कछुओं की कैलिपी से बनाते हैं सेक्सवर्धक दवाएं, कछुओं की तस्करी करने वाले गैंग का भंडाफोड़, दुर्लभ प्रजाति के 741 कछुए बरामद
UP Crime: जीवित कछुए के माँस अथवा कछुओं की कैलिपी (झिल्ली) को सुखा कर शक्तिवर्धक दवा के लिए प्रयोग किया जाता है।
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UP Crime News: यूपी एसटीएफ ने दुर्लभ प्रजाति के कछुओं की अन्तर्राज्यीय तस्करी करने वाले तीन तस्करों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के कब्जे से 741 कछुए व तस्करी में इस्तेमाल वाहन बोलेरो पिकप बरामद की गई है। पुलिस ने शनि, सूरज और आदर्श सिंह को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों के कब्जे से 741 कछुए बरामद
यूपी एसटीएफ को खबर मिली थी कि कछुओं की तस्करी करने वाले गिरोह के कुछ सदस्य लखनऊ की तरफ से बोलेरो पिकप से कछुए लादकर पश्चिम बंगाल ले जा रहे है। इस सूचना पर एसटीएफ ने गाड़ी को रोककर चेक किया गया तो धान व भूसी के बीच छिपाये गये 27 बोरों में दुर्लभ प्रजाति के 741 कछुएँ तस्करों के कब्जे से बरामद किए गए।
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शक्तिवर्धक दवाओं में कछुए का इस्तेमाल
गिरफ्तार अभियुक्तों से गहनता से पूछताछ करने पर खुलासा हुआ कि ये एक कछुआ तस्करी का सक्रिय गिरोह है, जो उत्तर प्रदेश से वन्य जीवों, कछुओं की तस्करी भारत के विभिन्न प्रान्तों में करता है। बरामद कछुओं के बारे में पूछने पर बताया गया कि यह कछुए यह लोग जगदीशपुर जनपद अमेठी में सलमान, अकबर व फूल मोहम्मद से लिए थे। गैंग के सदस्य ये कछुए लेकर पश्चिम बंगाल जा रहे थे वहां पर स्थानीय तस्करों से सम्पर्क कर इन दुर्लभ प्रजाति के कछुओं को ऊँचे दामों पर बेच दिया जाता है।
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यूपी से पश्चिम बंगाल तक जाल
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आपको बता दें कि भारत में कछुओं की पाई जाने वाली 29 प्रजातियों में 15 प्रजातियाँ उत्तर प्रदेश में पाई जाती है, इनमें 11 प्रजातियों के अवैध व्यापार की बात प्रकाश में आयी है। यह अवैध व्यापार जीवित कछुए के माँस अथवा कछुओं की कैलिपी (झिल्ली) को सुखा कर शक्तिवर्धक दवा के लिए प्रयोग किया जाता है।
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