UP Farmer Suicide: जनतंत्र के क्रूर ‘तंत्र’ के आगे दम तोड़ गया बेबस किसान, लेखपाल निलंबित
UP Crime: किसान सुशील कुमार के मरने की खबर जैसे ही अफसरों को हुई त्वरित गति से संबंधित जमीन की फाईल निकलवाई गई, मौके पर भी जा पहुंचे अफसरान, हरमुमकिन कोशिश शुरू हो गई लीपापोती की।
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UP Farmer Suicide: गाजियाबाद में हुई हृदयविदारक घटना सामने आई। अपनी खुद की जमीन से दंबगों का कब्जा हटवाने के लिए तीन वर्षों से जिला प्रशासन के चक्कर काट रहे बुजुर्ग किसान सुशील कुमार ने हताश होकर हाथों की नसें काट लीं। उनकी मौत हो गई। हैरानी की बात ये है कि आज भी देश में ना जेने कितने किसान इसी तरह लेखपाल से लेकर बड़े बड़े अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।
जिला गाजियाबाद में खुद की जमीन से दंबगों का कब्जा हटवाने के लिए तीन वर्षों से जिला प्रशासन के चक्कर काट रहे बुजुर्ग किसान सुशील कुमार ने हताश होकर हाथों की नसें काट लीं। ये सब कुछ हुआ शनिवार को मोदीनगर में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान हुआ। बुजुर्ग किसान की हालत बिगड़ती देख अफसरों के होश उड़ गए आनन फानन में उसे अस्पताल लेकर गए लेकिन किसान ने दम तोड़ दिया। मृतक सुशील इन्द्रा कालोनी मुजफ्फरनगर रहने वाले थे। किसान ने गाढ़ी कमाई से मुरादनगर के डिडौली गांव में कृषि भूमि ली पर इस पर दबंगो ने कब्जा कर लिया।
मृतक के परिजनों का आरोप है कि स्थानीय लेखपाल ने जानूझकर गलत रिपोर्ट लगाई जिससे इंसाफ नहीं मिल पाया। जनसुनवाई पोर्टल पर इस प्रकरण का निस्तारण दिखा दिया गया पर जमीन पर कुछ न हुआ। किसान सुशील कुमार के मरने की खबर जैसे ही अफसरों को हुई त्वरित गति से संबंधित जमीन की फाईल निकलवाई गई, मौके पर भी जा पहुंचे अफसरान, हरमुमकिन कोशिश शुरू हो गई लीपापोती की। आखिरकार जांच के बाद खुलासा हुआ कि अफसरों की लापरवाही के चलते ही किसान की मौत हुई है। जांच में दोषी लेखपाल राजन प्रियदर्शी को सस्पेंड कर दिया गया है। इस केस में जिलाधिकारी ने एडीएम ऋतु सुहास के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया है जो जांच रिपोर्ट देगी।
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