर शक्तिवर्धक दवा के लिए प्रयोग किया जाता है।
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